'द्रौपदी मेरा असली नाम नहीं...' द्रौपदी मुर्मू ने सुनाई अपने नाम के पीछे की पूरी कहानी, जानें नई राष्ट्रपति का असल नाम
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) ने एक मैगजीन से कहा था, द्रौपदी मेरा असली नाम नहीं था। मेरा यह नाम दूसरे जिले के एक शिक्षक ने रखा था, जो मेरे पैतृक जिले मयूरभंज के नहीं थे
द्रौपदी मुर्मू ने सुनाई अपने नाम के पीछे की पूरी कहानी
द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) ने सोमवार को भारत के 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ (President Oath) ली। मुर्मू देश के सबसे बड़े पद पर कायम होने वाली पहली आदिवासी नेता हैं। PTI के मुताबिक, उन्होंने खुलासा किया कि 'द्रौपदी' (Droupadi) उनका असली नाम नहीं है। 'द्रौपदी' नाम दरअसल उनके स्कूल टीचर ने दिया था।
एक ओडिशा की वीडियो मैगजीन को कुछ समय पहले दिए एक इंटरव्यू में मुर्मू ने बताया था कि उनका संथाली नाम ‘पुती’ था, जिसे स्कूल में एक शिक्षक ने बदलकर द्रौपदी कर दिया था। मुर्मू ने मैगजीन से कहा था, "द्रौपदी मेरा असली नाम नहीं था। मेरा यह नाम दूसरे जिले के एक शिक्षक ने रखा था, जो मेरे पैतृक जिले मयूरभंज के नहीं थे।"
उन्होंने बताया था कि आदिवासी बहुल मयूरभंज जिले के शिक्षक 1960 के दशक में बालासोर या कटक दौरे पर जाया करते थे। यह पूछे जाने पर कि उनका नाम द्रौपदी क्यों है उन्होंने कहा था, "शिक्षक को मेरा पुराना नाम पसंद नहीं था और इसलिए बेहतरी के लिए उन्होंने इसे बदल दिया।"
उन्होंने कहा कि उनका नाम ‘दुरपदी’ से लेकर ‘दोर्पदी’ तक कई बार बदला गया। मुर्मू ने बताया कि संथाली संस्कृति में नाम पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ते रहते हैं।
उन्होंने कहा, "अगर एक लड़की का जन्म होता है, तो उसे उसकी दादी का नाम दिया जाता है और लड़का जन्म लेता है, तो उसका नाम दादा के नाम पर रखा जाता है।"
देश के 15वें राष्ट्रपति के रूप में ली शपथ
द्रौपदी का स्कूल और कॉलेज में उपनाम टुडू था। उन्होंने एक बैंक अधिकारी श्याम चरण टुडू से शादी करने के बाद मुर्मू उपनाम अपना लिया था।
द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को संसद के केंद्रीय कक्ष में देश के 15वें राष्ट्रपति के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ली। भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) एनवी रमण ने उन्हें राष्ट्रपति पद की शपथ दिलायी।
देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर निर्वाचित होने से बहुत पहले मुर्मू ने राजनीति में महिलाओं के लिए आरक्षण पर अपने विचार साफ किए थे।
उन्होंने पत्रिका से कहा था, "पुरुष वर्चस्व वाली राजनीति में महिलाओं के लिए आरक्षण होना चाहिए। राजनीतिक दल इस स्थिति को बदल सकते हैं क्योंकि वहीं हैं जो उम्मीदवार चुनते हैं और चुनाव लड़ने के लिए टिकट बांटते हैं।"
मुर्मू ने 18 फरवरी 2020 को ‘ब्रह्माकुमारी गॉडलीवुड स्टूडियो’ को दिए एक और इंटरव्यू में अपने 25 साल बड़े बेटे लक्ष्मण की मृत्यु के बाद के अनुभव को साझा किया था।
उन्होंने कहा, "अपने बेटे के निधन के बाद, मैं पूरी तरह टूट गई थी। मैं दो महीने तक तनाव में थी। मैंने लोगों से मिलना बंद कर दिया था और घर पर ही रहती थी। बाद में मैं ईश्वरीय प्रजापति ब्रह्माकुमारी का हिस्सा बनी और योगाभ्यास किया तथा ध्यान लगाया।"
भारत की 15वें राष्ट्रपति मुर्मू के छोटे बेटे सिपुन की भी 2013 में एक सड़क हादसे में जान चली गई थी और बाद में उनके भाई और मां का भी निधन हो गया था।
मुर्मू ने कहा, "मेरी जिंदगी में सुनामी आ गयी थी। छह महीने के भीतर मेरे परिवार के तीन सदस्यों का निधन हो गया था।"
मुर्मू के पति श्याम चरण का निधन 2014 में हो गया था। उन्होंने कहा, "एक समय था, जब मुझे लगा था कि कभी भी मेरी जान जा सकती है..." मुर्मू ने कहा कि जीवन में दुख और सुख का अपना-अपना स्थान है।