दिवालिया मामलों के निपटारे में तेजी लाने के लिए सरकार NCLT में बड़ा बदलाव करने जा रही है। किसी कंपनी ने डिफाल्ट किया है या नहीं इसे साबित करने के लिए क्रेडिटर्स को लंबी मशकक्त करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। हमारे सहयोगी चैनल सीएनबीसी-आवाज़ को खास सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बदलाव के बाद NSDL के डेटा को ही कंपनी के डिफॉल्ट साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत माना जाएगा। आज के समय में कंपनी के डिफॉल्ट को प्रूव करने में काफी लंबा समय लगता है। कानूनी प्रक्रिया के लंबे खिंचने से परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसलिए सरकार द्वारा प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए एनसीएलटी में बदलाव करने का मन बनाया गया है।
NSDL के आंकड़े ही माने जाएंगे सबूत
इस खबर पर ज्यादा जानकारी देते हुए सीएनबीसी-आवाज़ के आलोक प्रियदर्शी ने सूत्रों के हवाले से कहा कि NCLT कानून में बदलाव होने जा रहा है। दिवालिया मामला दर्ज होने में अब देरी नहीं होगी। कंपनी के डिफॉल्ट होने पर NSDL (National Securities Depository Limited) के आंकड़े ही अब से सबूत माने जाएंगे।
सूत्रों के मुताबिक ऐसा होने पर अब वित्तीय क्रेडिटर्स को डिफॉल्ट साबित करने में आसानी होगी। NSDL के आंकड़ों को सबूत माने जाने से NCLT सभी पक्षों को सुनने की लंबी कार्रवाई से बचेगी। नए बदलाव से IBC के तहत मामले जल्द NCLT में आ पाएंगे।
आलोक प्रियदर्शी ने आगे कहा कि सूत्र बता रहे हैं कि ऐसे मामलों को तेजी से निपटाने के लिए MCA (Ministry of Corporate Affairs) नियम बना रहा है। MCA द्वारा बनाये गये नये नियमों को NCLT की नई ड्राफ्ट गाइडलाइन में शामिल किया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक बैंकों के सुझाव पर MCA, DFS सचिव के बीच बैठक में फैसला हुआ है।