Madhya Pradesh NEW Chief Minister Announcement Highlights: मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर लग गई है। उज्जैन दक्षिण से बीजेपी विधायक मोहन यादव मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री होंगे। बीजेपी विधायक दल की बैठक में सोमवार को इसका ऐलान किया गया। छत्तीसगढ़ की तर्ज पर एमपी में भी दो डिप्टी सीएम बनाए जाएंगे। जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला डिप्टी सीएम बनाएंगे जाएंगे। जबकि नरेंद्र सिंह तोमर स्पीकर होंगे। शिवराज सिंह चौहान ने राजभवन में राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया है
Madhya Pradesh NEW Chief Minister Announcement Highlights: मध्य प्रदेश के मनोनीत मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सोमवार शाम को राजभवन में राज्यपाल मंगूभाई सी. पटेल से मुलाकात की और सरकार बनाने का दावा पेश किया। उज्जैन दक्षिण से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायक मोहन यादव मध्यप्रदेश के नए मुख्यमंत्री होंगे। मोहन यादव के नए मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद निवर्तमान सीएम शिवर
Madhya Pradesh NEW Chief Minister Announcement Highlights: मध्य प्रदेश के मनोनीत मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सोमवार शाम को राजभवन में राज्यपाल मंगूभाई सी. पटेल से मुलाकात की और सरकार बनाने का दावा पेश किया। उज्जैन दक्षिण से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायक मोहन यादव मध्यप्रदेश के नए मुख्यमंत्री होंगे। मोहन यादव के नए मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद निवर्तमान सीएम शिवराज सिंह चौहान ने राज्यपाल मंगूभाई सी. पटेल से मुलाकात कर अपना इस्तीफा सौंप दिया। मध्य प्रदेश में बीजेपी विधायक मोहन यादव को विधायक दल का नेता चुना गया है।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 17 नवंबर को हुए चुनाव में 230 सदस्यीय विधानसभा में 163 सीट जीतकर मध्य प्रदेश में सत्ता बरकरार रखी, जबकि कांग्रेस 66 सीट के साथ दूसरे स्थान पर रही। बीजेपी ने चुनाव में मुख्यमंत्री पद के चेहरे के तौर पर किसी को पेश नहीं किया था और एक तरह से पूरा प्रचार अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर टिका था।
केंद्रीय पर्यवेक्षकों में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, पार्टी के अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) मोर्चा के प्रमुख के. लक्ष्मण और सचिव आशा लाकड़ा शामिल थे। इस बार, बीजेपी ने शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में पेश किए बिना विधानसभा चुनाव लड़ा। चौहान चार बार के मुख्यमंत्री हैं। उन्होंने 2005, 2008, 2013 और 2020 में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
चौहान की तरह OBC समुदाय के प्रह्लाद पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री और दिमनी के नवनिर्वाचित विधायक नरेंद्र तोमर, कैलाश विजयवर्गीय, राज्य इकाई के प्रमुख वीडी शर्मा और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जा रहे थे। साल 2003 के बाद से मध्य प्रदेश में बीजेपी के सभी तीन मुख्यमंत्री, अर्थात उमा भारती, बाबूलाल गौर और चौहान, अन्य पिछड़ा वर्ग से रहे हैं। मध्य प्रदेश में ओबीसी की आबादी करीब 48 फीसदी है।
साल 2004 के बाद से यह तीसरी बार है, जब बीजेपी ने मध्य प्रदेश में केंद्रीय पर्यवेक्षक भेजे हैं। अगस्त 2004 में, जब उमा भारती ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, तो पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रमोद महाजन और अरुण जेटली को राज्य में केंद्रीय पर्यवेक्षकों के रूप में भेजा गया था। नवंबर 2005 में, जब बाबूलाल गौर ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, तो नया सीएम चुनने में विधायकों की मदद करने के लिए राजनाथ सिंह को केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में भेजा गया था।
उस वक्त शिवराज सिंह चौहान को विधायक दल का नेता चुना गया था। भारतीय जनता पार्टी छत्तीसगढ़ के बाद अब मध्य प्रदेश में भी मुख्यमंत्री चुनने के लिए पूरी तरह तैयार है। इसके बाद अब सिर्फ राजस्थान में सस्पेंस रह जाएगा कि आखिर राज्य का कमान कौन संभालेगा।
Article 370 Verdict LIVE: आर्टिकल- 370 पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के आर्टिकल 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को सोमवार को सर्वसम्मति से बरकरार रखा और अगले साल 30 सितंबर तक विधानसभा चुनाव कराने का निर्देश दिया।
शीर्ष अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल किया जाए। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने और जस्टिस बीआर गवई एवं जस्टिस सूर्यकांत की ओर से फैसला सुनाते हुए कहा कि संविधान का आर्टिकल 370 एक अस्थायी प्रावधान था और राष्ट्रपति के पास इसे रद्द करने की शक्ति है।
शीर्ष अदालत ने 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को अलग करने के फैसले की वैधता को भी बरकरार रखा। केंद्र सरकार ने इस दिन आर्टिकल 370 को निरस्त कर दिया था और पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख में विभाजित कर दिया था।
बता दें कि जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 को खत्म करने के लिए कई सारी याचिकाएं दायर की गईं थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संवैधानिक पीठ अपना फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई की वजह से किसी भी तरह के तनाव और संभावित संघर्ष के लिए पूरे जम्मू-कश्मीर में तैयारी की गई है। पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद है और सेना के जवान भी अलर्ट पर हैं।
देशभर में राजनीतिक नेताओं की तरफ से इस मुद्दे पर बयानबाजी का सिलसिला भी जारी है। विपक्ष की तरफ से लगातार कोशिश की जा रही है कि जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर से अनुच्छेद 370 की वापसी हो, जिसके जरिए केंद्रशासित प्रदेश को स्पेशल स्टेटस मिल पाए।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी.वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि केंद्र राष्ट्रपति की भूमिका के तहत राज्य सरकार की शक्ति का प्रयोग कर सकता है। याचिकाकर्ताओं की दलीलों को खारिज करते हुए CJI ने कहा कि संसद/राष्ट्रपति उद्घोषणा के तहत किसी राज्य की विधायी शक्तियों का प्रयोग कर सकते हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि आर्टिकल 370 एक अस्थाई प्रावधान था। जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। जम्मू-कश्मीर जब भारत में शामिल हुआ तो उसकी संप्रभुता नहीं रह जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाना संवैधानिक रूप से वैध है। इस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि केंद्र सरकार की तरफ से उठाया गया फैसला बिल्कुल ठीक था। CJI ने कहा कि राष्ट्रपति को 370 रद्द करने का अधिकार है। विधानसभा भंग होने पर भी राष्ट्रपति के पास अधिकार कायम है।
साल 2019 में आर्टिकल 370 किया गया खत्म
बता दें कि केंद्र सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को आर्टिकल 370 को निरस्त किए जाने का ऐलान किया था। इसके साथ ही राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया था. इसके लिए सरकार की तरफ से 'जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून', 2019 लाया गया था। जिसे ही चुनौती दी गई है। जम्मू-कश्मीर के केंद्रशासित प्रदेश बनने के बाद से अभी तक वहां पर विधानसभा चुनाव नहीं हुए हैं। हालांकि, हाल के दिनों में स्थानीय चुनाव जरूर हुए हैं।