पिछले महीने सितंबर में थोक महंगाई बढ़ने की दर (-) 0.26 फीसदी रही। कॉमर्स मिनिस्ट्री ने आज इसके आंकड़े जारी किए हैं। यह लगातार छठा महीना रहा जब थोक महंगाई दर निगेटिव जोन में रही। पिछले साल सितंबर 2022 में यह 10.55 फीसदी पर था और अगस्त 2023 में यह (-) 0.52 फीसदी पर था। पिछले महीने यह पॉजिटिव जोन की तरफ बढ़ा लेकिन अभी भी यह निगेटिव जोन में है। (-) 0.26 फीसदी का होलसेल इनफ्लेशन (Wholesale Inflation) अर्थशास्त्रियों के अनुमान से बहुत कम है। इकनॉमिस्ट्स का अनुमान था कि थोक महंगाई बढ़ने की दर पिछले महीने 0.7 फीसदी होगी।
Retail Inflation तीन महीने के निचले स्तर पर
कुछ दिन पहले खुदरा महंगाई दर से जुड़े आंकड़े आए थे। स्टैटिस्टिक्स मिनिस्ट्री ने पिछले हफ्ते 12 अक्टूबर को इसका डेटा पेश किया था। इसके मुताबिक खुदरा महंगाई बढ़ने की दर सितंबर में तीन महीने के निचले स्तर 5.02 फीसदी पर आ गई। जुलाई में यह 7.44 फीसदी पर थी जो इसका 15 महीने का रिकॉर्ड ऊंचा स्तर है। इस दौरान WPI इनफ्लेशन 0.97 फीसदी ऊपर चढ़ा है।
टमाटर ने दी राहत लेकिन इन वजहों से बढ़ा दबाव
मासिक आधार पर बात करें तो WPI सितंबर में 0.59 फीसदी सुस्त हुआ जबकि CPI इस दौरान 1.1 फीसदी नरम पड़ा। मासिक आधार पर प्राइस इंडेक्स में यह तेजी कीमतों के दबाव का संकेत है। पिछले महीने WPI का फूड इंडेक्स मासिक आधार पर 4.46 फीसदी गिरा जोकि अगस्त में मासिक आधार पर 1.38 फीसदी नीचे आया था। फूड इंडेक्स में गिरावट की वजह टमाटर कीमतों में तेज फिसलन रही। टमाटर का इंडेक्स मासिक आधार पर जून में 56 फीसदी और जुलाई में 318 फीसदी उछल गया जोकि सितंबर में मासिक आधार पर 73 फीसदी गिर गया। अगस्त में यह 22 फीसदी गिरा था। सब्जियों के लिए ओवरऑल इंडेक्स सितंबर में मासिक आधार पर 37 फीसदी फिल गया।
हालांकि सरकार और आरबीआई के लिए चिंता की बात ये है कि टमाटर के अलावा बाकी सभी फूड आइटम्स में मासिक आधार पर तेजी आई जैसे कि अनाज 1 फीसदी, दाल 6 फीसदी, फल 5 फीसदी और दूध 0.7 फीसदी। WPI का तेल और पॉवर ग्रुप मासिक आधार पर 2 फीसदी से अधिक चढ़ गया। इस इंडेक्स में करीब दो तिहाई हिस्सा मैनुफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स का है, दो लगातार दूसरे महीने सितंबर में बढ़ गया। मैनुफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स में भी सबसे अधिक दबाव बेसिक मेटल्स पर दिखा और दूसरी तरह सबसे कम असर एडिबल ऑयल पर रहा।