उत्तर प्रदेश की इकोनॉमी अगले पांच साल में 1 लाख करोड़ रुपये की होगी। राज्य सरकार ने अपने इस प्लान पर काम शुरू कर दिया है। राज्य विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के एक हफ्ते के भीतर सरकार ने यह ऐलान किया है। इसके लिए सरकार एक कंसल्टेंट नियुक्त करने जा रही है।
अंग्रेजी बिजनेस न्यूज वेबसाइट इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने 2020 में एक कंसल्टेंट की नियुक्ति के लिए अधिसूचना जारी की थी। इसमें 8 कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई थी। इनमें डेलॉयट, बोस्टन कंसल्टिंग, आईआईएम-लखनऊ और ग्रांट थॉर्टन शामिल थीं। लेकिन, तब यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी थी। उत्तर प्रदेश सरकार ने फिर से इस प्लान पर काम शुरू किया है।
यूपी सरकार की अधिसूचना के मुताबिक, कंसल्टेंट बनने के लिए कंपनियां 14 अप्रैल तक अप्लाई कर सकती हैं। टेक्निकल बिड 18 अप्रैल को खोली जाएंगी। वित्त वर्ष 2020-21 में यूपी सरकार की जीडीपी 19.40 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। इस वित्त वर्ष यानी 2021--22 के दौरान इसके 21.74 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।
सरकार को अगले पांच साल यानी वित्त वर्ष 2026-27 तक एक लाख करोड़ रुपये की इकोनॉमी के लक्ष्य को पूरा करने के लिए अपनी जीडीपी में चार गुना वृद्धि करनी होगी। खास बात यह है कि राज्य विधानसभा का अगला चुनाव भी 2026-27 में होगा। उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडिया की इकोनॉमी के लिए भी 5 लाख करोड़ डॉलर का लक्ष्य तय किया है। केंद्र सरकार ने इसके लिए वित्त वर्ष 2024-25 की डेडलाइन तय की है।
यूपी विधानसभा चुनावों में BJP की जीत हुई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दोबारा राज्य के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। राज्य में विधानसभा की कुल 403 सीटें हैं। इनमें से भाजपा 255 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत हासिल करने में सफल रही है। सपा दूसरे नंबर पर रही है। कांग्रेस का प्रदर्शन इस बार भी बहुत खराब रहा है।
अभी यूपी कृषि प्रधान राज्य है। इकोनॉमी में तेज ग्रोथ के लिए सरकार को औद्योगिकरण की दिशा में कदम बढ़ाने होंगे। नए निवेश को आकर्षित करने के लिए सरकार को अपनी पॉलिसी में बदलाव करने पड़ेंगे। इससे पहले राज्य में 2017 में भाजपा की सरकार बनी थी। तब से मुख्मंत्री योगी आदित्यनाथ ने उद्योग को बढ़ावा देने पर फोकस किया है।