प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने चीन (China) के साथ सामान्य द्विपक्षीय संबंधों के लिए सीमावर्ती इलाकों में शांति और स्थिरता को 'बेहद जरूरी' बताया। उन्होंने मंगलवार को कहा कि भारत अपनी संप्रभुता और गरिमा की रक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार और प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने अमेरिका दौरे की शुरुआत से पहले 'वॉल स्ट्रीट जर्नल' (WSJ) को दिए एक इ में यह बातें कहीं।
पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून, 2020 को भारत और चीनी सेनाओं के बीच संघर्ष हो गया था। ये पिछले पांच दशक में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर इस तरह का पहला संघर्ष था और इससे द्विपक्षीय संबंधों में तनाव आ गया था।
इस घटना के बाद भारत-चीन संबंधों में आए तनाव के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में मोदी ने कहा, "सामान्य द्विपक्षीय संबंधों के लिए सीमावर्ती इलाकों में शांति और स्थिरता जरूरी है।"
उन्होंने कहा, "संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने, कानून के शासन का पालन करने और मतभेदों और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान में हमारा असली विश्वास है। साथ ही भारत अपनी संप्रभुता और गरिमा की रक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार और प्रतिबद्ध है।"
चीन के साथ हुईं झड़पों में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे। चीन ने फरवरी 2021 में आधिकारिक रूप से स्वीकार किया कि झड़पों में उसके पांच सैन्य अधिकारी और सैनिक मारे गए थे। हालांकि, माना जाता है कि मारे गए चीनी सैनिकों की संख्या बहुत ज्यादा थी।
दोनों देशों की सेनाएं सीमा पर तनाव कम करने के लिए बातचीत कर रही हैं, क्योंकि अभी भी कुछ जगहों पर दोनों पक्ष के बीच गतिरोध कायम है। हालांकि, कुछ दूसरी जगहों से दोनों देशों के सैनिक पीछे हट गए हैं।
पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध बढ़ने के बाद, सेना ने क्षेत्र में अपनी अभियानगत क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कई उपाय किए हैं।
इस बीच, दोनों देशों की सेनाओं के बीच अब तक 18 दौर की उच्चस्तरीय बातचीत हो चुकी है, जिसका मकसद टकराव वाली बाकी जगहों से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया में तेजी लाना और पूर्वी लद्दाख में LAC पर शांति बहाल करना है।
भारत का लगातार कहना रहा है कि जब तक सीमावर्ती इलाकों में शांति नहीं होगी, तब तक चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आठ जून को कहा था कि पूर्वी लद्दाख में सीमा पर स्थिति सामान्य नहीं होने तक चीन के साथ संबंधों के सामान्य होने की कोई भी उम्मीद करना निराधार है।
राष्ट्रपति जो बाइडन और प्रथम महिला जिल बाइडन के निमंत्रण पर मोदी मंगलवार सुबह आधिकारिक यात्रा पर अमेरिका के लिए रवाना हुए। मोदी की अमेरिका यात्रा से भारत को महत्वपूर्ण अमेरिकी तकनीक मिलने की उम्मीद है। वाशिंगटन शायद ही कभी गैर-सहयोगियों के साथ अपनी तकनीक साझा करता है। लेकिन इससे एक नया बंधन मजबूत होगा, जो न केवल वैश्विक राजनीति बल्कि व्यापार और अर्थशास्त्र से भी जुड़ा हुआ है।