एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग ने भारत के साख (रेटिंग) आउटलुक को ‘स्थिर’ से बढ़ाकर ‘पॉजिटिव’ कर दिया है। साथ ही मजबूत वृद्धि और सरकारी व्यय की बेहतर गुणवत्ता के आधार पर रेटिंग को ‘बीबीबी-’ पर बरकरार रखा गया है।

एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग ने भारत के साख (रेटिंग) आउटलुक को ‘स्थिर’ से बढ़ाकर ‘पॉजिटिव’ कर दिया है। साथ ही मजबूत वृद्धि और सरकारी व्यय की बेहतर गुणवत्ता के आधार पर रेटिंग को ‘बीबीबी-’ पर बरकरार रखा गया है।
रेटिंग
एसएंडपी ने कहा कि यदि भारत सतर्क राजकोषीय और मौद्रिक नीति अपनाता है जिससे सरकार के बढ़े हुए कर्ज और ब्याज के बोझ में कमी आती है और आर्थिक जुझारू क्षमता बढ़ती है तो वह अगले दो साल में भारत की रेटिंग को बढ़ा सकती है।
आर्थिक सुधार
एसएंडपी ने कहा, ‘‘पॉजिटिव आउटलुक हमारे इस दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित करता है कि निरंतर नीतिगत स्थिरता, गहन आर्थिक सुधार और उच्च बुनियादी ढांचा निवेश दीर्घकालिक वृद्धि संभावनाओं को बनाए रखेंगे।’’
पॉजिटिव
एसएंडपी ने भारत के लिए आउटलुक को ‘स्थिर’ से संशोधित कर ‘पॉजिटिव’ कर दिया है। साथ ही ‘बीबीबी-’ दीर्घकालिक और 'ए-3' अल्पकालिक विदेशी तथा स्थानीय मुद्रा सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग की पुष्टि की है। ‘बीबीबी-’ सबसे निचली निवेश श्रेणी रेटिंग है। एजेंसी ने पिछली बार 2010 में रेटिंग आउटलुक को ‘नकारात्मक’ से बढ़ाकर ‘स्थिर’ किया था।
राजकोषीय घाटा
अमेरिका की एजेंसी ने कहा कि यदि भारत का राजकोषीय घाटा सार्थक रूप से कम होता है और परिणामस्वरूप सामान्य सरकारी ऋण संरचनात्मक आधार पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के सात प्रतिशत से नीचे आ जाता है, तो वह रेटिंग बढ़ा सकती है।
उधार लेने की लागत
सभी तीन प्रमुख वैश्विक रेटिंग एजेंसियों एसएंडपी, फिच और मूडीज ने भारत को सबसे निम्न निवेश ग्रेड रेटिंग दी है। हालांकि, फिच और मूडीज ने अपनी रेटिंग पर अब भी ‘स्थिर’ आउटलुक कायम रखा है। निवेशक इन रेटिंग को देश की साख के मापदंड के तौर पर देखते हैं और इसका उधार लेने की लागत पर प्रभाव पड़ता है।
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