RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, इनफ्लेशन पीक पर पहुंच चुका है, इसे 4% पर लाने की कोशिश करेंगे

RBI Governor Shaktikanta Das ने कहा कि कीमतों में वृद्धि पर लगाम लगी है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक हर डेटा पर नजर रख रहा है। इस मामले में आत्मसंतुष्ट (Complacency) होने की कोई गुंजाइश नहीं है

अपडेटेड Aug 23, 2022 पर 4:38 PM
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RBI ने पिछले कुछ महीनों से इनफ्लेशन को कंट्रोल में करने पर अपना फोकस किया है। वह मई से अब तक रेपो रेट 1.40 फीसदी बढ़ा चुका है।

RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने कहा है कि पिछले कुछ महीनों में इनफ्लेशन अपने उच्चतम स्तर (Peak) पर पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैक दो साल के अंदर इसे 4 फीसदी पर लाने का टारगेट तय करेगा।

केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने मंगलवार (23 अगस्त) को टीवी चैनल ईटी नाउ के साथ बातचीत में कहा कि कीमतों में वृद्धि पर लगाम लगी है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक हर डेटा पर नजर रख रहा है।  इस मामले में आत्मसंतुष्ट (Complacency) होने की कोई गुंजाइश नहीं है।

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RBI ने पिछले कुछ महीनों से इनफ्लेशन को कंट्रोल में करने पर अपना फोकस किया है। वह मई से अब तक रेपो रेट 1.40 फीसदी बढ़ा चुका है। मई में उसने रेपो रेट में 0.40 फीसदी वृद्धि की थी। फिर, जून और जुलाई में 0.50-0.50 फीसदी की वृद्धि की। फिलहाल वह इनफ्लेशन को 2-6 फीसदी के अंदर लाना चाहता है।

इनफ्लेशन को कंट्रोल में करने की RBI की कोशिशों का असर दिखा है। लेकिन, यह अब भी 6 फीसदी की लिमिट से ज्यादा बना हुआ है। केंद्रीय बैंक के साथ सरकार ने भी तेजी से बढ़ती महंगाई को काबू में करने के लिए कई कदम उठाए हैं।

दास ने कहा, "हम धीरे-धीरे इनफ्लेशन को 4 फीसदी पर लाने का लक्ष्य तय करेंगे। इकोनॉमिक ग्रोथ पर असर डाले बगैर इस लक्ष्य को हासिल किया जाएगा।" उन्होंने कहा कि बॉन्ड यील्ड में स्थिरता से पता चलता है कि कीमतों को बढ़ने से रोकने के लिए केंद्रीय बैंक की कोशिशों का असर पड़ा है।

इनफ्लेशन पर RBI के गवर्नर के बयान का असर बॉन्ड मार्केट पर भी पड़ा है। दास ने कहा कि बॉन्ड में कामकाज ठीक तरह से चल रहा है। हम तभी हस्तक्षेप करेंगे, जब मार्केट में किसी तरह की गड़बड़ी सामने आएगी।

उन्होंने कहा कि करेंट अकाउंट घाटा मैनेजेबल लेवल के अंदर बना रहेगा। आने वाले महीनों में निर्यात बढ़ने की संभावना है। क्रिप्टोकरेंसीज के बारे में उन्होंने कहा कि इससे फाइनेंशियल अस्थिरता की स्थिति बन सकती है। इसका खराब असर फॉरेक्स रेट और पॉलिसी पर भी पड़ सकता है।

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First Published: Aug 23, 2022 4:12 PM

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