बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने गुरुवार को 2019 में कांग्रेस और एमजीपी पार्टी से भारतीय जनता पार्टी (BJP) में कथित रूप से दलबदल के लिए शामिल हुए गोवा विधानसभा के 12 विधायकों को (12 Goa MLAs) अयोग्य घोषित करने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया।
कांग्रेस और एमजीपी (महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी) की तरफ से एक याचिका दायर कर गोवा के 12 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की गई थी, जो 2019 में बीजेपी में शामिल हो गए थे, जिसे बॉम्बे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है।
बार एंड बेंच के मुताबिक, जस्टिस मनीष पितले और जस्टिस आरएन लड्ढा की बेंच ने गोवा विधानसभा के स्पीकर द्वारा विधायकों की अयोग्यता के लिए दायर याचिकाओं को खारिज करने के आदेश को बरकरार रखा। स्पीकर ने आदेश में चुनौती दी थी कि विधायकों ने अयोग्यता को आमंत्रित नहीं किया, क्योंकि संविधान की दसवीं अनुसूची के अनुच्छेद 4(2) के तहत काल्पनिक कल्पना उनके पक्ष में संचालित थी।
12 विधायकों में से 10 कांग्रेस से और दो गोवा की सबसे पुरानी क्षेत्रीय पार्टी एमजीपी से अलग हो गए थे। विधायकों ने कहा था कि चूंकि उन्होंने दो-तिहाई विधायकों का गठन किया, इसलिए इसे संविधान की 10 वीं अनुसूची के तहत एक वैध विलय और दलबदल नहीं कहा जाएगा। यह याचिका गोवा कांग्रेस अध्यक्ष गिरीश चोडनकर ने दायर की थी।
यह याचिकाएं गोवा कांग्रेस अध्यक्ष गिरीश चोडनकर और महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के विधायक सुदीन धवलीकर ने दायर की थीं। बता दें कि 40 सदस्यीय गोवा विधानसभा के चुनाव के लिए इसी महीने 14 फरवरी को मतदान हुआ था और मतगणना 10 मार्च को होगी।
2017 के विधानसभा चुनाव में जनादेश बीजेपी के खिलाफ आया था। राज्य की कुल 40 सीटों में से 17 सीट कांग्रेस को मिली थी, जबकि बीजेपी के खाते में 13 सीटें आई थी। कांग्रेस से पिछड़ने के बाद भी बीजेपी गोवा में सरकार बनाने में सफल रही थी। गोवा में कांग्रेस के 12 विधायकों ने बीजेपी का दामन थाम लिए थे। इतना ही नहीं गोवा में क्षेत्रीय दल भी ऐसे ही करते रहते हैं।