'हां मैं परेशान हूं', महाराष्ट्र कैबिनेट में जगह नहीं मिलने से नाराज हुए छगन भुजबल, रामदास आठवले और रवि राणा

Maharashtra Cabinet: छगन भुजबल ने अपने बहिष्कार पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए मीडिया से कहा, ''हां, मैं निराश हूं। आपको उनसे कारण पूछने चाहिए, जिन्होंने मुझे दरकिनार कर दिया।” इसके बाद वह मुंबई में लंबी चर्चा को छोड़कर नासिक के लिए रवाना हो गए, जो पार्टी के निर्णय लेने के प्रति उनके असंतोष का संकेत था

अपडेटेड Dec 16, 2024 पर 9:08 PM
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महाराष्ट्र कैबिनेट में जगह नहीं मिलने से नाराज हुए छगन भुजबल, रामदास आठवले और नवनीत राणा

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नौ मंत्रियों ने रविवार को महाराष्ट्र कैबिनेट में शपथ ली, लेकिन अनुभवी नेता और पूर्व मंत्री छगन भुजबल को मंत्रीमंडल से बाहर रखने के फैसले से गुट के भीतर राजनीतिक तनाव पैदा हो गया है। महाराष्ट्र की राजनीति में एक प्रमुख OBC चेहरा भुजबल को मंत्री पद मिलने की उम्मीद थी। हालांकि, नई कैबिनेट में शामिल होने वालों की लिस्ट से उनका नाम से गायब था, जिससे वह खुलतौर पर नाराज थे।

भुजबल ने अपने बहिष्कार पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए मीडिया से कहा, ''हां, मैं निराश हूं। आपको उनसे कारण पूछने चाहिए, जिन्होंने मुझे दरकिनार कर दिया।” इसके बाद वह मुंबई में लंबी चर्चा को छोड़कर नासिक के लिए रवाना हो गए, जो पार्टी के निर्णय लेने के प्रति उनके असंतोष का संकेत था।

राज्यसभा के लिए नहीं माने भुजबल


अजित पवार के NCP गुट के सूत्रों ने खुलासा किया कि पार्टी ने भुजबल को राज्यसभा भेजने का विचार किया था। अंदरूनी सूत्रों का दावा है कि भुजबल ने पहले खुद उच्च सदन में जाने की इच्छा जताई थी, लेकिन ऐसा लगता है कि ये पद ऑफर करना का ये सही समय नहीं था। भुजबल के प्रस्ताव को अस्वीकार करने से उनके अगले राजनीतिक कदम को लेकर अटकलें और तेज हो गई हैं।

कैबिनेट विस्तार के दिन भुजबल के अचानक नासिक चले जाने से उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई है। उनकी योजना समता परिषद के सदस्यों के साथ चर्चा में शामिल होने की है, वह इस सामाजिक-राजनीतिक संगठन के नेता है। इसमें वह अपने अगल कदम पर विचार-विमर्श कर सकते हैं। अपने समर्थकों के साथ उनकी बैठकों से यह साफ होने की उम्मीद है कि क्या वह अजित पवार के गुट के साथ बने रहेंगे या कोई और रास्ता अपनाएंगे।

भुजबल को कैबिनेट से बाहर करने के फैसले की विपक्षी दलों ने तीखी आलोचना की है। कई नेताओं ने NCP गुट पर भुजबल को उनकी OBC पहचान के कारण दरकिनार करने का आरोप लगाया है, जो महाराष्ट्र की राजनीति में एक संवेदनशील मुद्दा है। भुजबल के बहिष्कार को NCP गुट के लिए अपने OBC वोट बेस को मजबूत करने के एक चूके हुए मौके के रूप में देखा जा रहा है।

रामदास आठवले, रवि राणा भी नाराज

भुजबल अकेले नहीं हैं, जो परेशान और नाराज हैं। भारतीय जनता पार्टी के समर्थन वाले निर्दलीय विधायक रवि राणा और RPI(A) प्रमुख और केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले भी पहले कैबिनेट विस्तार से खुश नहीं हैं।

आठवले ने दिल्ली में पत्रकारों से कहा कि उनकी पार्टी को सीएम देवेंद्र फडणवीस ने एक कैबिनेट मंत्री पद देने का वादा किया था, लेकिन उन्होंने वादा नहीं निभाया। विधायक रवि राणा, जो फडणवीस के करीबी विश्वासपात्र हैं, अपने गृहनगर अमरावती के लिए रवाना हो गए, क्योंकि उन्हें कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया था।

राणा की पत्नी नवनीत राणा ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो मैसेज के जरिए संकेत दिया कि रवि राणा परेशान हैं। दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने अपना वीडियो मैसेज पोस्ट करते समय किसी का नाम नहीं लिया और न ही किसी को दोषी ठहराया। लेकिन इन घटनाओं ने निश्चित रूप से महायुति की निर्णय लेने की प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

आलोचकों का तर्क है कि बीजेपी और उसके सहयोगियों ने महत्वपूर्ण क्षणों के दौरान प्रमुख नेताओं और उनके मतदाता आधारों को दरकिनार कर उनके अलग होने का जोखिम उठाया है।

इन नेताओं का असंतोष गठबंधन के भीतर प्रतिस्पर्धी महत्वाकांक्षाओं को बैलेंस करने की चुनौतियों को उजागर करता है। भुजबल के लिए, उनका अगला कदम अनिश्चित बना हुआ है, क्योंकि वह नासिक में अपने समर्थकों से सलाह ले रहे हैं। इसी तरह, राणा का अमरावती लौटने का निर्णय संभावित नाराजगी का संकेत देता है, जबकि आठवले का असंतोष बीजेपी के अपने दलित सहयोगी के साथ संबंधों में तनाव पैदा कर सकता है।

जैसे-जैसे महाराष्ट्र का राजनीतिक परिदृश्य विकसित हो रहा है, ये घटनाक्रम महायुति की एकता और चुनावी संभावनाओं पर बड़ा असर डाल सकते हैं। आने वाले दिन यह तय करेंगे कि क्या ये शिकायतें सुलझती हैं या सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर गहरे मतभेदों में बदल जाती हैं।

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