ISRO Gaganyaan Mission: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने मंगलवार को केरल के तिरुवनंतपुरम में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) में भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन 'गगनयान' (Gaganyaan) के लिए चार पायलट के नामों की घोषणा की। ये पायलट हैं - ग्रुप कैप्टन पी बालाकृष्णन नायर (P Balakrishnan Nair), ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन (Ajit Krishnan), ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप (Angad Pratap) और विंग कमांडर एस शुक्ला (S Shukla)। केरल पहुंचे पीएम मोदी ने विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र का दौरा किया, जहां उन्होंने गगनयान मिशन की प्रगति की समीक्षा की और अंतरिक्ष में जाने वाले यात्रियों को 'अंतरिक्ष यात्री पंख' प्रदान किए।
ISRO उनमें से दो से तीन अंतरिक्ष यात्रियों को मिशन के लिए चुनेगा। इसके अलावा, मोदी VSSC में एक ट्राइसोनिक विंड टनल, तमिलनाडु के महेंद्रगिरि में ISRO प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स में एक सेमी-क्रायोजेनिक इंटीग्रेटेड इंजन और स्टेज टेस्ट सुविधा और सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, SHAR, श्रीहरिकोटा में PSLV इंटीग्रेशन फैसिलिटी का भी उद्घाटन करेंगे।
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन के साथ मोदी ने VSSC में ISRO के अलग-अलग प्रोजेक्ट्स की प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया।
'टाइम भी हमारा, काउंटडाउन भी हमारा और रॉकेट भी हमारा है'
इस प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हम सभी आज एक ऐतिहासिक सफर के साक्षी बन रहे हैं। अब से कुछ देर पहले देश पहली बार अपने 4 गगनयान यात्रियों से परिचित हुआ।
उन्होंने कहा, "ये सिर्फ 4 नाम और 4 इंसान नहीं हैं, ये 140 करोड़ आकांक्षाओं को स्पेस में ले जाने वाली 4 शक्तियां हैं। 40 साल के बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में जाने वाला है, लेकिन इस बार टाइम भी हमारा है, काउंटडाउन भी हमारा है और रॉकेट भी हमारा है।
मोदी ने कहा कि मुझे ये जानकर बहुत अच्छा लगा कि गगनयान में इस्तेमाल होने वाले ज्यादातर उपकरण 'Made in India' हैं।
उन्होंने कहा, "ये कितना बड़ा संयोग है कि जब भारत दुनिया की टॉप 3 इकोनॉमी बनने के लिए उड़ान भर रहा है, उसी समय भारत का गगनयान भी हमारे स्पेस सेक्टर को एक नई बुलंदी पर ले जाने वाला है।"
क्या है भारत का Gaganyaan Mission?
गगनयान मिशन भारत का पहला ऐसा अंतरिक्ष मिशन है, जिसमें इंसान को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इस मिशिन को 2024-2025 के बीच लॉन्च किया जाना है। इस प्रोजेक्ट के तहत तीन मनुष्यों के एक दल को तीन दिन के मिशन के लिए 400 Km के ऑर्बिट में लॉन्च करना और भारतीय समुद्री जल में उतरकर उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने का मकसद है।
ISRO की एक रिलीज में कहा गया है कि मिशन को घरेलू विशेषज्ञता, भारतीय उद्योग के अनुभव, भारतीय शिक्षा जगत और रिसर्च संस्थानों की बौद्धिक क्षमताओं के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के पास उपलब्ध अत्याधुनिक तकनीकों पर विचार करके एक बेहतरीन रणनीति के माध्यम से पूरा किया गया है।