भारत में तेजी से फैल रहा है कोविड लक्षणों वाला फ्लू, केंद्र ने जारी की गाइडलाइंस, जानिए क्या करें क्या नहीं

H3N2 influenza: मौसम में बदलाव के साथ ही देश भर में इन्फ्लूएंजा (फ्लू) की समस्या देखी जा रही है। देश में इस फ्लू से जुड़े मरीजों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। इस बीच इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (Indian Council of Medical Research) ने एक गाइडलाइंस जारी की है। जिसमें बताया गया है कि इसके प्रसार को रोकने के लिए क्या करें और न क्या न करें

अपडेटेड Mar 05, 2023 पर 9:32 AM
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दिल्ली-NCR में H3N2 वायरस के मामले बढ़ने लगे हैं। यह एक इन्फ्लूएंजा वायरस है जो खांसी-बुखार का कारण बन रहा है

H3N2 influenza: देश में कोरोना वायरस महामारी का खतरा भले ही कम हो गया हो। लेकिन अब एक इन्फ्लूएंजा फ्लू ने दस्तक दे दी है। इसमें कोरोना जैसे लक्षण नजर आ रहे हैं। इस फ्लू में लोगों को सर्दी खांसी और बुखार की समस्या बढ़ रही है। यह ठीक होने का नाम ही नहीं ले रहा। मौसम में भी बदलाव हो रहा है। जिससे बहुत से सर्दी-खांसी जुकाम से जूझ रहे हैं। कोविड वायरस महामारी के 2 साल के बाद इस नई बीमारी से आम जनता डरी हुई है। इस बीच इस बीच इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (Indian Council of Medical Research – ICMR)) ने एक गाइडलाइंस जारी की है।

इस गाइडलाइंस में बताया गया है कि इसके प्रसार को रोकने के लिए क्या करें और न क्या न करें। डॉक्टरों का कहना है कि H3N2 वायरस, इन्फ्लुएंजा-A वायरस का एक प्रकार है। जिसके कारण पिछले एक महीने में अस्पतालों में भीड़ बढ़ती हुई देखी गई है। दिसंबर से मार्च तक के डेटा के अनुसार इन्फ्लूएंजा A H3N2 के मामलों लगातार बढ़ोतरी बनी हुई है।

आखिर क्यों बढ़ रहे हैं केस?


ICMR का कहना है कि भारत में पिछले 2-3 महीनों से लगातार खांसी और किसी किसी मामले में बुखार के लक्षण भी नजर आ रहे हैँ। इन्फ्लुएंजा A का सब-वेरिएंट H3N3 है। ICMR का कहना है कि पिछले 2-3 महीनों से बड़े पैमाने पर अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या बढ़ी है। इन्फ्लुएंजा के कारण लोगों को बुखार और सांस लेने में तकलीफ हो रही है। वायु प्रदूषण की वजह से मामले और बढ़ रहे हैं। ICMR ने वायरस के प्रसार को रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

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लक्षण

पिछले महीनों में H3N2 वायरस की चपेट में आए और अस्पताल में भर्ती मरीजों में 92% मरीजों में बुखार, 86% को खांसी, 27% को सांस फूलना, 16% को घरघराहट की समस्या थी। ICMR ने अपनी रिपोर्ट में पाया कि 16% रोगियों को निमोनिया था और 6% को दौरे पड़ते थे। वायरस के कारण होने वाले सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन से पीड़ित लगभग 10% रोगियों को ऑक्सीजन और 7% को ICU देखभाल की आवश्यकता होती है।  इसमें मरीजों को खांसी, जी मिचलाना, उल्टी, गला खराब होना, शरीर में दर्द, दस्त जैसे लक्षण नजर आते हैं।

क्या न करें

ICMR ने कहा है कि बुखार 3 दिनों में चला जाता है। वहीं खांसी 3 हफ्ते तक बनी रह सकती है। एंटीबायोटिक दवाओं के ज्यादा इस्तेमाल करने पर आगाह किया है। खुद से दवा नहीं लेने की सलाह दी गई है। किसी भी तरह की तकलीफ होने पर फौरन डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह दी गई है। ICMR ने डॉक्टरों से सिर्फ लक्षणों के जरिए इलाज (Symptomatic treatment) Prescribe करने को कहा है न कि एंटीबायोटिक्स दवाएं देकर। ICMR ने ये भी कहा है कि एंटीबायोटिक्स और अन्य दवाएं डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही लेनी चाहिए।

क्या करें

खुद से संक्रमण को बचाने के लिए ICMR ने लोगों को सलाह दी है कि हाथों को नियमित रूप से पानी और साबुन से धोते रहें। फेस मास्क पहनें और भीड़-भाड़ वाली जगहों में जाने से परहेज करें। अपनी नाक और मुंह को छूने से बचें। खांसते और छींकते समय नाक और मुंह को अच्छी तरह से ढंकना न भूलें। Hydrated रहें और ढेर सारे तरल पदार्थों का सेवन करें। वहीं ICMR ने बुखार और सिर दर्द के लिए पैरासिटामोल (paracetamol) के इस्तेमाल करने की सलाह दी है।

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