गोल्ड का आयात कंट्रोल नहीं किया गया तो यह ऑयल को पीछे छोड़ देगा, जानिए निलेश शाह ने ऐसा क्यों कहा
कोटक महिंद्रा एएमसी के एमडी और सीईओ निलेश शाह ने कहा कि बजट में बेसिक कस्टम ड्यूटी में कमी के बाद गोल्ड खरीदने में लोगों की दिलचस्पी बढ़ सकती है। इससे गोल्ड आयात पर होने वाला खर्च बढ़ जाएगा ऐसे में स्थिति ऑयल इंपोर्ट बिल जैसी हो जाएगी
भारत सोने के आयात के मामले में दुनिया में पहले पायदान पर है। भारत गोल्ड की करीब पूरी जरूरत आयात से पूरा करता है।
कोटक महिंद्रा एएमसी के एमडी और सीईओ निलेश शाह ने वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को गोल्ड के इंपोर्ट बिल पर नजर रखने की सलाह दी है। सीएनबीसी-टीवी18 के एक प्रोग्राम में उन्होंने कहा कि बजट में कस्टम ड्यूटी घटने के बाद और अंतरराष्ट्रीय कीमतों में उछाल के मद्देनजर गोल्ड के इंपोर्ट बिल पर नजर रखना जरूरी है। उन्होंने सोने की कीमतों में तेजी का अनुमान जताया। उन्होंने कहा कि शुरुआती संकेतों से ऐसा लगता है कि हम 700 टन सोने का आयात कर रहे हैं। यह करीब 35-40 अरब डॉलर के बराबर है।
इंपोर्ट ड्यूटी घटने से आयात बढ़ने का डर
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सोने पर इंपोर्ट ड्यूटी घटाने का ऐलान किया। इसके मद्देनजर शाह ने कहा कि ऐसा न हो जाए कि सोने के आयात पर होने वाला हमारा खर्च तेल आयात के खर्च से ज्यादा हो जाए। 23 जुलाई को पेश बजट में वित्मंत्री ने सोने पर बेसिक कस्टम ड्यूटी 10 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी कर दी। उन्होंने एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट सेस (AIDC) भी 5 फीसदी से घटाकर 1 फीसदी कर दिया। इससे गोल्ड पर कुल टैक्स 18.5 फीसदी से घटकर 9 फीसदी (जीएसटी सहित) हो गई है। वित्तमंत्री ने बजट में सिल्वर पर भी कस्टम ड्यूटी घटाकर 6 फीसदी कर दी। प्लैटिनम पर इसे घटाकर 6.4 फीसदी किया गया है।
ऑयल के आयात पर हर साल खर्च होता है काफी ज्यादा पैसा
इंडिया क्रूड ऑयल की अपनी 88 फीसदी जरूरत आयात से पूरी करता है। फाइनेंशियल ईयर 2023-24 में देश में 121.6 अरब डॉलर के ऑयल और गैस का आयात किया गया। यह एक साल पहले के 144 अरब डॉलर से कम है। लेकिन, पिछले वित्त वर्ष में आयातित तेल पर भारत की निर्भरता बढ़कर 87.7 फीसदी हो गई। एक साल पहले यह 87.4 फीसदी थी।
इस साल सोने की कीमत 15 फीसदी गिरी
भारत सोने के आयात के मामले में दुनिया में पहले पायदान पर है। भारत गोल्ड की करीब पूरी जरूरत आयात से पूरा करता है। बजट पेश होने के दिन यानी 23 जुलाई को गोल्ड की कीमतों में बड़ी गिरावट आई। यह 22 जुलाई को 72,875 रुपये प्रति 10 ग्राम से गिरकर 23 जुलाई को 69,269 रुपये प्रति 10 ग्राम पर आ गई। हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि आगे गोल्ड की कीमतों में तेजी आ सकती है। इस साल गोल्ड की कीमतें करीब 15 फीसदी गिर चुकी हैं।
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सरकारी कंपनियों में विनिवेश करें सरकार
शाह ने कहा कि गोल्ड पर दबाव धीरे-धीरे बढ़ेगा, लेकिन इस पर नजर रखने की जरूरत है। दरअसल, टैक्स घटने से देश में गोल्ड खरीदने में लोगों की दिलचस्पी बढ़ सकती है। उधर, सरकारी कंपनियों में विनिवेश के मामले में शाह ने कहा कि सरकार को उन सरकारी कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचनी चाहिए, जिनके शेयरों को फ्लोट कम है। इससे शेयरों की कीमतें काफी बढ़ गई है। शेयरों की सप्लाई बढ़ने से कीमतों में नरमी आ सकती है।