'मैं मुंबई में फुटपाथ पर सोया' दादा साहब फाल्के पुरस्कार मिलने पर मिथुन चक्रवर्ती ने याद किए अपने संघर्ष के दिन

Mithun Chakraborty: अभिनेता से नेता बने मिथुन ने इस सम्मान पर खुशी जताई और याद किया कि कैसे उन दिनों उन्होंने पैसे नहीं होने के चलते एक पत्रकार से खाना मांगा था, और आज इस मुकाम को हासिल किया। आइए पढ़िए मिथुन चक्रवर्ती से खास बातचीत को कुछ अंश

अपडेटेड Sep 30, 2024 पर 6:19 PM
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दादा साहब फाल्के पुरस्कार मिलने पर मिथुन चक्रवर्ती ने याद किए अपने संघर्ष के दिन

दिग्गज अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती ने सोमवार को अपना दादा साहब फाल्के पुरस्कार अपने फैंस और समर्थकों को समर्पित किया। उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में अपने शुरुआती दिनों के संघर्ष को भी याद किया। मिथुन इन दिनों कोलकाता में अपनी नई फिल्म की शूटिंग कर रहा हैं। उनके हाथ में चोट लगी है, लेकिन फिर भी वह अपना बेस्ट देने से पीछे नहीं हटे।

News18 से बात करते हुए, अभिनेता से नेता बने मिथुन ने इस सम्मान पर खुशी जताई और याद किया कि कैसे उन दिनों उन्होंने पैसे नहीं होने के चलते एक पत्रकार से खाना मांगा था, और आज इस मुकाम को हासिल किया। आइए पढ़िए इस खास बातचीत को कुछ अंश

आप कैसा महसूस कर रहे हो?


मेरे पास सभी को धन्यवाद देने के लिए शब्द नहीं हैं। मुझे ऐसा लगता है कि न तो मैं हंस सकता हूं, न ही रो सकता हूं। मुझे अब भी याद है कि कैसे मैं एक बार मुंबई के फुटपाथ पर सोया था। मुझे हर चीज़ के लिए लड़ना पड़ा। आज जब मुझे यह सम्मान दिया जा रहा है, तो मुझे अभी भी इस पर विश्वास नहीं हो रहा है।

आप यह पुरस्कार किसे समर्पित करते हैं?

मैं इसे अपने सभी फैंस और मेरी फिल्में देखने वाले लोगों को समर्पित करता हूं। मैं इसे अपने परिवार को भी समर्पित करना चाहूंगा, जो लगातार मेरे साथ खड़े रहे।

आप अपनी यात्रा को कैसे देखते हैं?

मैंने सड़कों से शुरुआत की, खुले आसमान के नीचे अनगिनत रातें बिताईं। शुरुआत में मैंने सी-ग्रेड फिल्मों में काम किया और फिर बी-ग्रेड में चला गया। जब मुझे अपना पहला नेशनल अवॉर्ड मिला, तो एक पत्रकार ने इंटरव्यू के लिए मुझसे संपर्क किया। मैंने उससे कहा कि मैं भूखा हूं, क्योंकि मेरे पास खाना खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं और वह इतना दयालु था कि उसने मुझे खाने के लिए कुछ दिया।

आज मुझे चार टाइम खाना मिलता है। मैंने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन कला के प्रति जुनून और संघर्ष ही मेरे हथियार हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आपको बधाई दी है

मैं प्रधानमंत्री से प्यार करता हूं, वह एक अद्भुत व्यक्ति हैं। मैं उनसे कई बार मिल चुका हूं। अगर उन्होंने मुझे शुभकामनाएं दी हैं, तो मैं उन्हें अपना 'प्रणाम' भेजता हूं।

सभी राजनेताओं ने आपको शुभकामनाएं दी हैं। कुणाल घोष ने कहा कि आपको प्रणब मुखर्जी और ममता बनर्जी को याद रखना चाहिए, क्योंकि प्रणब मुखर्जी ने एक बार आपको पद्मश्री के लिए सिफारिश करते हुए लिखा था, जबकि ममता ने आपको राज्यसभा सांसद बनाया था।

हां, मैं मुझे याद है। तृणमूल कांग्रेस छोड़ना मेरी पसंद थी। बीजेपी ने भी मुझे चुनाव लड़ने के कई मौके दिए लेकिन, मैंने हमेशा इनकार कर दिया। मैं कभी भी अभिनय को राजनीति के साथ नहीं जोड़ता।

कुछ लोग आपके इस सम्मान को आपके BJP से जुड़ाव से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। आपकी क्या प्रतिक्रिया है?

मैं कुछ नहीं कहूंगा। मैंने कभी किसी का एहसान नहीं लिया और भविष्य में भी ऐसा नहीं करूंगा।

इस वक्त बंगाल में हर कोई आरजी कर रेप और मर्डर केस की बात कर रहा है, आपका क्या ख्याल है?

न्याय जरूर होना चाहिए। यह इतना जघन्य अपराध है।

न्यू कमर्स के लिए आपका क्या मैसेज है?

तब तक लड़ें, जब तक आपका लक्ष्य हासिल न हो जाए। अगर मैं यह कर सकता हूं, तो कोई भी यह कर सकता है, बस उनमें जुनून हो।

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First Published: Sep 30, 2024 6:19 PM

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