उत्तर भारत के ज्यादातर राज्य इन दिनों भीषण गर्मी की चपेट में हैं। लू लगने के चलते देश के अलग-अलग राज्यों में मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गर्मी से लोगों के हाल बेहाल हैं। गर्म हवाओं के थपेड़ों से कई लोगों की हालत खराब हो गई है। भीषण गर्मी की वजह से राजधानी में अब तक कम से कम 34 लोगों की मौत हो गई है। इसमें ज्यादातर लोग हीटस्ट्रोक से पीड़ित थे। दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि पिछले 48 घंटों में गर्मी से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित 310 मरीज अस्पतालों में भर्ती हुए हैं।
केंद्र सरकार के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में बीते दो दिन में लू के 22 मरीज भर्ती हुए। इनमें से पांच की मौत हो गई, जबकि 13 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। सफदरजंग अस्पताल में इस महीने लू से परेशान 60 मरीज आए। इनमें से दो की मौत हो गई, जबकि 42 लोगों को भर्ती कराया गया है।
दिल्ली में लू के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली के अस्पतालों ने गर्मी की वजह से होने वाले मौत के आंकड़ों के जानकारी देना बंद कर दिया है। इसके बजाय अस्पताल प्रशासन ने हीट- स्ट्रोक के संदिग्ध मामलों के बारे में बताना शुरू किया है। दिल्ली में ऐसी घटनाएं तब हो रही हैं, जब दिल्ली सरकार ने घोषणा किया है कि वो दिल्ली के सभी अस्पतालों में मौत के सटीक कारण का पता करने के लिए 3 सदस्यों के पैनल का गठन करेगी। बता दें कि दिल्ली में पिछले दो दिनों से गर्मी से पीड़ित मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। सफदरजंग अस्पताल में हीट स्ट्रोक की वजह से 5 लोगों की मौत हो गई है।
दिल्ली के अस्पतालों में तेजी से बढ़ रहे हैं मरीज
वहीं RML अस्पताल में बुधवार को हीट स्ट्रोक के 11 मरीज भर्ती हुए, जबकि गर्मी के कारण बुखार से पीड़ित 36 मरीज भर्ती हुए। दिल्ली सरकार के एलएनजेपी अस्पताल में दो दिन में लू से चार मरीजों की मौत हुई। वहीं, 16 मरीज अस्पताल में भर्ती हैं। एक निजी अस्पताल में गर्मी का प्रकोप बढ़ने के बाद से हर दिन लू के 30 से 35 मामले सामने आए हैं। लोक नायक अस्पताल में 1 से 18 जून तक हीट स्ट्रोक के 66 मामले सामने आए हैं।
इस बीच दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने हीट स्ट्रोक के मरीजों के संबंध में दिल्ली सरकार के अस्पतालों के चिकित्सा अधीक्षकों (Medical Superintendents) और चिकित्सा निदेशकों (Medical Directors) के साथ बैठक की और अस्पतालों को ऐसे मामलों के लिए बिस्तरों की संख्या बढ़ाने का निर्देश दिए हैं।