गरीब लोगों पर सबसे ज्यादा पड़ रही महंगाई की मार, सरकार उठाएगी बड़े कदम

Inflation on Eight year high: अप्रैल में रिटेल इनप्लेशन बढ़कर 7.79 फीसदी पहुंच गया। मार्च में यह 6.95 फीसदी था। लगातार चार महीने से रिटेल इनफ्लेशन आरबीआई के तय लक्ष्य से ऊपर बना हुआ है

अपडेटेड May 27, 2022 पर 1:00 PM
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सरकार ने हाल में महंगाई को काबू में करने के लिए गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने सहित कई कदम उठाए हैं।

तेजी से बढ़ती महंगाई (Inflation) ने RBI और सरकार को बड़ा झटका दिया है। इसे कंट्रोल में करने के लिए दोनों मिलकर बड़े कदम उठा रहे हैं। इनफ्लेशन इकोनॉमिक ग्रोथ (Economic Growth) के लिए भी खतरा बन रहा है। अगर यूक्रेन क्राइसिस (Ukraine Crisis) इतना लंबा नहीं चला होता तो महंगाई भी इतनी नहीं बढ़ी होती। महंगाई की सबसे ज्यादा मार गरीब लोगों पर पड़ रही है।

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च में कोर एनालिटिकल ग्रुप के डायरेक्टर सौम्याजीत नियोगी ने कहा, "अगर आप बॉटम ऑफ पिरामिड को देखें तो उनका इनकम लेवल बहुत कम है। इन लोगों के पास महंगाई के झटके का सामना करने के लिए किसी तरह की गुंजाइश नहीं बची है।"

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बढ़ती महंगाई ने सिर्फ इंडिया में लोगों को मुसीबत में नहीं डाला है। दुनिया के कई विकसित और विकासशील देश इनफ्लेशन की प्रॉब्लम से जूझ रहे हैं। रूस और यूक्रेन में चल रही लड़ाई की वजह से जरूरी चीजों की सप्लाई पर असर पड़ा है। इसके चलते कई चीजों की कीमतें बढ़ गई हैं। अब देश कई चीजों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा रहे हैं।

कई देशों में केंद्रीय बैंकों ने कोरोना की महामारी के दौरान दिए राहत पैकेज वापस लेने शुरू कर दिए हैं। वे अपनी बैलेंसशीट को भी घटा रहे हैं। उधर, सरकारें टैक्स में कमी कर रही हैं। कई चीजों पर सब्सिडी बढ़ा रही हैं। इंडिया में गरीब लोगों का जीना महंगाई की वजह से मुश्किल हो गया है।

इंडिया में कम इनकम वाले लोगों पर खानेपीने की चीजें और पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने का ज्यादा असर पड़ता है। क्रिसिल रिसर्च (CRISIL Research) ने इस महीने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि  शहरों में लोग तो महंगाई का सामना कोरोना की महामारी शुरू होने के बाद से ही कर रहे हैं, लेकिन अब ग्रामीण इलाकों के लोगों पर भी इसका असर पड़ रहा है।

क्रिसिल रिसर्च (CRISIL Research) के चीफ इकोनॉमिस्ट धर्मकीर्ति जोशी ने कहा, "खानेपीने की चीजों की बढ़ती कीमतें और महंगा फ्यूल फाइनेंशियल ईयर 2022-23 में गरीब लोगों को ज्यादा सताएगा।" नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन (NSSO) के सर्वे के मुताबिक, सबसे गरीब 80 फीसदी लोगों के कुल खर्च में खानेपीने की चीजों की ज्यादा हिस्सेदारी होती है।

सबसे गरीब 20 फीसदी लोगों के कुल खर्च में भी फ्यूल पर होने वाला खर्च अपेक्षाकृत ज्यादा है। रिटेल इनफ्लेशन लंबे समय से RBI के तय लक्ष्य से ऊपर बना हुआ है। अप्रैल में रिटेल इनफ्लेशन आठ साल के सबसे ऊंचे लेवल पर पहुंच गया। होलसेल प्राइसेज में भी बीते 30 साल में सबसे तेज वृद्धि देखने को मिली है।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि महंगाई को बढ़ने से रोकने के लिए और कदम उठाने की जरूरत है। इसकी वजह यह है कि इनफ्लेशन के असर को कैलकुलेट करने के बाद लोगों की सैलरी में कोई वृद्धि नहीं हुई है। कोरोना की वजह से गरीब लोगों और निम्न मध्यम वर्ग की बचत का बड़ा हिस्सा पहले ही इलाज पर खर्च हो गया है।

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