पिछले कुछ सालों से नरेंद्र मोदी सरकार की विशिष्ट आर्थिक नीतियों के कारण भारत को आत्मनिर्भर बनाने का विषय एक बार पुनः चर्चा में है। 'स्वदेशी' व 'भारत की आत्मनिर्भरता' एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। लेकिन अब जब इनकी बात हो रही है तो कई जगह आशंका का भी माहौल है। ऐसा होना स्वाभाविक भी है क्योंकि अब तक स्वदेशी अर्थशास्त्र के सिद्धांतों के बारे में बहुत ज्यादा चर्चा अपने यहां नहीं हुई है। ऐसा नहीं है कि इस विषय पर काम नहीं हुआ या इन सिद्धांतों का निरूपण नहीं हुआ। पर जैसा अन्य क्षेत्रों में हाल है वैसा ही अर्थशास्त्र में भी है।