दुनिया के दो सबसे बड़े आबादी वाले देशों में भारत और चीन की गिनती की जाती है। दुनिया की करीब 40 फीसदी आबादी इन्हीं दोनों देशों में है। दोनों पड़ोसी भी हैं। दोनों देशों के खानपान और रहन-सहन में भारी अंतर है। दोनों ही देशों के नागरिकों की औसत आयु में भी बड़ा अंतर है। चीनी नागरिकों की औसत उम्र बढ़कर 77.9 साल हो गई है। वहीं भारत की औसत उम्र 69.7 साल है। दोनों देशों की औसत उम्र में 8 साल से ज्यादा का अंतर है।
चीन के नेशनल हेल्थ कमीशन (NHC) ने लाइफ एक्सपेक्टेंसी यानी जीवन प्रत्याशा का आंकड़ा जारी किया है। जीवन प्रत्याशा से पता चलता है कि उस देश के लोगो की औसत उम्र कितनी है? यानी कोई व्यक्ति कितने लंबा जीवन जी सकता है? NHC की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, चीनी नागरिकों की औसत उम्र बढ़कर 77.9 हो गई है। चीनी नागिरक औसतन 77 साल 9 महीने जीते हैं।
वहीं, अगले तीन साल में यानी वर्ष 2025 तक चीन इसे करीब छह महीने और बढ़ाकर अपने नागरिकों के औसत आयु का आंकड़ा 78 साल और 3 महीने करना चाहता है। चीन के लिए इससे भी ज्यादा हैरान करने वाली बात यह है कि बीते करीब 73 साल में यह दोगुनी से भी अधिक हुई। दावा किया जा रहा है कि चीन में 1949 में जब कम्युनिस्ट शासन आया। तब वहां नागरिकों की औसत आयु करीब 35 साल थी। उस दौरान भारत में औसत आयु करीब 32 साल थी। हाल ही में सैम्पल रजिस्ट्रेशन सिस्टम की रिपोर्ट आई थी, जिसमें बताया गया था कि भारतीयों की औसत उम्र बढ़कर 69.7 साल हो गई है। यानी चानी नागरिक भारत के मुकाबले औसतन 8 साल ज्यादा जीते हैं।
चीन ने बुजुर्गों की सेहत पर बढ़ाया फोकस
दावा यह भी किया जा रहा है कि अगले तीन साल में चीन स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में काफी काम करने जा रहा है। इसके लिए वह बुजुर्गों के बेहतर स्वास्थ्य पर ध्यान देगा। इलाज के लिए नए नर्सिंग होम खुलेंगे। कई पुराने नर्सिंग होम और अस्पतालों में सिर्फ बुजुर्गों को ध्यान में रखते हुए बेड बनाए जाएंगे। इस तरह सिर्फ बुजुर्गों के लिए 1 करोड़ बेड रखे जाएंगे। बेहतर इलाज के लिए उनका बीमा भी कराया जा रहा है। इतना ही नहीं बेहतर इलाज के लिए बुजुर्गों का बीमा भी कराने की तैयारी है। ताकि इलाज में ज्यादा पैसे न खर्च हों।
आखिर भारत क्यों पिछड़ गया
कहा जा रहा है कि भारत में जनसंख्या के अनुपात में डॉक्टर और स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं हैं। हेल्थ मिनिस्ट्री के मुताबिक, भारत में 10,000 लोगों पर 11.7 डॉक्टर्स हैं। जबकि WHO के मुताबिक, 10000 की आबादी में 22 डॉक्टर होना चाहिए। इतना ही भारत में स्वास्थ्य सुविधाएं आम लोगों तक आसानी से नहीं पहुंच पा रही हैं। ऐसी तमाम खामियां पाई गई हैं।