Farmers Delhi March: अब क्यों सड़कों पर उतरे हैं किसान, इसबार क्या हैं उनकी मांग? जानें सब कुछ
Delhi Farmers Protest: दिल्ली में अभी और भी ज्यादा विरोध प्रदर्शन देखने को मिल सकते हैं, क्योंकि किसान मजदूर मोर्चा (KMM) और संयुक्त किसान मोर्चा (SKM, गैर-राजनीतिक) के सदस्य 6 दिसंबर से मार्च शुरू करेंगे। इसके अलावा केरल, उत्तराखंड और तमिलनाडु में भी किसान संगठन उसी दिन विधान सभाओं की ओर प्रतीकात्मक मार्च करेंगे
Farmers Delhi March: अब क्यों सड़कों पर उतरे हैं किसान, इसबार क्या हैं उनकी मांग? जानें सब कुछ
दिल्ली में आज भारी ट्रैफिक जाम लग रहा है, क्योंकि किसान संगठन अपनी मांगों को लेकर दबाव बनाने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में 2 दिसंबर से विरोध प्रदर्शन के लिए सड़कों पर उतरे हैं। भारतीय किसान परिषद (BKP) सुकबीर खलीफा ने कहा कि दिल्ली की ओर मार्च 2 दिसंबर को लगभग 12 बजे शुरू होगा। खलीफा ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया, "दोपहर तक, हम वहां पहुंचेंगे और नए कानूनों के अनुसार अपने मुआवजे और लाभ की मांग करेंगे।"
दिल्ली में अभी और भी ज्यादा विरोध प्रदर्शन देखने को मिल सकते हैं, क्योंकि किसान मजदूर मोर्चा (KMM) और संयुक्त किसान मोर्चा (SKM, गैर-राजनीतिक) के सदस्य 6 दिसंबर से मार्च शुरू करेंगे। इसके अलावा केरल, उत्तराखंड और तमिलनाडु में भी किसान संगठन उसी दिन विधान सभाओं की ओर प्रतीकात्मक मार्च करेंगे।
अब क्या है इन किसानों की मांग?
- प्रदर्शनकारी किसान कर्ज माफी, किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं, पुलिस केस को वापस लेने और 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए "न्याय", भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2023 की बहाली और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं।
- वे पुराने अधिग्रहण कानून के तहत 10 फीसदी प्लॉट और 64.7 फीसदी बढ़ा हुआ मुआवजा यानी बाजार दर से चार गुना ज्यादा मुआवजा और 1 जनवरी 2014 के बाद अधिग्रहीत जमीन पर 20 फीसदी प्लॉट का आवंटन चाहते हैं।
- वे यह भी चाहते हैं कि भूमिहीन किसानों के बच्चों को रोजगार और पुनर्वास लाभ और आबादी वाले इलाकों का उचित निपटान प्रदान किया जाए।
- फरवरी में, केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने दूसरे मंत्रियों के साथ किसान समूहों से मुलाकात की, जिन्होंने पांच साल के लिए MSP सरकारी एजेंसियों पर दाल, मक्का और कपास खरीदने के केंद्र के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।
किसानों की आगे की क्या योजन हैं?
किसान मजदूर संघर्ष समिति (KMSC) के महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि शंभू सीमा (पंजाब-हरियाणा सीमा) पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान 6 दिसंबर को दूसरे किसानों के साथ शामिल हो जाएंगे। ये किसान 13 फरवरी से शंभू और खनौरी सीमा बिंदुओं पर डेरा डाले हुए हैं। इन्होंने दिल्ली की ओर मार्च करने की कोशिश की थी, लेकिन सीमाओं पर तैनात सुरक्षा बलों ने रोक दिया था।
सतनाम सिंह पन्नू, सुरिंदर सिंह चौटाला, सुरजीत सिंह फूल और बलजिंदर सिंह किसान नेताओं के पहले "जत्थे" का नेतृत्व करेंगे। किसान रोजाना सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक दिल्ली की ओर "शांतिपूर्ण" मार्च का नेतृत्व करेंगे। वे अपनी जरूरत का सामान ले जाएंगे और सड़क पर ही रातें गुजारेंगे।
ट्रैफिक रूट में क्या हुआ बदलाव?
दिल्ली पुलिस ने भारी वाहनों पर रोक लगा दी है और ट्रैफिक रूट में बदलाव किया है। वे सभी प्रमुख नोएडा-दिल्ली सीमाओं पर कड़ी जांच कर रहे हैं। मालवाहक वाहनों को यमुना एक्सप्रेसवे से नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे के जरिए दिल्ली तक और परीचौक के जरिए सिरसा से सूरजपुर तक जाने वाले रूट पर रोक दिया जाएगा।
पैसेंजर गाड़ियों के लिए वैकल्पिक रूट कुछ इस तरह से हैं:
• चिल्ला बॉर्डर से ग्रेटर नोएडा: सेक्टर 14-A फ्लाईओवर से गोलचक्कर चौक सेक्टर-15 से संदीप पेपर मिल चौक से झुंझुपुरा चौक तक।
• DND बॉर्डर से दिल्ली: फिल्म सिटी फ्लाईओवर से सेक्टर-18 से एलिवेटेड रोड तक।
• कालिंदी बॉर्डर से दिल्ली: महामाया फ्लाईओवर से सेक्टर 37 तक
• यमुना एक्सप्रेसवे ट्रैफिक: जेवर टोल से खुर्जा से जहांगीरपुर तक एग्जिट
• पेरिफेरल एक्सप्रेसवे ट्रैफिक: दादरी या डासना निकास का उपयोग करने के लिए सिरसा एग्जिट से बचें