संसद की एक समिति (Parliamentary committee) ने लोगों से जुड़े डेटा की सिक्योरिटी और प्राइवेसी के बारे में जानने के लिए IRCTC के प्रतिनिधियों को बुलाया है। इस बारे में लोकसभा सचिवालय की तरफ से नोटिस जारी किया गया है। आईआरसीटीसी के अधिकारी कम्युनिकेशंस एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी से जुड़ी संसद की स्थायी समिति के सवालों का जवाब 26 अगस्त को देंगे।
आईआरसीटीसी ने यात्रियों के डेटा को मॉनेटाइज करने का फैसला किया है। उसने इससे 1,000 करोड़ रुपये की कमाई का लक्ष्य रखा है। इसके लिए उसने टेंडर जारी कर दिया है। आईआरसीटीसी के प्लेटफॉर्म से ही रेलवे के रिजर्वेशन टिकटों की ऑनलाइन बुकिंग होती है। रोजाना इस प्लेटफॉर्म पर लाखों यात्री टिकट बुक कराते हैं।
IRCTC के टेंडर के मुताबिक, कंपनी ऐसे कंसल्टेंट को नियुक्त करना चाहती है, जो नाम, उम्र, मोबाइल नंबर, जेंडर, पता, ईमेल आईडी जैसे कस्टमर के डेटा को मॉनेटाइज करने के बारे में सलाह दे सके। टेंडर में यह भी कहा गया है कि चुनी गई कंपनी को डेटा मॉनेटाइजेशन स्ट्रेटेजी को तैयार और इंप्लिमेंट करना होगा।
आईआरसीटीसी एक पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग है। यह 2019 के आखिर में स्टॉक एक्सचेंजों पर लिस्ट हुई थी। कंपनी ने यूजर्स के डेटा से कमाई करने के फैसले पर कई सवाल खड़े हुए हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे यूजर्स के डेटा की प्राइवेसी का उल्लंघन हो सकता है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन रूल्स के अभाव में यूजर्स के डेटा की प्राइवेसी को लेकर चिंता है। वकीलों ने भी आईआरसीटीसी के इस फैसले की आलोचना की है। उनका कहना है कि कस्टमर्स आईआरसीटीसी को सिर्फ रेल टिकटों की बुकिंग के लिए अपनी निजी जानकारियां देते हैं। यह मॉनेटाइजेशन के नहीं होता है।
इस मसले पर बहस बढ़ने पर आईआरसीटीसी ने पैसेंजर्स को यह ऑप्शन देने का फैसला किया है कि वे चाहे तो अपने डेटा को इस्तेमाल करने का परमिशन नहीं दे सकते हैं। 23 अगस्त की इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह प्रोसेस अभी शुरुआती अवस्था में है। इस बारे में अंतिम फैसला कानून को ध्यान में रखते हुए लिया जाएगा।