सैफ अली खान के दादा ने अपने प्यार को पाने के लिए बनवाया था भोपाल का पटौदी पैलेस, अब बना 'शत्रु संपत्ति'!
1947 तक भोपाल एक रियासत थी और नवाब हमीदुल्ला खान इसके आखिरी नवाब थे। नवाब साहब की तीन बेटियां थीं। उनकी सबसे बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान 1950 में पाकिस्तान चली गई थीं। उनकी दूसरी बेटी साजिदा सुल्तान भारत में ही रहीं और उन्होंने नवाब इफ्तिखार अली खान पटौदी से शादी की। जो सैफ अली खान के दादा थे
सैफ अली खान के दादा ने अपने प्यार को पाने के लिए बनवाया था भोपाल का पटौदी पैलेस
बॉलीवुड एक्टर सैफ अली खान अपने ऊपर हुए हमले के बाद से लगातार चर्चाओं में हैं। फिलहाल वह इलाज के बाद अस्पताल से अपने घर लौट चुके हैं। हालांकि, जिस दिन सैफ डिस्चार्ज होकर अस्पताल से घर आए, उसी दिन उन्हें एक और बड़ा झटका लगा। हुआ ये कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने मंगलवार को सैफ की वो याचिका खारिज कर दी, जो उन्होंने केंद्र सरकार के उस निर्देश के खिलाफ दायर की थी, जिसमें भोपाल में पटौदी परिवार की 15000 करोड़ रुपए की ऐतिहासिक प्रॉपर्टी को शत्रु संपत्ति घोषित किया गया था।
इसमें पटौदी परिवार की जिन प्रॉपर्टी पर सरकारी कब्जे की तलवार लटकी है, उसमें फ्लैग स्टाफ हाउस, जहां सैफ ने अपना बचपन बिताया, नूर-उस-सबा पैलेस, दार-उस-सलाम, हबीबी का बंगला, अहमदाबाद पैलेस और कोहेफिजा प्रॉपर्टी शामिल हैं। इनमें से ही एक है पटौदी पैलेस.. जिसके बनने की कहानी किसी फिल्मी किस्से से कम नहीं है और इसे आप प्यार की एक निशानी भी कह सकते हैं।
भोपाल के नवाब और पटौदी पैलेस की कहानी
दरअसल 1947 तक भोपाल एक रियासत थी और नवाब हमीदुल्ला खान इसके आखिरी नवाब थे। नवाब साहब की तीन बेटियां थीं। उनकी सबसे बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान 1950 में पाकिस्तान चली गई थीं। उनकी दूसरी बेटी साजिदा सुल्तान भारत में ही रहीं और उन्होंने नवाब इफ्तिखार अली खान पटौदी से शादी की। जो सैफ अली खान के दादा थे।
हालांकि, ये शादी ऐसे ही नहीं हो गई, क्योंकि नवाब हमीदुल्ला खान इस शादी के लिए राजी नहीं थे, तो अपने ससुर को मनाने के लिए सैफ के दादा ने पटौदी पैलेस बनवाया था। सैफ अली खान की बहन और एक्ट्रेस सोहा अली खान ने खुद ये पूरी कहानी सुनाई थी।
पैसा खत्म होने की वजह से बीच में रुका निर्माण
Housing.com के साथ हाल ही में एक इंटरव्यू में, सोहा ने पैलेस के इतिहास के बारे में बताया कि उनकी दादी साजिदा सुल्तान भोपाल की बेगम थीं और उनके दादा पटौदी के नवाब थे। वह कई सालों से उनसे प्यार करते थे, लेकिन उनके पिता नहीं चाहते थे कि पटौदी के नवाब से उनकी बेटी की शादी हो।
सोहा ने कहा कि तब उनके दादा ने अपने ससुर को प्रभावित करने लिए पटौदी पैलेस बनवाया था। उन्होंने बताया, "उन्होंने इसे 1935 में बनवाया था, ताकि वे शादी कर सकें। वह अपने ससुर को प्रभावित करना चाहते थे, लेकिन इसे बनवाने के बीच में ही उनके पास पैसे खत्म हो गए! इसलिए जब आप वहां जाएंगे, तो आप देखेंगे कि वहां बहुत सारे कालीन हैं और उनमें से कुछ के नीचे संगमरमर का फर्श है, लेकिन उनमें से बहुत से में नॉर्मल सीमेंट का फर्श है, क्योंकि उनके पास पैसे खत्म हो गए थे।"
शर्मिला टैगोर रखती हैं प्रॉपर्टी का पूरा हिसाब-खिताब
उन्होंने यह भी बताया कि उनकी मां शर्मिला टैगोर ही सभी खातों का मैनेजमेंट संभालती हैं। उन्होंने कहा, "मेरी मां अपने हिसाब-किताब के साथ बैठती हैं, उन्हें डेली खर्च और मासिक खर्च का पता है। उदाहरण के लिए, हम पटौदी पैलेस पर सफेद रंग से पुताई कराते हैं, इसे किसी और से नहीं रंगवाते, क्योंकि वो बहुत मंहगा पड़ता है और हमने लंबे समय से कुछ भी नया नहीं खरीदा है। यह उस जगह की वास्तुकला है, जो बेहद खूबसूरत हैं।"
सैफ अब इस महल का इस्तेमाल समर होम की तरह करते हैं और अक्सर इसे फिल्म की शूटिंग के लिए लीज पर भी देते हैं।
सैफ अक्सर परिवार के पटौदी पैलेस को फिर से हासिल करने के बारे में बात करते रहे हैं, जिसे उनके पिता दिवंगत मंसूर अली खान पटौदी ने एक होटल चेन को लीज पर दे दिया था।
सैफ ने कहा था, "मेरे पिता ने इसे किराए पर दे दिया था और फ्रांसिस (वाक्ज़ियार्ग) और अमन (नाथ), जो वहां एक होटल चलाते थे, उन्होंने प्रॉपर्टी की अच्छी देखभाल की। मेरी मां (शर्मिला टैगोर) का वहां एक कॉटेज है और उसमें वह बहुत खुश रहती हैं।"
सैफ ने 2021 में बॉलीवुड हंगामा को दिए एक इंटरव्यू में कहा, “मुझे इसे वापस खरीदने की जरूरत नहीं पड़ी, क्योंकि यह पहले से ही मेरे पास था।”
किस आधार पर पटौदी प्रॉपर्टी घोषित हुई शत्रु संपत्ति?
वहीं केंद्र सरकार अब इस आधार पर पूरी प्रॉपर्टी को शत्रु संपत्ति घोषित कर रही है कि भोपाल के नवाब की बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान 1950 में पाकिस्तान चली गई थीं, इसलिए उनकी इस पूरी प्रॉपर्टी के शत्रु संपत्त घोषित किया गया है।
शत्रु संपत्ति कानून के प्रावधान कहते हैं कि देश के बंटवारे के बाद पाकिस्तान चले गए लोगों की प्रॉपर्टी को शत्रु संपत्ति घोषित कर सरकार उसे अपने कब्जे में ले सकती है। इसे 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद 1968 में लागू किया गया था।
2014 में शत्रु संपत्ति विभाग के संरक्षक ने एक नोटिस जारी कर भोपाल में पटौदी परिवार की प्रॉपर्टी को "शत्रु संपत्ति" घोषित किया था। हालांकि, ये विवाद 2016 में तब और भी बढ़ गया, जब भारत सरकार ने एक अध्यादेश जारी किया, जिसमें साफ-साफ कहा गया था कि वारिसों का पटौदी परिवार की ऐसी संपत्तियों पर कोई अधिकार नहीं होगा।