हिंदी सिनेमा जगत के पहले शो मैन कहे जाने वाले राज कपूर की 14 दिसंबर को 100वीं जयंती है। राज कपूर की जयंती से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कपूर खानदान के लोगों से मुलाकात की है जिसके वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुलाकात के दौरान राजकपूर की फिल्मों की लोकप्रियता को देश की ‘सॉफ्ट पावर’ से जोड़ा। इस नजरिये से राज कपूर की फिल्मों और उसकी लोकप्रियता की व्याख्या शायद पहली बार की गई है।
जन्मशती पर राज कपूर चर्चा में हैं तो यह जानना बेहद जरूरी है कि उनका पैदाइशी नाम कुछ और था। भारतीय सिनेमा का वह दौर ही कुछ ऐसा था जब कई कलाकार अपने असली नाम से इतर फिल्मी नाम से मशहूर हुए। इसमें दिलीप कुमार (यूसुफ खान), देवानंद (धरमदेव पिशोरीमल आनंद) जैसे महान कलाकार शामिल हैं। दिलीप-देव-राज के नाम से मशहूर इस त्रयी का हिस्सा राज कपूर भी थे और उनका भी असली नाम कुछ अलग था।
सृष्टिनाथ कपूर था शो-मैन का असल नाम
3 राष्ट्रीय, 11 फिल्मफेयर पुरस्कार जीतने वाले और दुनिया के महानतम हास्य कलाकार चार्लीज चैपलिन से प्रभावित राज कपूर का पैदाइशी नाम सृष्टिनाथ कपूर था। अपनी बेहतरीन परफॉर्मेंस के लिए मशहूर राज कपूर की फिल्म आवारा को 2005 में टाइम मैगजीन ने वर्ल्ड सिनेमा में अब तक की दस सबसे बेहतरीन परफारमेंस में शामिल किया था। सिर्फ भारत ही नहीं राज कपूर की फिल्में एशिया के कई हिस्सों में मशहूर हुईं इसमें पश्चिमी एशिया से लेकर सोवियत संघ के देश शामिल हैं। राज कपूर के पिता पृथ्वीराज कपूर को हिंदी सिनेमा के फाउंडर्स में गिना जाता है लेकिन उनके बेटे ने हिंदी सिनेमा को दुनिया में मशहूर किया। यही वजह कि बेटा अपने असली नाम की बजाए उपनामों से पूरी दुनिया में मशहूर हुआ। उपनाम भी इतने कि हिंदी सिनेमा में शायद ही किसी को मिले हों। राजकपूर को फर्स्ट शोमैन ऑफ बॉलीवुड, चार्ली चैपलिन ऑफ इंडियान सिनेमा, रणबीर राजकपूर, राजसाहब, ग्रेटेस्ट शोमैन के उपनामों से पहचाना और पुकारा जाता रहा है।
चार्लीज चैपलिन भी का रियल नेम था अलग
दिलचस्प बात ये है कि जिन चार्ली चैपलिन को राज कपूर अपना आदर्श मानते थे और फॉलो करते थे, उनका भी असली नाम कुछ और ही था। चार्ली चैपलिन का पैदाइशी नाम सर चार्ल्स स्पेंसर चैपलिन था। The Tramp नाम का चार्ली चैपलिन का जो कैरेक्टर पूरी दुनिया में मशहूर हुआ उसे हिंदी सिनेमा में राज कपूर ने भी पर्दे पर उतारा। और ऐसा अभिनय किया कि दुनिया कायल हो गई। आवारा और श्री 420 फिल्मों में राज कपूर के रोल The Tramp ले प्रभावित थे। आवारा में उनकी परफॉर्मेंस तो दुनिया की सबसे बेहतरीन अदाकारी में शुमार की जाती थी। राज कपूर ने The Tramp के हाव-भाव और चरित्र को बिल्कुल भारतीय अंदाज में जिया था।
बाल कलाकार के रूप में शुरू किया था करियर
1935 में बाल कलाकार के रूप में इंकलाब फिल्म में काम करने की शुरुआत करने वाले राज कपूर ने 1947 में नील कमल फिल्म से एक्टिंग डेब्यू किया था। करीब डेढ़ दशक एक्टर के रूप में छाए रहने के बाद उन्होंने एक डायरेक्टर के रूप में मेरा नाम जोकर जैसी क्लासिक फिल्म बनाई। इस फिल्म के फ्लॉप होने की वजह से राज कपूर का प्रोडक्शन हाउस बिल्कुल दिवालिया होने की कगार पर आ गया था। वक्त बीता तो लोगों को फिल्म समझ में आई और फिर अब इसे कल्ट फिल्मों में शुमार किया जाता है। ऐसे थे राजकपूर!
आखिरी फिल्म साबित हुई हिना
अपनी फिल्मों को तस्वीर कहकर पुकारने वाले राजकपूर का देहांत 1988 में हुआ था। उस दिन उन्हें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजा जाना था। कार्यक्रम में ही वह अचेत हो गए थे। एम्स में चले एक महीने के इलाज के दौरान भी उन्हें बचाया नहीं जा सका। जब राजकपूर की मृत्यु हुई तब वो हिना नाम की फिल्म बना रहे थे जिसमें पाकिस्तानी एक्स्ट्रेस जेबा बख्तियार ने एक्टिंग की थी। इस फिल्म को बाद में राज साहब के बेटे राज कपूर और रणधीर कपूर ने पूरा किया।
फिल्म की एक कव्वाली ‘कब आओगे’ बेहद मशहूर है। अक्सर रेडियो फरमाइश पर बजाई जाती है। साबरी ब्रदर्स ने गाया है। मौका मिले तो सुनें और राज साहब को याद करें। या फिर यूट्यूब पर आवारा फिल्म के ‘आवारा हूं’ गाने को भी सुन-देख सकते हैं। मुकेश की आवाज, शंकर जयकिशन के संगीत में राज कपूर की एक्टिंग देखें। नई पीढ़ी को जरूर जानना चाहिए कि कैसे एक्टिंग करता था देश का ‘ग्रेटेस्ट शो मैन’।