APAAR ID: लोगों की पहचान का हिस्सा बन चुके आधार कार्ड की तरह ही अब छात्रों के लिए सरकार अपार कार्ड लाने की तैयारी में है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री (Automated Permanent Academic Account Registry – APAAR) बनाने की योजना बनाई है। मंत्रालय ने सभी राज्यों को APAAR रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू करने के लिए छात्रों के अभिभावकों की सहमति लेने के निर्देश दिए हैं। APAAR ID से छात्र-छात्राओं को स्कॉलरशिप, एजुकेशन लोन, सरकारी योजनाओं का लाभ, अवॉर्ड आदि लेने में आसानी होगी। देश भर के सभी स्कूलों के स्टूडेंट्स का अपार आईडी बनाया जाएगा।
बता दें कि ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री- APAAR (वन नेशन, वन स्टूडेंट आईडी) एक एजुकेशन इकोसिस्टम रजिस्ट्री या 'एडुलॉकर' है। इसके तहत सभी छात्रों का एक 12 अंकों का एक यूनिक कोड होगा। यह पूरी तरह से आधार कार्ड की तरह होगा। जिस पर छात्रों का यूनिक कोड प्रिंट होगा। छात्रों के स्कूल बदलने पर भी उनकी ‘अपार आईडी’ एक ही रहेगी।
हाएर एजुकेशन और जॉब में मिलेगा फायदा
एडमिशन प्रोसेस में भी आने वाले समय इसका इस्तेमाल किया जाएगा। इस कार्ड में दी गई यूनिक आईडी के जरिए किसी भी जगह स्थित स्कूल को विद्यार्थी की डिटेल हासिल की जा सकेगी। बताया जा रहा है कि ये आधार आईडी से जुड़ा होगा। इसमें की एकेडमिक यात्रा या उपलब्धियों का पूरा लेखा-जोखा होगा। इस कार्ड के जरिए स्टूडेंट से रिलेटेड सारा डेटा एक ही जगह पर मिल जाएगा। इसका डेटा गोपनीय रहेगा। जरूरत के वक्त ही सिर्फ सरकारी एजेंसियों के साथ शेयर किया जाएगा। 18 साल पूरे होने पर स्टूडेंट का नाम खुद मतदाता पहचान पत्र के लिए शामिल किया जा सकता है। अपार आईडी के जरिए स्टूडेंट्स को क्रेडिट स्कोर मिलेगा। इसका फायदा उन्हें हाएर एजुकेशन और नौकरी के समय पर मिलेगा।
‘अपार कार्ड’ बनवाने के लिए छात्र-छात्राओं के पास एक वैलिड आधार कार्ड होना जरूरी है। वहीं ‘डिजिलॉकर’ पर उसका अकाउंट होना भी जरूरी है। इससे विद्यार्थी की ई-केवाईसी पूरी की जाएगी। ‘अपार कार्ड’ छात्र-छात्राओं को उनके स्कूल या कॉलेज जारी करेंगे। इसके लिए रजिस्ट्रेशन बच्चों के माता-पिता की सहमति से होगा। माता-पिता किसी भी समय अपनी सहमति को समाप्त (विड्रॉल) भी कर सकते हैं। स्कूल और कॉलेज विद्यार्थियों को एक फॉरमेट फॉर्म देंगे। जिसे वह अपने माता-पिता से भरवाकर जमा कर सकते हैं। अभिभावकों की सहमति के बाद ही स्कूल या कॉलेज बच्चों का ‘अपार कार्ड’ बना सकेंगे।