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Anil Agarwal सेमीकंडक्टर प्लांट के लिए पूंजी और टेक्नोलॉजी की व्यवस्था कर पाएंगे?

वेदांता और फॉक्सकॉन दोनों ने कहा है कि वे अपनी सेमीकंडक्टर यूनिट्स लगाने की कोशिशें जारी रखेंगी। इसके लिए दोनों नए पार्टनर की तलाश करेंगी। वेदांता ग्रुप के लिए पैसे जुटाना इतना मुश्किल रहा है कि उसे अपनी प्रतिद्वंद्वी कंपनियों से कर्ज लेना पड़ा है

अपडेटेड Jul 12, 2023 पर 11:02 AM
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सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग के लिए बहुत पैसे की जरूरत होती है। इसके अलावा इसके लिए टेक्नोलॉजी के मामले में भी विशेषज्ञता चाहिए। दुनियाभर में कंपनियों के बीच सेमीकंडक्टर यूनिट्स लगाने की होड़ मची हुई है।
     
     
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    इंडिया के बड़े उद्योगपति अनिल अग्रवाल (Anil Agarwal) के लिए यह चैलेंजिंग समय है। सेमीकंडक्टर वेंचर शुरू करने का Vedanta Group के नए और महत्वाकांक्षी प्लान को बड़ा झटका लगा है। Hon Hai Technology Group के साथ वेदांता का समझौता टूट गया है। होन हई को आम तौर पर Foxconn के नाम से जाना जाता है। इसके बाद वेदांता ने नए पार्टनर की तलाश शुरू कर दी है। सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में उतरने के लिए वेदांता को टेक्नोलॉजी और पैसे दोनों की जरूरत है। 10 जुलाई को Foxconn और वेदांता ग्रुप ने अपना जेवी खत्म करने का ऐलान किया। दोनों ने गुजरात में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने पर 19.5 अरब डॉलर खर्च करने का प्लान बनाया था।

    वेदांता और फॉक्सकॉन दोनों सेमीकंडक्टर प्लांट के लिए कोशिशें जारी रखेंगी

    वेदांता (Vedanta) और फॉक्सकॉन दोनों ने कहा है कि वे अपनी सेमीकंडक्टर यूनिट्स लगाने की कोशिशें जारी रखेंगी। इसके लिए दोनों नए पार्टनर की तलाश करेंगी। वेदांता ग्रुप के लिए पैसे जुटाना इतना मुश्किल रहा है कि उसे अपनी प्रतिद्वंद्वी कंपनियों से कर्ज लेना पड़ा है। लेकिन, सवाल है कि जब दोस्त साथ छोड़ दे तो क्या दुश्मन का दोस्ती का हाथ बढ़ाना ठीक होता है?


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    सेमीकंडक्टर बिजनेस में उतरने का वेदांता ग्रुप पर पड़ेगा असर

    वेदांता और फॉक्सकॉन का जेवी टूट जाने के बाद ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, "हमारा मानना है कि सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले ग्लास बिजनेस की शुरुआत से वेदांता के बिजनेस पर खराब असर पड़ेगा। इसकी वजह यह है कि उसे मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने के लिए काफी पैसे की जरूरत पड़ेगी। इससे नियर टर्म में डिविडेंड देने की कंपनी की क्षमता में कमी आ सकती है।"

    अपनी होल्डिंग कंपनी के जरिए वेदांता ने बनाया था ज्वाइंट वेंचर

    Vedanta Group ने अपनी कंपनी Twin Star Technologies (TSTL) के जरिए यह ज्वाइंट वेंचर बनाया था। टीएसटीएल Volcan Investments की सब्सिडियरी है। Volcan वेदांता लिमिटेड की होल्डिंग कंपनी है। वेदांता और फॉक्सकॉन में से किसी के पास सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग का अनुभव नहीं है। दोनों ने किसी टेक्नोलॉजी पार्टनर की मदद लेने का प्लान बनाया था।

    जेवी पर तेजी से नहीं बढ़ रहा था काम

    वेदांता ग्रुप ने नए वेंचर का मालिकाना हक प्रमोटर ग्रुप की जगह इंडिया में लिस्टेड कंपनी के पास ट्रांसफर करने का फैसला किया था। इस ट्रांसफर के इस फाइनेंशियल ईयर की दूसरी तिमाही में पूरा हो जाने की उम्मीद थी। ऐसा लगता है कि यह ज्वाइंट वेंचर टूटने की एक वजह हो सकती है। Foxconn ने अपने बयान में कहा है, "दोनों पक्षों का यह मानना था कि प्रोजेक्ट तेजी से आगे नहीं बढ़ रहा है। कई ऐसी मुश्किलें थी जिसका समाधान हम नहीं कर पा रहे थे।" दोनों ने आपसी सहमति से इस ज्वाइंट वेंचर को तोड़ने का फैसला किया।

    सेमीकंडक्टर की मैन्युफैक्चरिंग में टेक्नोलॉजी का अहम रोल

    सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग के लिए बहुत पैसे की जरूरत होती है। इसके अलावा इसके लिए टेक्नोलॉजी के मामले में भी विशेषज्ञता चाहिए। दुनियाभर में कंपनियों के बीच सेमीकंडक्टर यूनिट्स लगाने की होड़ मची हुई है। इसका मतलब है कि जिन कंपनियों के पास इसके लिए टेक्नोलॉजी है, उनके लिए पार्टनर्स की कोई कमी नहीं है। वेदांता ग्रुप के नए बिजनेस में उतरने के कदम को बहुत महत्वाकांक्षी माना जा रहा था। यह ग्रुप पहले से ऑयल, माइनिंग और मेटल बिजनेस में मौजूद है। फॉक्सकॉन इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग कंपनी है। दोनों ने मिलकर पिछले साल एक ज्वाइंट वेंचर बनाया था। लेकिन, उन्हें टेक्नोलॉजी पार्टनर तलाशने में दिक्कत आ रही थी।

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