इंडिया ने साफ कर दिया है कि वह अमेरिकी धमकी (US Threat) से डरने वाला नहीं है। अगले हफ्ते अमेरिका और इंडिया के बीच टू-प्लस-टू डायलॉग (two-plus-two dialogue) होने वाला है। इसमें कई अहम मसलों पर चर्चा होने की उम्मीद है। इससे पहले इंडिया ने रूस से अपने रिश्तों को बहुत अहम बताया है। उसने कहा है कि मौजूदा स्थितियों में जब रूस वैश्विक प्रतिबंधों का सामना कर रहा है, इंडिया द्विपक्षीय रिश्ते को मजबूती देना चाहता है।
रूस से बढ़ते संबंधों पर अमेरिकी अफसर ने जताई है नाराजगी
हाल में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के टॉप इकोनॉमिक एडवाइजर ने रूस से इंडिया के बढ़ते संबंधों पर नाराजगी जताई थी। उन्होंने यह भी कहा था कि यूक्रेन क्राइसिस पर इंडिया के रुख ने अमेरिका को 'निराशा' किया है। अमेरिकी सरकार के नेशनल इकोनॉमिक काउंसिल के डायरेक्टर ब्रायन डीस (Brian Deese) ने एक कार्यक्रम में कहा, “यूक्रेन पर हमले से जुड़े ऐसे कई प्वॉइंट्स हैं जहां हम चीन और भारत के फैसलों से निराश हुए हैं।”
भारत ने किसी इंटरनेशनल प्रेशर से इनकार किया
इंडिया ने रूस से रिश्ते तोड़ने के लिए किसी तरह के इंटरनेशनल प्रेशर से भी इनकार किया है। उसने कहा है कि दोनों देश पेमेंट की एक व्यवस्था बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे द्विपक्षीय व्यापार में आसानी होगी। यह सच है कि अमेरिका नहीं चाहता है कि इंडिया रूस से ऑयल इंपोर्ट बढ़ाए, लेकिन इंडिया का कहना है कि इंडिया की एनर्जी की जरूरतों को लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए।
अगले हफ्ते अमेरिका से अहम मसलों पर होगी बातचीत
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, "प्रतिबंध के बावजूद कई तरह का ट्रेड जारी है। इसमें ऑयल भी शामिल है। हमारा फोकस रूस के साथ आर्थिक रिश्ते को बनाए रखने पर है।" उन्होंने कहा कि रूस के साथ अपने रिश्ते को लेकर इंडिया बहुत मुखर रहा है। उन्होंने प्रतिबंधों की अनदेखी पर अमेरिकी चेतावनी पर पूछ गए एक सवाल के जवाब में ये बातें कही। सरकार ने कहा है कि अमेरिका के साथ टू-प्लस-टू-डायलॉग में विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह भारतीय पक्ष का नेतृत्व करेंगे। जयशंकर का अलग से अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकिन से मिलने का प्रोग्राम है। इसमें यूक्रेन क्राइसिस पर भी विस्तार से बात होगी।