Deepak Prakash: कौन हैं दीपक प्रकाश? बिहार में बिना चुनाव लड़े नीतीश सरकार में बन गए मंत्री

Bihar Cabinet: जनता दल-यूनाइटेड (JDU) के प्रमुख नीतीश कुमार ने गुरुवार (20 नवंबर) को लगातार 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। नई मंत्रिपरिषद में जातीय आधार पर संतुलन साधने की पूरी कोशिश की गई है। इनमें सबसे अधिक चर्चा दीपक प्रकाश की हो रही है। वह राजनीति में एक अनजान व्यक्ति हैं

अपडेटेड Nov 20, 2025 पर 4:02 PM
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Bihar Cabinet: बिहार में गुरुवार (20 नवंबर) को नीतीश कुमार ने रिकॉर्ड 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनकी नई कैबिनेट में 26 मंत्री शामिल हुए हैं। इनमें सबसे अधिक चर्चा दीपक प्रकाश की हो रही है। वह बिहार की राजनीति में एक अनजान व्यक्ति हैं। रिपोर्ट्स बताती हैं कि वह हाल ही में विदेश से पढ़ाई करके भारत लौटे हैं। कम पब्लिक लाइफ और कम पॉलिटिकल एक्सपोजर के कारण उनके बारे में पब्लिक में बहुत कम जानकारी है। दरअसल, दीपक कुशवाहा राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) के संस्थापक उपेंद्र कुशवाहा के बेटे हैं। वह बिना चुनाव लड़े ही मंत्री बन गए हैं।

दीपक ने बिहार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा था। लेकिन सीट बंटवारे के दौरान हुए समझौतों के तहत उन्हें विधान परिषद कोटे से मंत्री बनाया गया है। शपथ ग्रहण के बाद दीपक ने कहा कि उन्हें दी गई जिम्मेदारी का पूरी तरह अहसास है। वह इसके निर्वहन के लिए संकल्पित हैं। उपेंद्र कुशवाहा चुनाव घोषणापत्र और सीट बंटवारे के दौरान अपनी नाराजगी को सार्वजनिक रूप से व्यक्त करते रहे थे।

पटना में बातचीत विफल रहने के बाद उन्होंने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। इसके बाद यह जानकारी सामने आई कि रालोमो को छह सीटों के अलावा एक अतिरिक्त एमएलसी का वादा भी किया गया था। मंत्रिमंडल में उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता कुशवाहा को शामिल किए जाने की चर्चा भी लंबे समय से चल रही थी।


सासाराम सीट से उनकी 25 हजार से अधिक मतों की जीत ने इन अटकलों को और बल दिया था। हालांकि, अंततः राजनीतिक संतुलन और गठबंधन की रणनीतिक प्राथमिकताओं के कारण दीपक प्रकाश को मंत्रिपरिषद में स्थान दिया गया। उपेंद्र कुशवाहा इस समय राज्यसभा सदस्य हैं। जबकि उनकी पत्नी स्नेहलता विधायक हैं। दीपक के मंत्री बनने से कुशवाहा परिवार की राजनीतिक पकड़ और अधिक मजबूत होती प्रतीत होती है।

पॉलिटिकल जानकारों का कहना है कि दीपक के शामिल होने से NDA के अंदर लव-कुश (कुर्मी-कुशवाहा) जाति का बैलेंस बनाए रखने में मदद मिलेगी। नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा दोनों ही इस सोशल ग्रुप के खास नेता हैं, जो गठबंधन के लिए एक बड़ा वोट बेस रहा है। दीपक की नियुक्ति को कैबिनेट में कुशवाहा के रिप्रेजेंटेशन को मजबूत करने के तौर पर देखा जा रहा है।

बिहार कैबिनेट में भारतीय जनता पार्टी से जहां 14 मंत्री शामिल किए गए हैं। वहीं जेडीयू को आठ मंत्री पद मिले हैं। इसके अलावा लोजपा (रामविलास) को दो तथा राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) को एक-एक मंत्री पद मिला है।

मंत्रिपरिषद में ब्राह्मण समुदाय की हिस्सेदारी में काफी कमी देखने को मिली है। पिछली मंत्रिपरिषद में भाजपा ने मंगल पांडे और नीतीश मिश्रा को शामिल किया था। लेकिन इस बार BJP और JDU ने ब्राह्मण प्रतिनिधित्व को आधे से भी कम कर दिया है। BJP की ओर से केवल मंगल पांडे को जगह मिली है।

राजपूत समुदाय को इस बार सर्वाधिक प्रतिनिधित्व मिला है। BJP ने संजय सिंह टाइगर, श्रेयसी सिंह, लेसी सिंह और संजय सिंह जैसे चार प्रभावशाली नेताओं को शामिल कर अपने पारंपरिक समर्थन आधार को मजबूत करने का संकेत दिया है।

भूमिहार समुदाय के दो प्रमुख चेहरों में विजय कुमार सिन्हा और विजय कुमार चौधरी के माध्यम से गठबंधन ने संतुलन बरकरार रखा है। इससे यह संदेश गया है कि यह समुदाय अब भी सत्ता समीकरण में महत्वपूर्ण है। कायस्थ समुदाय का प्रतिनिधित्व शहरी राजनीति के संदर्भ में महत्वपूर्ण माना जाता है। BJP ने नितिन नवीन को मंत्री बनाकर राजधानी पटना तथा शिक्षित मध्यमवर्गीय मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने का प्रयास किया है।

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बिहार की राजनीति में सबसे प्रभावशाली माने जाने वाले पिछड़ा समूह को NDA ने पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया है। कुशवाहा समुदाय से सम्राट चौधरी उपमुख्यमंत्री हैं। जबकि दीपक प्रकाश को मंत्रिपरिषद में शामिल कर उपेंद्र कुशवाहा की राजनीतिक विरासत को साधने की कोशिश की गई है। यादव समुदाय से रामकृपाल यादव और विजेंद्र प्रसाद यादव को शामिल कर BJP-JDU ने RJD के पारंपरिक वोट बैंक को संदेश देने का काम किया है।

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