NHAI ने वक्त से पहले चुकाया ₹56000 करोड़ का कर्ज, ₹1200 करोड़ का ब्याज बचाया

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले साल बजट में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए NHAI को एलोकेशन 1.68 लाख करोड़ रुपये पर बरकरार रखा था। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण सफलतापूर्वक अपनी कर्ज देनदारी कम कर रहा है। NHAI का कुल कर्ज अक्टूबर-दिसंबर 2024 के अंत में करीब 2.76 लाख करोड़ रुपये था

अपडेटेड Jan 05, 2025 पर 3:22 PM
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इनविट मॉनेटाइजेशन प्रोसीड्स से लगभग 15,700 करोड़ रुपये का वक्त से पहले भुगतान किया गया है।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान 56,000 करोड़ रुपये के कर्ज का वक्त से पहले भुगतान किया है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि इससे NHAI को लगभग 1,200 करोड़ रुपये की ब्याज लागत बचाने में मदद मिली है। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अधिकारी का कहना है कि चालू वित्त वर्ष की शुरुआत में NHAI का कुल कर्ज 3.35 लाख करोड़ रुपये था। यह तीसरी तिमाही यानि अक्टूबर-दिसंबर 2024 के अंत में करीब 2.76 लाख करोड़ रुपये रह गया।

उन्होंने कहा कि इनविट मॉनेटाइजेशन प्रोसीड्स से लगभग 15,700 करोड़ रुपये का वक्त से पहले भुगतान किया गया है, जबकि नेशनल स्मॉल सेविंग फंड को 30,000 करोड़ रुपये और भारतीय स्टेट बैंक को 10,000 करोड़ रुपये के कर्ज का समय से पहले भुगतान किया गया है।

अधिकारी ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण सफलतापूर्वक अपनी कर्ज देनदारी कम कर रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले साल बजट में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए NHAI को एलोकेशन 1.68 लाख करोड़ रुपये पर बरकरार रखा था।


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हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी फटकार

3 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने NHAI सहित सरकारी प्राधिकारियों का फटकार लगाई थी। कोर्ट ने इन्हें अपील दायर करने में अत्यधिक देरी को लेकर आत्मनिरीक्षण करने को कहा। भारत के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने NHAI की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, “मुझे लगता है कि लगभग 95 प्रतिशत मामलों में सभी लोग टाइम-टेबल का पालन कर रहे हैं। भारत सरकार इसका पालन क्यों नहीं कर पा रही है? कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ है…आत्मनिरीक्षण जरूरी है।”

NHAI ने दिवालियापन मामले में नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्राइब्यूनल (एनसीएलएटी) के आदेश को चुनौती दी थी, जिसे जज संजय कुमार की पीठ के समक्ष लिस्ट किया गया था। एनसीएलएटी ने देरी के कारण NHAI की अपील खारिज कर दी थी। चीफ जस्टिस ने 295 दिनों की देरी पर असहमति जताते हुए प्रक्रियागत समयसीमा का पालन करने के महत्व पर बल दिया।

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