आम आदमी पार्टी (AAP) और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार को बड़ा समर्थन देते हुए कांग्रेस ने रविवार को कहा कि वह राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र के अध्यादेश का समर्थन नहीं करेगी। बता दें कि दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र सरकार के अध्यादेश लाने का मुद्दा गरमाया हुआ है। विपक्षी दलों ने AAP को समर्थन देने का भरोसा दिया है। बेंगलुरु में होने वाली विपक्ष की बड़ी बैठक से एक दिन पहले कांग्रेस ने भी नरम रुख अपनाया है और संसद में अध्यादेश का विरोध करेगी। महासचिव केसी वेणुगोपाल (KC Venugopal) ने स्पष्ट रूप से केंद्र के अध्यादेश का विरोध करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि कल (सोमवार को) विपक्ष की बैठक बेंगलुरु में होने वाली हैं और इस बैठक में शायद केजरीवाल शामिल होंगे।
न्यूज एजेंसी पीटीआई से सोमवार को बेंगलुरु में होने वाली विपक्ष की बैठक से पहले बातचीत में केसी वेणुगोपाल ने कहा, "मुझे लगता है कि वे (AAP) कल बैठक में शामिल होने जा रहे हैं। जहां तक अध्यादेश (दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण पर) का सवाल है, हमारा रुख बिल्कुल स्पष्ट है। हम इसका समर्थन नहीं करेंगे।"
कांग्रेस के फैसले का स्वागत करते हुए आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ नेता राघव चड्ढा ने एक ट्वीट में कहा, "कांग्रेस ने दिल्ली अध्यादेश का स्पष्ट विरोध करने की घोषणा की है। यह एक सकारात्मक विकास है।"
जयराम रमेश ने भी दिए संकेत
कांग्रेस ने 20 अगस्त से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में मणिपुर हिंसा, संघीय ढांचे पर आक्रमण और महंगाई समेत कई मुद्दों को उठाने का शनिवार को फैसला करते हुए कहा कि वह चुनी हुई सरकारों के संवैधानिक अधिकारों पर मोदी सरकार के आक्रमण का हमेशा विरोध करती रही है और आगे भी करेगी। पार्टी संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी की अगुवाई में हुई कांग्रेस के संसदीय रणनीतिक समूह की बैठक के बाद मुख्य विपक्षी दल के महासचिव जयराम रमेश ने यह बयान दिया।
'संघीय ढांचे पर आक्रमण' के खिलाफ लड़ाई जारी रखने के कांग्रेस की इस घोषणा को इस मायने में अहम माना जा रहा है कि आम आदमी पार्टी (AAP) दिल्ली से संबंधित केंद्र सरकार के अध्यादेश को लेकर कांग्रेस से उसका रुख स्पष्ट करने की मांग कर रही है। रमेश ने यह भी कहा कि कांग्रेस इस सत्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मणिपुर के मामले पर स्पष्टीकरण की मांग करेगी।
सोनिया गांधी के आवास 10-जनपथ पर शनिवार शाम को हुई इस बैठक में पार्टी अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे तथा पार्टी के कई अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हुए। बैठके बाद रमेश ने पत्रकारों से कहा, "करीब डेढ़ घंटे की इस बैठक में मानसून सत्र में सरकार की ओर से पेश होने वाले विधेयकों और हमारी ओर से उठाए जाने वाले मुद्दों पर चर्चा हुई है।"
उनका कहना था, "मणिपुर के मामले पर हम अडिग हैं कि संसद में इस पर चर्चा होना जरूरी है। सत्र के शुरुआत में ही इस पर चर्चा होनी चाहिए। प्रधानमंत्री को बोलना चाहिए और सदन में मौजूद रहना चाहिए। वह मणिपुर को लेकर स्थिति से सदन से अवगत कराएं और अपना मौन व्रत तोड़ें।"
कांग्रेस महासचिव ने कहा, "बालासोर में जो रेल हादसा हुआ उस पर और रेल सुरक्षा पर चर्चा चाहेंगे।" उन्होंने कहा कि संघीय ढांचे पर जो आक्रमण हो रहा है, मोदी सरकार यह आक्रमण कुछ जगहों पर खुद कर रही है और कुछ जगहों पर उनके द्वारा नियुक्त राज्यपाल आक्रमण कर रहे हैं। चुनी हुई सरकारों पर आक्रमण हो रहा है। कांग्रेस पार्टी हमेशा इसके खिलाफ लड़ती रही है और लड़ती रहेगी।
दिल्ली से संबंधित अध्यादेश से जुड़े सवाल पर रमेश ने कहा, "चुनी हुई राज्य सरकारों के संवैधानिक अधिकारों पर जो आक्रमण हो रहा है, उसके खिलाफ कांग्रेस हमेशा रही है और हमेशा रहेगी। हम इसका संसद के भीतर और बाहर विरोध करेंगे।" हालांकि, कांग्रेस महासचिव ने दिल्ली के अध्यादेश का सीधे तौर पर उल्लेख नहीं किया। संसद का मानसून सत्र 20 जुलाई से आरंभ हो रहा है, जो 11 अगस्त तक चलेगा।