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Manish Sisodia Bail: '...तो कानून का मजाक होगा', मनीष सिसोदिया को जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

बेंच ने सिसोदिया को 10 लाख रुपए के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की दो जमानतों पर रिहा किए जाने का निर्देश दिया। मनीष सिसोदिया ने जमानत की शर्तों के तहत अपना पासपोर्ट भी जमा कर दिया है और पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने यह देखते हुए याचिका स्वीकार कर ली कि मुकदमे में लंबे समय तक देरी ने मनीष सिसोदिया के तुरंत सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन किया है

अपडेटेड Aug 09, 2024 पर 1:57 PM
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Manish Sisodia Bail: मनीष सिसोदिया को जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने क्या-क्या कहा

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली शराब नीति में कथित घोटाला मामले में आम आदमी पार्टी (AAP) नेता मनीष सिसोदिया को जमानत देते हुए कहा कि उनके केस की तुरंत सुनवाई न कर उनका अधिकार छीना गया है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) दोनों की ओर से दर्ज मामलों में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री को जमानत दे दी।

बेंच ने सिसोदिया को 10 लाख रुपए के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की दो जमानतों पर रिहा किए जाने का निर्देश दिया। मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) ने जमानत की शर्तों के तहत अपना पासपोर्ट भी जमा कर दिया है और पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करने को कहा है।

...तो कानून के साथ होगा मजाक


सुप्रीम कोर्ट ने यह देखते हुए याचिका स्वीकार कर ली कि मुकदमे में लंबे समय तक देरी ने मनीष सिसोदिया के तुरंत सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन किया है और तुरंत सुनवाई का अधिकार स्वतंत्रता का एक पहलू है।

बेंच ने कहा कि इन मामलों में जमानत मांगने के लिए उन्हें निचली अदालत में भेजना कानून का मजाक होगा।

बेंच ने कहा, "सिसोदिया को तुरंत सुनवाई के अधिकार से दूर कर दिया गया है। तुरंत सुनवाई का अधिकार एक पवित्र अधिकार है। हाल ही में जावेद गुलाम नबी शेख मामले में हमने इस एंगल से निपटा और हमने देखा कि जब अदालत, राज्य या एजेंसी स्पीडी ट्रायल के अधिकार की रक्षा नहीं कर सकती हैं, तो जमानत का विरोध यह कहकर नहीं किया जा सकता कि अपराध गंभीर है, अपराध की प्रकृति के बावजूद अनुच्छेद 21 लागू होता है।"

मुकदमा पूरा होने की दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं: SC

Bar&Bench ने कहा, इसमें कहा गया है कि समय के भीतर मुकदमा पूरा होने की दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं है और मुकदमे को पूरा करने के मकसद से उसे सलाखों के पीछे रखना अनुच्छेद 21 के उल्लंघन के अलावा और कुछ नहीं होगा।

बेंच ने कहा कि इन मामलों में मनीष सिसोदिया को जमानत के लिए निचली अदालत भेजना ठीक नहीं होगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि वक्त आ गया है कि निचली अदालतें और हाई कोर्ट इस बात को समझें कि जमानत नियम है और जेल अपवाद।

क्यों जेल में थे मनीष सिसोदिया?

दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को CBI ने 26 फरवरी 2023 को दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 बनाने और लागू करने में कथित अनियमितताओं के लिए गिरफ्तार किया था। बाद में यह नीति रद्द कर दी गई थी।

ED ने उन्हें मनीलॉन्ड्रिंग के मामले में नौ मार्च 2023 को गिरफ्तार किया था। मनीलॉन्ड्रिंग का यह मामला CBI की FIR से जुड़ा था।

सिसोदिया ने 28 फरवरी 2023 को दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। उनके पास शिक्षा मंत्रालय का भी प्रभार था।

सिसोदिया ने जमानत दिए जाने का अनुरोध करते हुए कहा था कि वह 17 महीनों से हिरासत में हैं और उनके खिलाफ मुकदमा अभी तक शुरू नहीं हुआ है। ED और CBI ने उनकी जमानत याचिका का विरोध किया।

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