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PM मोदी ने शहबाज शरीफ को दूसरी बार पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने पर दी बधाई

पाकिस्तान इस बात पर जोर देता रहा है कि संबंधों में सुधार लाने का दायित्व भारत पर है। पाक अपने पड़ोसी से बातचीत शुरू करने की पूर्व शर्त के तौर पर कश्मीर से जुड़े उसके एकतरफा कदमों को वापस लेने का आग्रह कर रहा है। भारत ने इस सुझाव को खारिज कर दिया और पाकिस्तान को स्पष्ट कर दिया है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश उसके अभिन्न और अविभाज्य हिस्से हैं

अपडेटेड Mar 05, 2024 पर 10:22 AM
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शहबाज शरीफ ने सोमवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने मंगलवार (5 मार्च) को शहबाज शरीफ (Pakistan Prime Minister Shehbaz Sharif) को दूसरी बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने पर बधाई दी। शहबाज शरीफ ने सोमवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया साइट X पर एक पोस्ट में कहा, "पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने पर शहबाज शरीफ को बधाई।" शहबाज शरीफ 2022 के बाद दूसरी बार पाकिस्तान की बागडोर संभालेंगे।

शहबाज ने दूसरी बार ऐसे समय में पाकिस्तान की बागडोर संभाली है, जब देश आर्थिक बदहाली का सामना कर रहा है। राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने राष्ट्रपति भवन 'ऐवान-ए-सद्र' में आयोजित एक समारोह में 72 वर्षीय शहबाज को पद की शपथ दिलाई। संक्षिप्त समारोह पवित्र कुरान के पाठ के साथ शुरू हुआ, जिसके बाद शपथ ग्रहण हुआ।

समारोह में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, पंजाब की मुख्यमंत्री मरयम नवाज और सिंध के मुख्यमंत्री मुराद अली शाह भी उपस्थित थे। संसद भंग होने से पहले शहबाज शरीफ ने अप्रैल 2022 से अगस्त 2023 तक गठबंधन सरकार के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया था।


PMLN और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के संयुक्त उम्मीदवार 72 वर्षीय शहबाज शरीफ को 336 सदस्यीय सदन में 201 वोट मिले थे, जो सदन का नेता बनने के लिए आवश्यक मतों से 32 अधिक हैं।

जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के उनके प्रतिद्वंद्वी उमर अयूब खान को 92 वोट मिले। नेशनल असेंबली के अध्यक्ष सरदार एयाज सादिक ने नतीजों की घोषणा करते हुए शहबाज को पाकिस्तान का 24वां प्रधानमंत्री नियुक्त किया था।

भारत-पाकिस्तान के संबंधों में होगा सुधार?

शहबाज शरीफ के दूसरी बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बीच देश के विशेषज्ञों को कश्मीर मुद्दे पर भारत के साथ मतभेदों के चलते दोनों देशों के संबंधों में तत्काल सुधार होने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है। दक्षिण एशिया के दोनों पड़ोसी देश परमाणु हथियार से लैस हैं। ब्रिटेन के शासन से 1947 में आजादी मिलने के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच अब तक कम से कम तीन बड़ी लड़ाइयां हुई हैं।

भारत द्वारा 2019 में संविधान के आर्टिकल 370 को निरस्त करने, जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा हटाये जाने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद दोनों देशों के संबंध में खटास बनी हुई है। पाकिस्तान ने इस कदम को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन करार दिया और भारत के साथ व्यापार सहित सभी संबंध तोड़ लिए।

लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर रसूल बक्स रईस ने बताया कि 2019 के बाद से दोनों देशों के बीच मतभेद बढ़ गया है, और यह तय करना आसान नहीं है कि दोनों पक्ष कैसे सुलह की ओर बढ़ सकते हैं।

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पाकिस्तान में चुनावों के बाद नयी सरकार के गठन से यह उम्मीद जगी है कि प्रधानमंत्री शहबाज गतिरोध को खत्म करने और भारत के साथ खराब संबंधों को सुधारने के लिए सकारात्मक कदम उठा सकते हैं। पाकिस्तान के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने रविवार को अपने पहले संबोधन में कश्मीर मुद्दा उठाया था। हालांकि, उन्होंने पड़ोसियों सहित सभी प्रमुख देशों के साथ संबंध सुधारने का भी संकल्प जताया।

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