'मैं अफ़साने को हक़ीकत में बदलते देखना चाहती थी इसलिए',...हिंदी सिनेमा की सबसे ऐतिहासिक मूवी मुगल-ए-आजम में ये अनारकली का पहला डॉयलॉग था। इस फिल्म में मधुबाला ने आनारकली का रोल निभाकर उस किरदार को अमर कर दिया। बॉलीवुड की सबसे खूबसूरत एक्ट्रेसेस में शुमार रहीं मधुबाला को गुजरे 55 बरस से ज्यादा हो गए हैं। 23 फरवरी 1969 को महज 36 साल की उम्र में मधुबाला ने दुनिया को अलविदा कह दिया था। मधुबाला, अपनी खूबसूरती और बेहतरीन अभिनय के लिए जानी जाती थीं। लेकिन उनकी मुस्कान और चमकती आंखों के पीछे एक दर्द भरी जिंदगी छिपी थी। मधुबाला को एक गंभीर बीमारी ने घेर लिया था, जिससे उनकी हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती गई। मधुबाला एक समय में बॉलीवुड की टॉप एक्ट्रेस मानी जाती थीं, आखिरी वक्त में इंडस्ट्री के लोग उनसे मिलने तक नहीं जाते थे।
ऐसे बीते मधुबाला के आखिरी दिन
मधुबाला अपने आखिरी दिनों में अकेलेपन और तकलीफों से जूझती रहीं, जो उनके चमचमाते करियर और स्टारडम से बिल्कुल अलग था। उनकी जिंदगी की यह दर्दभरी कहानी आज भी लोगों के दिलों को छू जाती है।मधुबाला जन्मजात दिल की बीमारी (वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट) से जूझ रही थीं। उनकी हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती गई, और उन्हें न सिर्फ बीमारी की दर्द बल्कि इमोशनल तकलीफों का भी सामना करना पड़ा। उनकी बहन के मुताबिक, बीमारी ने उन्हें पूरी तरह कमजोर कर दिया था और वह अपनी पुरानी पहचना की मात्र परछाईं बन कर रह गईं थीं।
मधुबाला नहीं चाहती थी किसी से मिलना
बीमारी के दौरान मधुबाला ने लोगों से मिलना-जुलना बंद कर दिया था क्योंकि वह नहीं चाहती थीं कि कोई उन्हें उस हाल में देखे। आईने में खुद को देखकर वह अक्सर कहतीं, "देखो मैं क्या से क्या हो गई! अगर लोगों ने मेरी हालत देखी तो मैं और रो दूंगी।" उनकी ये बातें उनके दर्द और अकेलेपन को बयां करती हैं। मधुबाला की बीमारी का पहला संकेत 1954 में फिल्म 'बहुत दिन हुए' की शूटिंग के दौरान मिला, जब उन्होंने ब्रश करते समय खून थूक दिया। डॉक्टरों ने उन्हें दिल की बीमारी होने का पता लगाया, लेकिन इसके बावजूद वह लगातार काम करती रहीं। उन्होंने 'मुगल-ए-आज़म' (1960) जैसी क्लासिक फिल्मों में अपनी अदाकारी से लोगों का दिल जीत लिया। इस फिल्म में उन्होंने कठिन सीन किए, भले ही उनकी तबीयत बिगड़ती जा रही थी। उनकी काम के प्रति समर्पण की मिसाल दी जाती है, लेकिन उनका शरीर इस संघर्ष को सहन नहीं कर सका।
तकलीफों की तरह रहीं शादियां
दिलीप कुमार के साथ उनका रिश्ता टूटने के बाद मधुबाला ने 1960 में किशोर कुमार से शादी की। लेकिन यह शादी भी उनकी उम्मीदों के मुताबिक नहीं रही। उनकी बहन मधुर के अनुसार, किशोर कुमार ने बीमारी के वक्त उन्हे, उनके पिता के घर छोड़ दिया क्योंकि वह अपने व्यस्त करियर के चलते उनकी देखभाल नहीं कर सके। इस अकेलेपन ने मधुबाला की हालत को और खराब कर दिया। वह इमोशनल सहारे और साथ की तलाश में थीं, लेकिन उन्हें अपनी लड़ाई अकेले ही लड़नी पड़ी।
मुझपर पैसा मत खर्च करो...
बीमारी के दौरान मधुबाला की तबीयत तेजी से बिगड़ने लगी और वह अपने ही घर में जैसे कैद हो गईं। उनका शरीर कमजोर हो चुका था और उनकी चमक भी फीकी पड़ गई थी। इसके बावजूद, उन्होंने अपने परिवार पर बोझ बनने से इनकार कर दिया। वह खुद ही नहातीं, खुद ही खाना खातीं और यहां तक कि परिवार से कहतीं कि उनकी देखभाल पर पैसा बर्बाद न करें। उनके पास हमेशा ऑक्सीजन सिलेंडर रखा जाता था, क्योंकि उन्हें सांस लेने में दिक्कत होती थी। वह अक्सर कहतीं, "मुझ पर पैसे मत खर्च करो। मैं बचने वाली नहीं हूं। घर में कमाने वाला भी तो कोई और नहीं है।" उनकी यह बातें उनके दर्द और हालात को बयां करती थीं।