Delhi Liquor Policy: शराब नीति के कारण दिल्ली सरकार को ₹2,002 करोड़ का हुआ घाटा, CAG रिपोर्ट में दावा
Delhi Liquor Policy: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की एक रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि 2021-2022 की आबकारी नीति के कारण दिल्ली सरकार को कुल मिलाकर 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का घाटा हुआ है। सीएजी रिपोर्ट मंगलवार को मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दिल्ली विधानसभा में पेश की। इस दौरान काफी हंगामा देखने को मिला
Delhi Liquor Policy: शराब नीति से दिल्ली सरकार को 2,002.68 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ
CAG Report on Delhi Liquor Policy: दिल्ली विधानसभा में मंगलवार (25 फरवरी) को पेश की गई भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट के अनुसार आम आदमी पार्टी (AAP) की अगुवाई वाली सरकार को 2021-2022 की आबकारी नीति के कारण 2,002 करोड़ रुपये से अधिक का घाटा हुआ है। NDTV के मुताबिक, नवंबर 2021 में लागू की गई और अगले साल सितंबर में रद्द कर दी गई शराब नीति से दिल्ली सरकार को 2,002.68 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इसके लिए कमजोर नीतिगत ढांचे से लेकर आबकारी नीति के कार्यान्वयन में तमाम खामियों सहित कई कारण जिम्मेदार थे।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व वाली नई बीजेपी सरकार द्वारा पेश की जाने वाली पिछली आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के प्रदर्शन पर 14 में से एक रिपोर्ट में लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया में उल्लंघनों को भी जिक्र किया गया है। इसमें बताया गया है कि अब समाप्त हो चुकी नीति के निर्माण में बदलाव सुझाने के लिए गठित एक विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया ने नजरअंदाज कर दिया था।
दिल्ली सरकार को कैसे हुआ नुकसान?
चुनाव से पहले चर्चा का विषय बने कथित शराब घोटाले पर रिपोर्ट में 941.53 करोड़ रुपये के राजस्व के नुकसान का दावा किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नगरपालिका वार्ड में शराब की दुकानें खोलने के लिए समय पर अनुमति नहीं ली गई।
मुख्यमंत्री द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया है, "आबकारी विभाग को इन क्षेत्रों से लाइसेंस शुल्क के रूप में लगभग 890.15 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। क्योंकि शराब नीति वापस लेने और विभाग द्वारा फिर से कॉन्ट्रैक्ट जारी करने में विफलता के कारण इन क्षेत्रों से लाइसेंस शुल्क लिया गया।"
कई AAP नेताओं को जाना पड़ा जेल
इसके अलावा, कोविड-19 महामारी से संबंधित बंद के कारण लाइसेंसधारियों को अनियमित अनुदान छूट के कारण 144 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ। जुलाई 2022 में उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) जांच की सिफारिश करने के बाद नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए बीजेपी ने इसे लेकर AAP पर राजनीतिक हमला किया। मामले में जांच एजेंसियों द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद अरविंद केजरीवाल, सिसोदिया और संजय सिंह सहित AAP के शीर्ष नेताओं ने महीनों जेल में बिताए।
मास्टर प्लान में क्या थीं कमियां?
रिपोर्ट में कहा गया है कि मास्टर प्लान दिल्ली-2021 में गैर-अनुरूप क्षेत्रों में शराब की दुकानें खोलने पर रोक लगाई गई है। लेकिन आबकारी नीति 2021-22 में प्रत्येक वार्ड में कम से कम दो खुदरा दुकानें खोलना अनिवार्य किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, नई दुकानें खोलने के लिए कॉन्ट्रैक्ट दस्तावेज में कहा गया था कि कोई भी शराब की दुकान गैर-अनुरूप क्षेत्र में नहीं होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर कोई दुकान गैर-अनुरूप क्षेत्र में है, तो उसे सरकार से पूर्व स्वीकृति लेकर खोला जाना चाहिए।
रिपोर्ट में कहा गया है, "आबकारी विभाग ने गैर-अनुरूप क्षेत्रों में प्रस्तावित दुकानों के वास्ते तौर-तरीकों पर काम करने के लिए समय पर कार्रवाई नहीं की। दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) एवं दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) से टिप्पणी लिए बिना 28 जून, 2021 को प्रारंभिक कॉन्ट्रैक्ट जारी की गई।"
लाइसेंस शुल्क में कमियां
इसके बाद लाइसेंसधारकों ने हाई कोर्ट का रुख किया। 9 दिसंबर, 2021 को अदालत ने उन्हें 67 गैर-अनुरूप वार्ड में अनिवार्य दुकानों के संबंध में किसी भी लाइसेंस शुल्क का भुगतान करने से छूट दे दी। इसके परिणामस्वरूप प्रति माह 114.50 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस में छूट मिली।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मामले की जांच के बाद आबकारी और वित्त विभागों ने प्रस्ताव दिया कि कोविड-19 प्रतिबंधों के कारण लाइसेंस शुल्क में आनुपातिक छूट पर विचार नहीं किया जा सकता क्योंकि कॉन्ट्रैक्ट दस्तावेज में इसके लिए कोई प्रावधान नहीं है।
रिपोर्ट में कहा गया है, "इस प्रस्ताव को विभाग के प्रभारी मंत्री ने खारिज कर दिया। 28 दिसंबर 2021 से 27 जनवरी 2022 की अवधि के दौरान बंद दुकानों के लिए प्रत्येक क्षेत्रीय लाइसेंसधारी को छूट देने को मंजूरी दे दी गई।"
सिसोदिया पर बड़ा आरोप
रिपोर्ट के अनुसार, मंत्री (मनीष सिसोदिया) ने यह मंजूरी इस आधार पर दी कि सरकार ने कोविड-19 महामारी को लेकर लॉकडाउन के दौरान होटल, क्लब और रेस्तरां (एचसीआर) को आनुपातिक शुल्क माफी का लाभ दिया था।
रिपोर्ट में दावा किया गया है, "इससे सरकार को लगभग 144 करोड़ रुपये का घाटा हुआ।" BJP आरोप लगाती रही है कि आप प्रशासन ने कैग की रिपोर्ट पर रोक लगा रखी थी। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने पिछले गुरुवार को घोषणा की थी कि नई सरकार के पहले सत्र में रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी।