दुनिया का तीसरा सबसे महंगा मसाला है हरी इलाइची, कहा जाता है क्वीन ऑफ स्पाइस, जानिए आखिर क्या है वजह

हरी इलाइची केसर और वैनिला के बाद दुनिया के सबसे महंगे मसालों में से एक है। हरी इलाइची के महंगे होने के पीछे सबसे बड़ी वजह है इसको उगाने के पीछे लगने वाली मेहनत। बता दें कि एक किलो ग्राम हरी इलाइची को तैयार करने के लिए 6 किलो ग्राम कच्ची फली को हाथ से इकट्ठा किया जाता है। इसकी हर एक फली को हाथ से ही तोड़ा जाता है

अपडेटेड Mar 04, 2023 पर 8:24 PM
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दुनिया का तीसरा सबसे महंगा मसाला है हरी इलाइची, कहा जाता है क्वीन ऑफ स्पाइस, जानिए आखिर क्या है वजह

छोटी या हरी इलाइची (Green cardamom) हमारे किचन में मौजूद सबसे अहम मसालों में से एक है। मिठाई बनाने में चाय बनाने में या फिर माउथ फ्रेशनर के तौर पर छोटी इलाइची का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा छोटी इलाइची का इस्तेमाल खाना बनाने या फिर नॉन वेज डिशेस में भी किया जाता है। बता दें कि भारत हरी इलाइची का सबसे बड़ी उत्तपादक देश है हालांकि फिर भी यहां पर इसकी कीमत काफी ज्यादा है। भारत के कई जगहों पर हरी इलाइची की कीमत शुरुआती कीमत 1000 रुपये किलो तक भी है।

काफी महंगी होती है हरी इलाइची

बता दें कि हरी इलाइची केसर और वैनिला के बाद दुनिया के सबसे महंगे मसालों में से एक है। हरी इलाइची के महंगे होने के पीछे सबसे बड़ी वजह है इसको उगाने के पीछे लगने वाली मेहनत। बता दें कि एक किलो ग्राम हरी इलाइची को तैयार करने के लिए 6 किलो ग्राम कच्ची फली को हाथ से इकट्ठा किया जाता है। इसकी हर एक फली को हाथ से ही तोड़ा जाता है। बेचने से पहले इसकी कच्ची फलियों को लगभग 18 घंटे तक सुखाया जाता है।


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हरी इलाइची को कहा जाता है मसालों की रानी

बता दें कि हरी इलाइची को मसालों की रानी भी कहा जाता है। हरी इलाइची के प्लांट को किसी बड़े पेड़ के नीचे उगाया जाता है। एक बार उगाने के बाद इसका पौधा तीन साल बाद फल देना शुरू करता है। इसके फलों को केवल केवल अनुभवी लोगों के द्वारा ही तोड़ा जाता है। अगर फल को पहले ही पेड़ से तोड़ दिया गया तो इससे अच्छा स्वाद और सुगंध नहीं मिलेगा। बता दें कि इलाइची की हार्वेस्टिंग में भी काफी ज्यादा मेहनत लगती है।

इलाइची के फल को पकने में लगता है एक साल तक का वक्त

बता दें कि इलाइची के फलों को पॉड्स कहा जाता है। इलाइची के फल में तीन साल के लंबे इंतजार के बाद फल लगते हैं और इन फलों यानी पॉड्स को पकने में भी लगभग एक साल तक का वक्त लग जाता है। साथ इन फलों को तोड़ने के लिए खास तरह के मजदूर काम में लगाए जाते हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि इलाइची के कच्चे और पके दोनों ही फल देखने में एक जैसे ही लगते हैं। जिस वजह से इनको तोड़ने का काम केवल उनको दिया जाता है जो कि इसमें एक्सपर्ट हैं। भारत में इलाइची की कीमत 1000 रुपये से शुरू होकर 5 से 6 हजार रुपये किलो तक भी जाती है। यहां तक कि विदेशों में भी इसकी कीमत 90 डॉलर तक हो सकती है। यानी अगर भारतीय रुपयों में ये हिसाब लगाया जाय तो यह कीमत लगभग 8-9 हजार रुपये तक हो सकती है।

Abhishek Nandan

Abhishek Nandan

First Published: Mar 04, 2023 8:24 PM

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