दावोस में चल रहे वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में CNBC-आवाज़ की बिग कवरेज जारी है। इस कड़ी में सीएनबीसी-आवाज के साथ हुई बातचीत में IMF की चीफ इकोनॉमिस्ट गीता गोपीनाथ ने कहा कि महंगाई को लेकर पूरी दुनिया में चिंता है। भारत भी इसका अपवाद नहीं है। भारत में महंगाई अभी बड़ी चिंता का कारण बनी हुई है । लगातार तीसरी बार देश में CPI में तेजी देखने को मिली है लेकिन दूसरे देशों की तुलना में भारत के हालात अच्छे है। आर्थिक मोर्चे पर भारत बेहतर स्थिति में है।
IMF की फर्स्ट डिप्टी MD गीता गोपीनाथ ने इस बातचीत में आगे कहा कि महंगाई के चलते कुछ देशों में टेक्निकल मंदी आ सकती है लेकिन भारत में इसको लेकर बहुत डरने की जरुरत नहीं है। दूसरे देशों की तुलना में भारत की स्थिति अभी काफी अच्छी है। देश में उम्मीद से बेहतर जीएसटी कलेक्शन हुआ है। वहीं फॉरन रिजर्व भी ठीक स्थिति में है। भारत के पास विदेशी मुद्रा का भंडार मजबूत है। देश में इस समय 600 बिलियन डॉलर का फॉरेन रिजर्व है। वॉलैटिलिटी को संभालने के नजरिए से भारत काफी बेहतर स्थिति में है।
इंफोसिस और HCL टेक के टॉप मैनेजमेंट से भी खास बातचीत
सीएनबीसी -आवाज ने दावोस में अपनी बिग कवरेज मुहिम के तहत इंफोसिस और HCL टेक के टॉप मैनेजमेंट से भी खास बातचीत की और उनसे यह समझने की कोशिश की किआईटी सेक्टर में अभी क्या हाल हैं। इस बातचीत में इंफोसिस के एमडी सलिल पारेख ने कहा कि बड़ी कंपनियों का फोकस अभी डिजिटल पर है। कंपनियों में डिजिटल बदलाव शुरुआती दौर में है। इंफोसिस की डील पाइपलाइन का काफी मजबूत है। मौजूदा समय में डिमांड ट्रेंड बेहतर नजर आ रहा है। हमारी नजरें बढ़ती महंगाई, ऊंची ब्याज दरों और रूस-यूक्रेन मुद्दे पर लगी हुई हैं। हम सप्लाई पर भी नजरें बनाए हुए हैं।
HCL टेक के सीईओ सी विजयकुमार ने दावोस में सीएनबीसी-आवाज से हुई अपनी बातचीत में कहा कि आईटी सेक्टर में आगे मजबूत डिमांड जारी रहेगी। कंपनी ने क्लाउड के लिए SAAS का एडवांस वर्जन लॉन्च किया है। कई कंपनियां डिजिटल टेक्नोलॉजी पर फोकस कर रही हैं। SAAS सेगमेंट से आगे बेहतर मांग की उम्मीद है।
उधर एक्सिस बैंक के एमडी और सीईओ अमिताभ चौधरी ने भी दावोस में सीएनबीसी-आवाज के साथ बातचीत की। अमिताभ चौधरी ने इस बातचीत में कहा कि अभी आगे इकोनॉमी के लिए काफी ज्यादा चुनौतियां है। जुलाई -अगस्त में हमें ब्याज दरों में बढ़ोतरी होती नजर आ सकती है। आरबीआई अभी ब्याज दरें और बढ़ाएगा। ब्याज दरों में बढ़ोतरी के चलते ग्रोथ की रफ्तार धीमी पड़ती नजर आएगी।
उन्होंने इस बातचीत में आगे कहा कि सरकार और आरबीआई का फोकस इस समय महंगाई को रोकने पर है। महंगाई रोकने के लिए ही मौद्रिक नीतियों में कड़ाई लाई जा रही है। लेकिन यह भी सही है कि कर्ज महंगा होने से ग्रोथ पर असर पड़ेगा। महंगाई को काबू में करने के लिए ब्याज दर बढ़ाने का विकल्प एक ऐसा विकल्प है जिसका ग्रोथ पर नेगेटिव असर होगा।