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HMPV Outbreak : जानलेवा है चीन में फैल रहा नया वायरस! भारत के लिए बनेगा खतरा? जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट

नए साल में चीन में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) तेजी से फैल रहा है. वहीं चीन में ह्यूमन मेटाप्नेयूमो वायरस की वजह से लोगों में डर का माहौल है. विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में HMPV का ज्यादा खतरा नहीं है. यह सामान्य रेस्पिरेटरी वायरस है

अपडेटेड Jan 04, 2025 पर 1:47 PM
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HMPV Virus Outbreak : चीन में फैल रहा नया वायरस भारत के लिए बनेगा खतरा?

Human Metapneumovirus or HMPV Outbreak : साल 2025 के शुरुआत होते ही चीन में नए वायरस ने दस्तक दे दी है. इस वायरस का नाम ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) है और रिपोर्ट्स में इसे कोरोना जैसा वायरस बताया जा रहा है. ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस के लक्षण कोरोना की तरह बताए जा रहे हैं, जिसका असर छोटे बच्चों और बुजुर्गों पर ज्यादा हो रहा है. चीन में फैल रहे इस वायरस को लेकर भारत सरकार भी अलर्ट हो गई है और सारी स्थिति पर बारीकी से नजर रख रही है. वहीं इन सबके बीच भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. रमन गंगाखेडकर ने HMPV को लेकर बड़ी जानकारी दी है.

कितना खतरनाक है HMPV

ICMR के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. रमन गंगाखेड़कर ने बताया कि, ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) को लेकर घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है, जब तक कि कोई वैश्विक स्वास्थ्य एजेंसी इसके जीन में किसी महत्वपूर्ण जेनेटिक म्यूटेशन की रिपोर्ट न करे. उनका कहना है कि इस वायरस के वर्तमान रूप में गंभीर संक्रमण होने की संभावना कम है. डॉ. गंगाखेड़कर का ये बयान, उन लोगों के लिए एक राहत भरी खबर है, जो इस नए वायरस को कोरोना जैसा खतरा मान कर चिंता व्यक्त कर रहे हैं.


कोरोना जैसा है ये नया वायरस?

कोविड-19 पर सरकारी ब्रीफिंग के दौरान भारत की शीर्ष चिकित्सा अनुसंधान एजेंसी का चेहरा रहे गंगाखेडकर ने आगे बताया कि, बिना किसी रिपोर्ट के एचएमपीवी (ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस) को कोरोनावायरस या कोविड-19 के बराबर मानने का कोई कारण नहीं है. उन्होंने बताया कि भले ही एचएमपीवी कई सालों से मौजूद है, लेकिन इन्फ्लूएंजा ए और एच1एन1 जैसी बीमारियों पर शोधकर्ताओं ने ज्यादा काम किया है, क्योंकि ये अधिक घातक हैं. इनके मुकाबले ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस बहुत कम घातक है.

बच्चों को हो सकता है खतरा!

डॉ. गंगाखेड़कर ने कहा, "एचएमपीवी केवल पांच साल से कम उम्र के बच्चों को नुकसान पहुंचा सकता है, जिन्हें अभी तक संक्रमण नहीं हुआ है या जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है. यदि वयस्कों में यह बीमारी लंबे समय तक बनी रहती है, तो निमोनिया होने की संभावना हो सकती है." उन्होंने यह भी कहा कि एचएमपीवी से मृत्यु दर बहुत ज़्यादा नहीं है. मृत्यु दर का ठीक से अध्ययन नहीं किया गया है, क्योंकि इससे शायद ही कभी मौतें हुई हों. डॉ. गंगाखेड़कर ने यह भी बताया कि एचएमपीवी की खोज कई साल पहले हुई थी और अब यह दुनिया भर में फैल चुका है, खासकर सर्दियों के मौसम में इसका ज़्यादातर असर देखा जाता है। वायरस के लक्षणों में बुखार, खांसी और जुकाम शामिल हैं, और यह शायद ही कभी स्वस्थ व्यक्तियों में निमोनिया का कारण बनता है.

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