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CBI-ED चीफ का कार्यकाल बढ़ाने पर कांग्रेस का केंद्र पर निशाना, कहा- सरकार गुर्गों की तरह कर रही एजेंसियों का इस्तेमाल

CBI-ED के निदेशकों का कार्यकाल अब अधिकतम 5 साल तक हो सकता है

अपडेटेड Nov 15, 2021 पर 11:00 AM
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केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) के निदेशकों का कार्यकाल बढ़ाने पर विपक्षी दल कांग्रेस ने रविवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा। मुख्य विपक्षी दल ने कहा कि सरकार ने दोनों एजेंसियों का इस्तेमाल अपने हेंचमेन (गुर्गों) की तरह किया है जिन्हें अब सम्मानित किया जा रहा है। बता दें कि सरकार ने रविवार को दो अध्यादेश जारी किए, जिनके अनुसार सीबीआई और ईडी के निदेशकों का कार्यकाल मौजूदा दो वर्ष की जगह अब अधिकतम पांच साल तक हो सकता है।

सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि केंद्र अधिकारों को हड़पने तथा चुनी हुई सरकारों को अस्थिर करने के लिए हेंचमेन की तरह ईडी और सीबीआई का इस्तेमाल करती है। उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों के नेताओं पर ईडी और सीबीआई के छापे रोजाना की बात बन गई है। विनीत नारायण के प्रसिद्ध मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मद्देनजर फिलहाल CBI-ED के निदेशकों की नियुक्ति की तारीख से उनका दो साल का निश्चित कार्यकाल होता है।

सुरजेवाला ने अपने ट्वीट में कहा कि अब इन हेंचमेन को पांच साल के कार्यकाल के साथ सम्मानित किया जा रहा है, ताकि विरोध के स्वरों को दबाने के लिए दुर्भावनापूर्ण अभियोजन का इस्तेमाल किया जाए। उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा कि मोदी सरकार में ईडी-सीबीआई की सही व्याख्या है: ईडी- इलेक्शन डिपार्टमेंट। सीबीआई- कंप्रोमाइज्ड ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन।


कांग्रेस नेता ने कहा कि स्वाभाविक है कि रिटायर्ड अधिकारियों को पहले बार-बार सेवा विस्तार दिया जा रहा था। अब सीधे पांच साल का कार्यकाल कर दिया गया है। कांग्रेस के अलावा तृणमूल कांग्रेस और वाम दलों ने भी सरकार पर संसद का मजाक उड़ाने का आरोप लगाया और उसकी मंशा पर सवाल खड़ा करते हुए पूछा कि उसने आगामी शीतकालीन सत्र का इंतजार क्यों नहीं किया।

कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने एक ट्वीट में कहा कि राजग-भाजपा सरकार द्वारा जारी दोनों अध्यादेश जैन हवाला फैसले की भावना के खिलाफ हैं, जिसमें सीबीआई और ईडी निदेशक को स्थायी कार्यकाल दिया गया था ताकि वे राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त रहें।

कांग्रेस सांसद ने कहा कि पहला प्रश्न: कार्यकाल दो से बढ़ाकर पांच साल क्यों किया गया? क्या देश में सक्षम अधिकारी नहीं बचे। दूसरा प्रश्न: इन संवेदनशील पदों पर रहने वाले लोगों को सालाना सेवा विस्तार का प्रलोभन देकर राजग-भाजपा सरकार इन दोनों संस्थानों की थोड़ी बहुत बची संस्थागत पवित्रता को नष्ट करना चाहती है। संदेश साफ है कि विपक्ष को खदेड़ो और सेवा विस्तार पाओ।

केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) अध्यादेश को 1984 बैच के भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के अधिकारी और मौजूदा प्रवर्तन निदेशालय प्रमुख एस के मिश्रा की सेवानिवृत्ति से महज तीन दिन पहले जारी किया गया है। सरकार ने उनका दो साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद 2020 में एक और सेवा विस्तार दिया था।

इस मामले में इस साल सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई जिसने सेवा विस्तार को रद्द नहीं किया, लेकिन सरकार से मिश्रा को 17 नवंबर के बाद और सेवा विस्तार नहीं देने को कहा। हालांकि, अधिकारियों ने कहा कि अध्यादेश लागू होने के बाद देखना होगा कि मिश्रा ईडी प्रमुख के रूप में काम करते रहेंगे या नहीं।

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