शहरों से ज्यादा है गांव को लोगों की खर्च करने की रफ्तार। ये खुलासा हुआ है Household Consumer Expenditure Survey में हुआ है। इस सर्व में ये भी बात निकलकर आई है खाने पीने के सामान की बजाय टीवी, फ्रीज, मोबाइल और गाड़ियों पर लोग ज्यादा खर्च कर रहे हैं। सीएनबीसी आवाज के साथ एक्सक्लूलिव बातचीत में नीति आयोग के CEO ने कहा है कि अब वक्त आ गया है कि CPI में फूड का वेटेज कम किया जाए। NITI आयोग के CEO बी वी सुब्रह्मणियम ने कहा है कि हाउसहोल्ड कंज्यूमर एक्सपेंडिचर सर्वे पर चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। देश में 5 फीसदी से भी कम गरीबी घटी है। गांव और शहर दोनों में कंज्प्शन ढाई गुना बढ़ा है।
शहरों के मुकाबले गांवों में करीब 20 फीसदी ज्यादा खपत
इस सर्वे रिपोर्ट से निकल कर आया है कि गांव और शहर दोनों में बहुत तरक्की हुई है। शहरों के मुकाबले गांवों में करीब 20 फीसदी ज्यादा खपत देखने को मिल रही है। गांवों में कुल खपत में अनाज पर होने वाला खर्च घटा है। गांवों में कुल खर्च का 50 फीसदी से भी कम खाने पर हो रहा है।
सबसे ज्यादा बेवरेज, पैकेट फूड पर हो रहा खर्च
हाउसहोल्ड कंज्यूमर एक्सपेंडीचर सर्वे से निकलकर आया है कि लोग सबसे ज्यादा बेवरेज, पैकेट फूड पर खर्च करते हैं। शहरों से ज्यादा गांवों में खर्च की रफ्तार बढ़ रही है। 2011-12 से 2022-23 के बीच गांवों में खर्च करने की रफ्तार 164 फीसदी बढ़ी है। वहीं, शहरों में खर्च करने की रफ्तार 146 फीसदी बढ़ी है। सबसे ज्यादा खर्च बेवरजेज, प्रोसेस्ड औऱ पैकेट फूड पर हो रहा है। गांव में 9.62 फीसदी खर्च बेवरजेज, प्रोसेस्ड औऱ पैकेट फूड पर हो रहा है। वहीं, शहर में 10.64 फीसदी खर्च बेवरजेज, प्रोसेस्ड औऱ पैकेट फूड पर हो रहा है।
गांवों में कुल खर्च का 6.89 फीसकी कंज्यूमर ड्यूरेबल गुड्स पर
गांवों में कुल खर्च का 6.89 फीसकी कंज्यूमर ड्यूरेबल गुड्स पर हो रहा है। वहीं, शहरों में कुल खर्च का 7.17 फीसकी कंज्यूमर ड्यूरेबल गुड्स पर हो रहा है। गांवों में कुल खर्च का 7.55 फीसदी गाड़ी (कनवेंस) पर हो रहा है। वहीं, शहरों में कुल खर्च का 8.59 फीसदी गाड़ी पर हो रहा है। गांवों में कुल खर्च का 4.89 फीसदी हिस्सा अनाज पर हो रहा है। वहीं, शहरों में कुल खर्च का 3.62 फीसदी हिस्सा अनाज पर खर्च हो रहा है।
सबसे ज्यादा गाड़ियों पर खर्च तीन गुना बढ़ा
गांवों में सबसे ज्यादा गाड़ियों पर खर्च तीन गुना बढ़ा है। मोबाइल फोन, टीवी, फ्रीज पर लोग खर्च बढ़ा रहे हैं। NITI आयोग के CEO बी वी सुब्रह्मणियम का कहना है कि इन बातों को ध्यान में रखते हुए CPI को रीबैलेंस करने की जरूरत है। CPI में फूड का वेटेज कम करने की जरूरत है। अगर फूड का वेटेज कम होगा तो शायद CPI भी घटे।