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Electoral Bonds: चुनावी बॉन्ड स्कीम रद्द, वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल बोले- 'सुप्रीम कोर्ट के फैसले के दूरगामी परिणाम होंगे'

Electoral Bonds Scheme Verdict: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को चुनावी बॉन्ड स्कीम को रद्द कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह संविधान के मुताबिक सूचना के अधिकार और बोलने तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करती है। फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह योजना संविधान के अनुच्छेद 19(1)(A) के तहत यह स्कीम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है

अपडेटेड Feb 15, 2024 पर 12:36 PM
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Electoral Bonds: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनावी बॉन्ड की जानकारी गुप्त रखना सूचना के अधिकार का उल्लंघन है

Electoral Bonds Scheme Verdict: वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल (Senior Advocate Kapil Sibal) ने चुनावी बॉन्ड स्कीप पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह एक महत्वपूर्ण फैसला है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के दूरगामी परिणाम होंगे। शीर्ष न्यायालय ने 15 फरवरी को चुनावी बांड स्कीम को "असंवैधानिक" बताते हुए रद्द कर दिया। सिब्बल ने CNBC TV18 से कहा, "यह एक महत्वपूर्ण फैसला है। इसके राजनीतिक लोकतंत्र पर दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे।"

फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह योजना संविधान के अनुच्छेद 19(1)(A) के तहत यह स्कीम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को चुनाव आयोग को 6 साल पुरानी योजना में योगदानकर्ताओं के नाम का खुलासा करने का आदेश दिया। शीर्ष अदालत ने पिछले साल दो नवंबर को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

CJI की अध्यक्षता वाली पांच-जजों की संविधान पीठ ने योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दो अलग-अलग लेकिन सर्वसम्मत फैसले सुनाए। चीफ जस्टिस ने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत बोलने तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है। पीठ ने कहा कि नागरिकों की निजता के मौलिक अधिकार में राजनीतिक गोपनीयता, संबद्धता का अधिकार भी शामिल है।


चुनावी बॉन्ड योजना को सरकार ने दो जनवरी 2018 को अधिसूचित किया था। इसे राजनीतिक वित्तपोषण में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले दान के विकल्प के रूप में पेश किया गया था। योजना के प्रावधानों के अनुसार, चुनावी बॉन्ड भारत के किसी भी नागरिक या देश में निगमित या स्थापित इकाई द्वारा खरीदा जा सकता है। कोई भी व्यक्ति अकेले या अन्य व्यक्तियों के साथ संयुक्त रूप से चुनावी बॉन्ड खरीद सकता है।

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