मार्च 2022 में खत्म हुए वित्त वर्ष 2022 में मध्यम बढ़ोतरी को बाद वित्त वर्ष 2023 में भारत के सीमेंट सेक्टर की मांग मिड से हाई सिंगल डिजिट में रहने की संभावना है। ये बातें एक ग्लोबल कैपिटल मार्केट रिसर्च कंपनी फिच रेटिंग्स ने (Fitch Ratings)ने हाल ही में जारी अपनी एक रिपोर्ट में कही हैं।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर जीडीपी ग्रोथ की दर कायम रहती है, सरकार की तरफ से इंफ्रा और अफोर्डेबल हाउसिंग को सपोर्ट मिलता रहता है और निजी निवेश में बढ़ोतरी होती है तो इससे कंस्ट्रक्शन गतिविधियों में तेजी आएगी। इससे सीमेंट सेक्टर को फायदा होगा।
इस रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि भारत में होल्सिम के कारोबार का अधिग्रहण करने और भारत में दूसरा सबसे बड़ा सीमेंट निर्माता बनने के लिए किया गया अदानी समूह का सौदा सीमेंट सेक्टर में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगा। कंपनियां बढ़ती प्रतिस्पर्धा से निपटने के लिए अधिक आक्रामक रूप से क्षमता विस्तार करती नजर आएंगी।
इस रिपोर्ट के मुताबिक सीमेंट सेक्टर का यूटिलाइजेशन लेवल वित्त वर्ष 2022 के 70 फीसदी से गिरकर वित्त वर्ष 2023 में 65 फीसदी पर आ सकता है। तेजी से होने वाले क्षमता विस्तार के चलते उत्पादन का स्तर मांग स्तर को पार कर सकता है। इससे कंपनियों को कीमतें बढ़ाने में मुश्किल होगी, यानी उनकी प्राइसिंग पावर कम होगी। इससे आगे सीमेंट सेक्टर में और कंसोलीडेशन देखने को मिल सकता है।
यह भी उम्मीद है कि रूस-यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के कारण ईंधन की कीमतों में हुई बढ़त की भरपाई सीमेंट की कीमतों में बढ़ोतरी करके नहीं की जा सकेगी। वित्त वर्ष 2021 की तुलना में वित्त वर्ष 2023 में सीमेंट कंपनियों का प्रति टन मार्जिन काफी कम रहेगा। बता दें कि वित्त वर्ष 2021 में कोविड के चलते कमजोर मांग के बावजूद ईंधन की कीमतों में गिरावट की वजह से सीमेंट कंपनियों का मुनाफा बढ़ता दिखा था।
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद बढ़ी महंगाई का सीमेंट की मांग पर अब तक कम से कम प्रभाव रहा है। लेकिन अगर मैक्रो इकोनॉमिक स्थितियां नाटकीय रूप से बिगड़ती हैं, तो अनुमानों में गिरावट का जोखिम बढ़ सकता है।
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