रूस-यूक्रेन में लड़ाई (Russia-Ukraine crisis) का आज 27वां दिन है। इस बीच रूस के तेवर में कोई नरमी नहीं आई है। उसकी सेना यूक्रेन पर लगातार हमले कर रही है। जैसे-जैसे यह लड़ाई आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे रूस घातक हथियारों का इस्तेमाल बढ़ा रहा है। पिछले हफ्ते उसने सुपरसोनिक मिसाइलों (Supersonic Missiles) का इस्तेमाल किया। अब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने यूक्रेन पर केमिकल अटैक (Chemical Attack) की आशंका जताई है।
पूरी दुनिया पर लड़ाई का असर
आगे क्या होगा, इसके बारे में कुछ पता नहीं। लेकिन, यह जरूर पता है कि इंडिया सहित पूरी दुनिया पर इस लड़ाई का असर पड़ रहा है। सवाल है कि क्या लड़ाई लंबे समय तक जारी रहती है तो वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी में चली जाएगी?
श्रीलंका की अर्थव्यवस्था की मुश्किलें बढ़ीं
यूक्रेन क्राइसिस शुरू होने के कुछ ही दिन बाद से इसका असर दिखने लगा। कमोडिटी की कीमतें आसमान में पहुंच गईं। क्रूड का प्राइस 8 साल के सबसे हाई लेवल पर पहुंच गया। चूंकि पेट्रोलियम का सीधा असर इनफ्लेशन पर पड़ता है, जिससे कई देशों में चीजों की कीमतें बढ़ गई हैं। श्रीलंका इसका उदाहरण है। पहले से बदहाल चल रही श्रीलंका की इकोनॉमी को यूक्रेन क्राइसिस ने दिवालिया होने की कगार पर पहुंचा दिया है। जिन देशों की इकोनॉमी कमजोर है, उन पर इस लड़ाई का ज्यादा असर दिख रहा है।
केंद्रीय बैंकों के लिए इनफ्लेशन बड़ा चैलेंज
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने कहा है कि यूक्रेन क्राइसिस और रूस पर लगे प्रतिबंधों का ग्लोबल इकोनॉमी पर गंभीर असर पड़ेगा। उसने कहा है कि अभी स्थितियां अनिश्चित दिख रही हैं। यह लड़ाई कब तक चलेगी, यह पता नहीं। लेकिन इसका गंभीर आर्थिक असर दिखना शुरू हो गया है। बीते दिनों में फूड और एनर्जी की कीमतें बढ़ गई हैं। सप्लाई चेन डिस्टर्ब हो गया है। देशों के केंद्रीय बैंकों के सामने इनफ्लेशन को कंट्रोल करने का चैलेंज है।
फाइनेंशियल मार्केट पर भी असर
आईएमएफ ने कहा है, "दुनियाभर के लोगों को बढ़ती कीमतों ने झटका दिया है। खासकर गरीब लोगों पर इसका ज्यादा असर पड़ा है, क्योंकि उनके खुल खर्च में फ्यूल की अपेक्षाकृत ज्यादा हिस्सेदारी है।" उसने कहा है कि अगर लड़ाई जल्द नहीं रुकती है तो इसके आर्थिक नतीजें खतरनाक होंगे। इसका असर दुनियाभर के फाइनेंशियल मार्केट पर पड़ेगा।
मंदी की फिलहाल आशंका नहीं
जहां तक दुनिया के मंदी में चले जाने का सवाल है तो एक्सपर्ट्स का मानना है कि फिलहाल इसकी आशंका कम है। इसकी वजह यह है कि रूस पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों का सबसे ज्यादा असर रूस पर पड़ेगा। इसकी वजह यह है कि अमेरिका खुद ऑयल और गैस का बड़ा एक्सपोर्टर है। उधर, यूरोपीय देशों ने रूस से ऑयल और गैस का इंपोर्ट जारी रखा है।
अमेरिका और यूरोपीय देश भले ही यूक्रेन में अपने सैनिक नहीं भेज रहे हैं, लेकिन वे यूक्रेन को आर्थिक मदद देने से पीछे नहीं हटेंगे। इसलिए यूक्रेन को हुए नुकसान की भरपाई हो जाएगी। कमोडिटी की कीमतें बहुत बढ़ गई हैं, इसका असर अलग-अलग देशों पर अलग तरह से पड़ रहा है। आम तौर पर मंदी से पहले कमोडिटी की कीमतों में गिरावट आती है। इस बार ऐसी स्थिति नहीं है।
ऐसा देखा गया है कि केंद्रीय बैंकों की बहुत सख्त पॉलिसीज मंदी की स्थिति पैदा करती हैं। इस बार केंद्रीय बैंकों ने अब अपनी पॉलिसी में बदलाव करना शुरू किया है। अब भी इंडिया सहित कई देशों में इंट्रेस्ट रेट अपने निचले स्तर के करीब है। हां, सप्लाई को लेकर प्रॉब्लम है।
ब्लैक सी के रास्ते ट्रांसपोर्टेशन बंद है। इससे दूसरे बंदरगाहों पर जाम की स्थिति पैदा हो गई है। अगर लड़ाई जल्द खत्म नहीं होती है तो यह प्रॉब्लम और बढ़ेगी। इसलिए यह लड़ाई हमारी प्रॉब्लम बढ़ा सकती है, लेकिन दुनिया के मंदी में जाने का खतरा फिलहाल नहीं दिख रहा है।