RBI monetary policy : भारतीय रिजर्व बैंक ने 5 अप्रैल को चालू वित्त वर्ष (FY25) के लिए अपने उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) महंगाई पूर्वानुमान को 4.5 फीसदी पर बरकरार रखा है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) को आमतौर पर रिटेल महंगाई के तौर संबोधित किया जाता है। सीपीआई पिछले छह महीनों से आरबीआई के 2-6% के टॉलरेंस लिमिट के भीतर बनी हुई है। आज गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (आरबीआई एमपीसी) ने बेंचमार्क दर को लगातार सातवीं बैठक में 5:1 के बहुमत से 6.5 फीसदी पर बनाए रखा है।
शक्तिकांत दास ने कहा कि इकोनॉमी में मजबूत ग्रोथ की संभावनाएं महंगाई को 4 फीसदी के लक्ष्य पर लाने पर फोकस करने के लिए नीतिगत अवसर प्रदान कर रही हैं। एमपीसी ने अपनी बैठक में उदार रुख वापस लेने (withdrawal of accommodative stance) पर फोकस बनाए रखने का फैसला लिया ।
फरवरी में भारत की खुदरा महंगाई जनवरी महीने के 5.1 फीसदी की तुलना में थोड़ी कम होकर 5.09 फीसदी पर रही है। श्री दास ने आगे कहा फरवरी में खाने-पीने की चीजों पर महंगाई का दबाव बढ़ा है। दास ने कहा, एमपीसी महंगाई बढ़ने के जोखिम के प्रति सतर्क है। उन्होंने कहा कि पिछले नौ महीनों में कोर सीपीआई में लगातार गिरावट आई है, जो सीरीज में सबसे कम है। सीपीआई अब छह महीने से आरबीआई के टॉलरेंस लिमिट के दायरे में बनी हुई है।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक या सीपीआई (रिटेल महंगाई) में आमतौर पर आम उपभोक्ता वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में बदलाव की जांच करके खुदरा (रिटेल) महंगाई को मापा जाता है। सीपीआई की गणना भोजन, आवास, परिधान, परिवहन, इलेक्ट्रॉनिक्स, चिकित्सा देखभाल, शिक्षा आदि से संबंधित वस्तुओं की एक निश्चित सूची के आधार पर की जाती है।