विदेशी ब्रोकरेज फर्म Morgan Stanley ने कहा है कि इंडिया की प्रति व्यक्ति जीडीपी अभी सिर्प 2,500 डॉलर है। ऐसे में इंडिया को अभी ग्रोथ का लंबा सफर तय करना है। उधर, चीन में प्रति व्यक्ति जीडीपी 12,700 डॉलर है। इससे चीन तेज ग्रोथ के रास्ते के अंत के करीब पहुंचता दिख रहा है। किसी देश की जीडीपी में उस देश की कुल आबादी से विभाजित करने पर प्रति व्यक्ति जीडीपी का पता चलता है। कई फंड मैनेजर्स और मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि प्रति व्यक्ति कम जीडीपी इंडियन इकोनॉमी के लिए ग्रोथ के लंबे सफर की शुरुआत का संकेत देती है। इससे आने वाले सालों में इंडिया ग्रोथ के मामले में दूसरे उभरते देशों को पीछे छोड़ देगा। हाउसहोल्ड डेट और जीडीपी का रेशियो इंडिया में सिर्फ 19 फीसदी है। चीन में यह 48 फीसदी है।
मॉर्गन स्टेनली ने 3 अगस्त को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इंडिया में कोरोना की महामारी खत्म होने के बाद से मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज पीएमआई में लगातार ग्रोथ दिखी है। उधर, चीन में गिरावट देखने को मिली है। मॉर्गन स्टेनली के इक्विटी स्ट्रेटिजिस्ट जोनाथन गार्नर और उनकी टीम ने जून में भारत की यात्रा की थी। उसके बाद उन्होंने इंडिया की रेटिंग बढ़ाकर 'ओवरवेट' कर दी थी, जबकि चीन की रेटिंग घटाकर 'अंडरवेट' कर दी थी। इससे पहले 31 मार्च को मॉर्गन स्टेनली ने इंडिया की रेटिंग बढ़ाकर अंडरवेट से इक्वल वेट कर दी थी।
दुनिया में बढ़ रही इंडिया की ताकत
Nifty मार्च के अपने निचले स्तर से 15 फीसदी से ज्यादा चढ़ चुका है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इंडिया ग्लोबल जियोपॉलिटिकल मंच पर मजबूत आवाज बनकर उभर रहा है। इस देश के पक्ष में कई चीजें दिखाई देती हैं। इंडिया Quad Political Framework का हिस्सा है। इसमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं। इंडिया को बढ़ते एफडीआई से फायदा हो रहा है। अमेरिका, ताइवान और जापान की कंपनियां इंडिया के बड़े मार्केट में निवेश करना चाहती हैं। बेहतर बंदरगाह, सड़क और बिजली सप्लाई में सुधार हो रहा है।
उधर, चीन आज बहुध्रुवीय दुनिया की तरफ से दबाव का सामना कर रहा है। खासकर उसे अमेरिका के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन एक बिल पर हस्ताक्षर करने वाले हैं, जिसका मकसद चीन में अमेरिकी निवेश को कम करना है। इससे सेमीकंडक्टर्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसे क्षेत्रों में निवेश पर रोक जाएगी। दूसरी तरफ प्राइवेट इक्विटी फर्म इंडिया में दिलचस्पी दिखा रही हैं। वे चीन से बाहर निकलने की कोशिश कर रही हैं।