अक्टूबर में भारत की कारोबारी गतिविधियां बढ़ी हैं। 24 अक्टूबर को जारी प्रारंभिक आंकड़ों से पता चलता है कि अक्टूबर में भारत की व्यावसायिक गतिविधियों में तेजी आई है। एचएसबीसी फ्लैश इंडिया कम्पोजिट आउटपुट सूचकांक पिछले महीने के 58.3 से बढ़कर 58.6 पर पहुंच गया है। बता दें कि कम्पोजिट आउटपुट सूचकांक पिछले महीने 10 महीनों के निचले स्तर पर रहा था। आज आए आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर मैन्युफैक्चरिंग PMI सितंबर के 56.5 से बढ़कर 57.4 के स्तर पर रही है। वहीं, अक्टूबर में सर्विसेज PMI सितंबर के 57.7 से बढ़कर 57.9 पर रही है।
बता दें कि 50 का स्तर मैन्युफैक्चरिंग गतिविधि में विस्तार और संकुचन के विभाजक रेखा का काम करता है। यानी मैन्युफैक्चरिंग PMI की 50 से ऊपर की रीडिंग मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधि में विस्तार का संकेत देती है। जबकि 50 से नीचे की रीडिंग मैन्युफैक्चरिंग की गतिविधि में संकुचन का संकेत होती है
हाई फ्रिक्वेंसी डेटा ने दूसरी तिमाही में सुस्ती के संकेत दिये हैं। इस अवधि में मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज गतिविधि में कमी आई है। हालांकि, केंद्रीय बैंक और अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने इस वर्ष के लिए भारत के विकास पूर्वानुमान को बरकरार रखा है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी अक्टूबर नीति में वित्त वर्ष 25 के लिए ग्रोथ के लक्ष्य को 7.2 फीसदी पर बरकरार रखा है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी 7 फीसदी के अपने पूर्वानुमान को बरकरार रखा है। आरबीआई के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की अंतिम दो तिमाहियों में आर्थिक गतिविधि में तेजी आने की संभावना है, जिसमें औसत विकास दर 7.4 प्रतिशत रहेगी।
हेडलाइन इंडेक्स लगातार 39 महीनों से विस्तार और संकुचन को अलग करने वाले 50-स्तर से ऊपर रहा है। ये जून 2013 के बाद से सबसे लंबा ग्रोथ का दौर है।
एचएसबीसी की मुख्य भारत अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने कहा,"भारत के फ्लैश मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई ने संकेत दिया कि अक्टूबर में मैन्युफैक्तरिंग इंडस्ट्री ने विकास की गति फिर से हासिल कर ली है। पिछले दो से तीन महीनों में मामूली मंदी के बाद कई सेगमेंट में तेजी आई है। नए ऑर्डर और नए निर्यात ऑर्डर तेजी से बढ़े हैं, जो 2024 के शेष महीनों के लिए औद्योगिक उत्पादन के लिए एक अच्छा संकेत है।"