Jungle Cry Review: अंडर-14 रग्बी वर्ल्ड कप जीतने की सच्ची कहानी है अभय देओल की यह फिल्म

एक्टिंग की बात करें तो अभय देओल रूद्र की भूमिका में फिट बैठते हैं, जबकि रोशनी की भूमिका में एमिली शाह ने भी अपनी छाप छोड़ी है। सपोर्टिंग रोल में अतुल कुमार, स्टीवर्ट राइट और अन्य को मिस नहीं किया जा सकता है

अपडेटेड Jun 02, 2022 पर 2:13 PM
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2007 अंडर- 14 रग्बी वर्ल्ड कप की सच्ची कहानी पर यह फिल्म आधारित है

फिल्म: जंगल क्राई

कास्ट: अभय देओल, एमिली शाह

डायरेक्टर: सागर बेल्लारी

रेटिंग: 3.5 स्टार्स

बॉलीवुड में स्पोर्ट्स ड्रामा अक्सर जाने माने स्टार्स प्लेयर्स पर बनाए जाने का ट्रेंड है। हालांकि, इससे बाहर निकलते हुए 'जंगल क्राई' के मेकर्स ने 12 ऐसे रग्बी प्लेयर्स की कहानी को पर्दे पर उतारा है, जिन्होंने अपनी चाह से अपनी मंजिल तक पहुंचने की राह पाई है। फिल्म की कहानी 12 अंडरडॉग की है, जिन्हें पहले फुटबॉल खेलने के लिए चुना जाता है, लेकिन बाद में उनकी किस्मत उन्हें इंग्लैंड के रग्बी वर्ल्ड कप ले जाती है। 2007 अंडर -14 रग्बी वर्ल्ड कप की सच्ची कहानी पर आधारित यह फिल्म इंडिया की टीम द्वारा सभी के उम्मीद से उलट शानदार प्रदर्शन की एक खूबसूरत यात्रा है।


फिल्म में रूद्र (अभय देओल) अपना घर, नौकरी को छोड़कर कलिंगा इंस्टिट्यूट के फाउंडर डॉ सामंत (अतुल कुमार) के साथ मिलकर कुछ ऐसे लड़को की तलाश करता है, जो फुटबॉल खेल सके। वह उन्हें ट्रेनिंग देता है, ताकि अगले साल होने वाले मैच में वह अच्छा परफॉर्म कर सकें। हालांकि, किस्मत को कुछ और मंजूर होता है और इस तरह से फिल्म में रग्बी कोच पॉल (स्टीवर्ट राइट) की एंट्री होती है। पॉल सिर्फ 4 महीनो बाद इंग्लैंड में होने वाले रग्बी वर्ल्ड कप के लिए एक टीम की तलाश कर रहा होता है।

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कहानी यहां से एक अलग मोड़ लेती है। दरअसल, पॉल की एंट्री के साथ रूद्र द्वारा बनाई गई फुटबॉल टीम को डॉ. सामंत की सहमति से रग्बी सिखने के लिए पॉल के अंडर डाल दिया जाता है। डॉ. सामंत के इस कदम से रूद्र खुश नहीं होता और वह वहां से जाने का फैसला करता है। हालांकि, प्लेयर्स के ग्रोथ को देख रूद्र अपना फैसला बदल देता है। इस तरह से कहानी के आगे बढ़ने के साथ प्लेयर्स टूर्नामेंट के लिए क्वालीफाई कर लेते हैं। लेकिन, 4 महीने से लड़को के पीछे मेहनत करने वाले पॉल की तबीयत ऐन मौके पर खराब हो जाती है।

इस तरह से प्लेयर्स को इंग्लैंड ले जाने का जिम्मा रूद्र पर आता है और वह उसे बखूबी निभाता है। रग्बी वर्ल्ड कप में पहुंचते ही फिल्म में टीम की फिजिकल थेरेपिस्ट रोशनी (एमिली शाह) की एंट्री होती है। रोशनी रूद्र के साथ मिलकर टीम को हर एक मौके पर प्रोत्साहित कर के आगे बढ़ने के लिए उनके मनोबल को बढ़ाती है।

फिल्म में यह देखना दिलचस्प है कि कैसे 12 अंडरडॉग जो खेल के बारे में 4 महीने पहले तक कुछ नहीं जानते थे, वह वर्ल्ड कप में अपना लोहा मनवाते हैं। ऐसे में वह रग्बी के इस खेल में कहां तक पहुंचते हैं और किन परेशानियों से निकलकर आगे बढ़ते हैं। इन सभी रोमांचक पहलुओं को जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।

सागर बेल्लारी के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म में दिया गया रॉ टच इसकी सबसे बड़ी खासियत है। एक्टिंग की बात करें तो अभय देओल रूद्र की भूमिका में फिट बैठते हैं, जबकि रोशनी की भूमिका में एमिली शाह ने भी अपनी छाप छोड़ी है। सपोर्टिंग रोल में अतुल कुमार, स्टीवर्ट राइट और अन्य को मिस नहीं किया जा सकता है। प्लेयर की भूमिका में देखे गए सभी कलाकारों ने भी शानदार प्रदर्शन किया है।

फिल्म अपने आप में अपनी अलग और रियल कहानी की वजह से बेहद खास है। इसमें ग्लैमर के तड़के की जगह पर्दे पर असलियत का आईना दिखाने की कोशिश की गई है। ऐसे में किसी भी फिल्म लवर द्वारा इसे मिस करना नामुमकिन है।

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