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India China Talks: भारत और चीन के बीच 16वें दौर में 12 घंटे हुई चर्चा, जानें पूर्वी लद्दाख गतिरोध को लेकर क्या हुई बातचीत

भारत ने चीन से साफ कहा है कि अप्रैल 2020 में जिस तरह की सैन्य स्थिति और परिस्थिति एलएसी पर थी, वैसा ही फिर से हो तभी भारतीय सेना पीछे हटेगी। भारतीय सेना और चीन की ‘पीपुल्स लिबरेशन आर्मी’ के बीच इससे पहले 11 मार्च को वार्ता हुई थी

अपडेटेड Jul 18, 2022 पर 11:22 AM
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पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गतिरोध के कई मसलों को हल करने की कोशिश की गई

India China Talks: भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गतिरोध के बाकी बचे बिंदुओं संबंधी शेष मुद्दों को हल करने के मकसद से रविवार यानी 17 जुलाई को 16वें दौर की उच्चस्तरीय सैन्य वार्ता हुई। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि एलएसी पर भारतीय सीमा की ओर चुशूल मोल्दो बैठक स्थल पर सुबह करीब साढ़े 9 बजे वार्ता शुरू हुई और लगभग 10 बजे समाप्त हुई। बैठक के दौरान भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने अप्रैल 2020 की यथास्थिति बहाल करने पर जोर दिया।

आपको बता दें कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गतिरोध के कई मसलों को हल करने की कोशिश की गई। सूत्रों ने बताया कि भारत ने चीन से एक बार फिर कहा है कि वह पूर्वी लद्दाख में गतिरोध वाले दो क्षेत्रों पर लगाए अपने तंबुओं और अग्रिम इलाकों में तैनात सैनिकों को वापस बुलाए। यही नहीं, भारत ने सामरिक रूप से महत्वपूर्ण देपसांग क्षेत्र में सबसे बड़े गतिरोध वाले इलाके में पट्रोलिंग के अधिकार को बहाल करने को कहा है।

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भारत ने चीन से साफ कहा है कि अप्रैल 2020 में जिस तरह की सैन्य स्थिति और परिस्थिति एलएसी पर थी, वैसा ही फिर से हो तभी भारतीय सेना पीछे हटेगी। ऐसा करने के लिए चीन को इन इलाकों में बने अपने टेंट उखाड़ने होंगे, पक्के बंकर गिराने होंगे और नव निर्मित सैन्य इंफ्रास्ट्रक्चर को तबाह करना होगा। इसमें सबसे महत्वपूर्ण देपसांग प्लेन है, जहां चीनी सेना ने भारतीय सेना के पेट्रोलिंग को लगभग 18 किमी के इलाके में ब्लॉक कर रखा है। देपसांग में पीपी 10, 11,12,12A और 13 भारतीय सेना के पारंपरिक पेट्रोलिंग एरिया रहे हैं।

इससे पहले 11 मार्च को हुई वार्ता

भारतीय सेना और चीन की ‘पीपुल्स लिबरेशन आर्मी’ के बीच इससे पहले 11 मार्च को वार्ता हुई थी। 15वें चरण की वार्ता में कोई ठोस नतीजा नहीं निकला था। दोनों पक्षों ने एक संयुक्त बयान में कहा था कि मुद्दों के समाधान से क्षेत्र में शांति एवं सामंजस्य बहाल करने में मदद मिलेगी और द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति होगी।

बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का प्रतिनिधित्व लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अनिंदय सेनगुप्ता किया। वहीं, चीन के प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई दक्षिण शिनजियांग सैन्य जिला प्रमुख मेजर जनरल यांग लिन ने किया था। भारत लगातार यह कहता रहा है कि एलएसी पर शांति एवं सामंजस्य बनाए रखना द्विपक्षीय संबंधों के विकास के लिए अहम है।

भारत का तर्क

विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीन के उनके समकक्ष वांग यी ने 7 जुलाई को बाली में पूर्वी लद्दाख में स्थिति पर बातचीत की थी। G-20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक के इतर यह बैठक एक घंटे तक चली। मुलाकात में जयशंकर ने वांग को पूर्वी लद्दाख में सभी लंबित मुद्दों को जल्द से जल्द हल करने की आवश्यकता के बारे में बताया।

विदेश मंत्रालय ने बैठक के बाद एक बयान में कहा था कि विदेश मंत्री ने गतिरोध वाले कुछ क्षेत्रों से सैनिकों के पीछे हटने का उल्लेख करते हुए इस बात पर जोर दिया कि शेष सभी इलाकों से पूरी तरह से पीछे हटने के लिए इस गति को बनाए रखने की जरूरत है ताकि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बहाल की जा सके। जयशंकर ने द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकाल तथा पूर्व की बातचीत के दौरान दोनों मंत्रियों के बीच बनी समझ का पूरी तरह से पालन करने के महत्व को भी दोहराया था।

आपको बदा दें कि भारत और चीन के सशस्त्र बलों के बीच मई, 2020 से पूर्वी लद्दाख में सीमा पर तनावपूर्ण संबंध बने हुए हैं। भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध को सुलझाने के लिए अब तक कई दौर की सैन्य एवं राजनयिक वार्ता की है। दोनों पक्षों के बीच राजनयिक और सैन्य वार्ता के परिणामस्वरूप कुछ इलाकों से सैनिकों को पीछे हटाने का काम भी हुआ है। अभी दोनों देशों में से प्रत्येक ने एलएसी पर संवेदनशील सेक्टर में करीब 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात कर रखे हैं।

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