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Nagpur Violence: एक फिल्म, एक कब्र और बवाल... कैसे महाराष्ट्र की राजनीति का केंद्र बन गया औरंगजेब का मकबरा, क्या इसे हटाएगी महायुति सरकार?

Nagpur Violence News: फिल्म 'छावा' के रिलीज होने के बाद विवाद ने और रफ्तार पकड़ ली है, जिसमें छत्रपति संभाजी महाराज की औरंगजेब के खिलाफ वीरता को दर्शाया गया है। फिल्म ने दर्शकों, खासकर महाराष्ट्र के दर्शकों पर गहराई से असर डाला और मुगल शासक के खिलाफ विरोध को बढावा दिया

MoneyControl Newsअपडेटेड Mar 18, 2025 पर 4:05 PM
Nagpur Violence: एक फिल्म, एक कब्र और बवाल... कैसे महाराष्ट्र की राजनीति का केंद्र बन गया औरंगजेब का मकबरा, क्या इसे हटाएगी महायुति सरकार?
Nagpur Violence: एक फिल्म, एक कब्र और बवाल... कैसे महाराष्ट्र की राजनीति का केंद्र बन गया औरंगजेब का मकबरा

महाराष्ट्र के खुल्दाबाद में स्थित मुगल बादशाह औरंगजेब का मकबरा एक बार फिर राजनीतिक और वैचारिक टकराव का विषय बन गया है। बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद (VHP) जैसे हिंदू राष्ट्रवादी समूहों की ओर से भड़काया गया यह विवाद, मकबरे को ध्वस्त करने की मांग के इर्द-गिर्द घूमता है, जिसमें तर्क दिया जाता है कि औरंगजेब एक अत्याचारी था, जिसने हिंदुओं पर क्रूरता और अत्याचार किया। साथ ही 1689 में छत्रपति संभाजी महाराज को मार डाला। खुद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने औरंगजेब के किसी भी महिमामंडन के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है, जिससे बहस और तेज हो गई है।

'छावा' के रिलीज होने के बाद विवाद ने और रफ्तार पकड़ ली है, जिसमें छत्रपति संभाजी महाराज की औरंगजेब के खिलाफ वीरता को दर्शाया गया है। फिल्म ने दर्शकों, खासकर महाराष्ट्र के दर्शकों पर गहराई से असर डाला और मुगल शासक के खिलाफ विरोध को बढावा दिया।

हिंदू समूहों की बढ़ती मांगों और बढ़ते राजनीतिक बयानों के साथ, औरंगजेब के मकबरे का भविष्य अब महाराष्ट्र के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य में एक बड़े विवाद का विषय बन गया है।

कैसे छावा ने औरंगजेब विवाद को फिर से जिंदा किया?

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