Uttar Pradesh Polls 2022: पिछले दिनों समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने उत्तर प्रदेश की सियासत में चल रहे वर्षों पुराने अंधविश्वास को स्वीकार करते हुए माना कि जो नेता राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के पड़ोसी शहर नोएडा (गौतम बौद्ध नगर) आता है वह मुख्यमंत्री नहीं रहता है। उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा था कि वह नोएडा इसलिए नहीं आते, क्योंकि वहां आने वाला सीएम चला जाता है। हालांकि, उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) इन अंधविश्वासों पर यकीन नहीं करते।
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में सीएम योगी 36 साल से भी ज्यादा समय से कायम इस अंधविश्वास को लगातार तोड़ रहे हैं। योगी आदित्यनाथ पहले ऐसे सीएम हैं जो इंडस्ट्रियल हब नोएडा जाने से खौफ नहीं खाते हैं। 19 जनवरी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तीन दिनों में दूसरी बार नोएडा में थे, जब उन्होंने गंभीर COVID-19 मरीजों के लिए सुविधा की समीक्षा करने के लिए NCR के ग्रेटर नोएडा में GIMS का दौरा किया था।
दरअसल, 'नोएडा जिंक्स' (Noida Jinx) के रूप में जाना जाने वाला अंधविश्वास यह है कि नोएडा का दौरा करने से मुख्यमंत्रियों के बुरे दिन शुरू हो जाते हैं और वह दोबारा सीएम नहीं चुना जाता है। यूपी के सीएम लगातार नोएडा का दौरा कर रहे हैं। उन्होंने पिछले दिनों नोएडा दौरे के दौरान कहा था कि वह इस अंधविश्वास को इस बार तोड़ देंगे। 1985 से कोई भी यूपी में लगातार दूसरी बार सीएम नहीं बना है। पिछली बार जब कोई मौजूदा सीएम यूपी में दोबारा सत्ता में लौटा था तो वह 1985 में कांग्रेस पार्टी के एनडी तिवारी थे।
10 फरवरी से शुरू हो रहे सात चरणों के उत्तर प्रदेश चुनाव को मौजूदा भारतीय जनता पार्टी (BJP) और अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी के बीच लड़ाई माना जा रहा है। पहले चरण में 10 फरवरी को गौतम बौद्ध नगर जिले की तीन सीटों नोएडा, जेवर और दादरी में मतदान होना है। कहा जाता है कि योगी आदित्यनाथ से पहले के मुख्यमंत्रियों ने इस अंधविश्वास में विश्वास किया था और इस तरह जब वे सत्ता में थे तब नोएडा जाने से बचते रहे।
नोएडा आने वाले मुख्यमंत्रियों को गंवानी पड़ी सत्ता
उदाहरण के तौर पर अखिलेश यादव मई 2013 में नोएडा में आयोजित एशियाई विकास बैंक शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हुए थे, जबकि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। यादव अक्सर शहर में परियोजनाओं का उद्घाटन वीडियो लिंक के माध्यम से किया करते थे। यादव ने लखनऊ से रिमोट कंट्रोल के जरिए नोएडा में यमुना एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन भी किया था। इतना ही नहीं सपा प्रमुख दादरी लिंचिंग पीड़ित मोहम्मद अखलाक के परिवार से दादरी में मिलने के बजाय लखनऊ में मिले थे।
अखिलेश यादव से पहले, मुलायम सिंह यादव, कल्याण सिंह, एनडी तिवारी और राजनाथ सिंह सहित उत्तर प्रदेश के अन्य मुख्यमंत्रियों ने भी नोएडा जाने से परहेज किया। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती जब 2007 और 2012 के बीच मुख्यमंत्री थीं तो उन्होंने इस मिथक को तोड़ने की कोशिश की। नवंबर 2007 में वह 13 साल में नोएडा में कदम रखने वाली पहली यूपी सीएम बनीं, जब उन्होंने शहर में एक शादी और एक एक्सपो में भाग लिया। बाद में 2011 में वह नोएडा के दलित प्रेरणा स्थल का उद्घाटन करने के लिए नोएडा में थीं।
हालांकि एक साल बाद 2012 के विधानसभा चुनावों में उन्हें सत्ता गंवानी पड़ी और नोएडा का विवाद फिर से चर्चा में आ गया। माना जाता है कि 1997 में भी उनकी नोएडा यात्रा के कारण उन्हें सत्ता गंवानी पड़ी थी। यह अंधविश्वास जून 1988 में तब शुरू हुआ जब कांग्रेस के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर (वीर) बहादुर सिंह को केंद्रीय नेतृत्व द्वारा पद छोड़ने के लिए कहा गया था। सिंह संयोग से नोएडा से लौटे थे जब उन्हें इस्तीफा देने के लिए कहा गया था। इसके बाद 1989 में एनडी तिवारी, 1999 में कल्याण सिंह के बारे में माना जा रहा था कि वे नाएडा की चपेट में आ गए थे। 1995 में मुलायम सिंह अपनी नोएडा यात्रा के कुछ महीनों के भीतर ही सत्ता से बाहर हो गए थे।
सीएम योगी ने वर्षों पुराने ट्रेंड को तोड़ने का किया दावा
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को पूरा भरोसा है कि वह वर्षों पुराने ट्रेंड को इस बार तोड़ देंगे। अपनी चुनावी रैलियों में सीएम योगी दावा करते रहे हैं कि वह सत्ता में प्रचंड बहुमत के साथ लौटेंगे। पिछले साल एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि मैं वापस लौट रहा हूं। जो पिछले तीन दशकों में नहीं हुआ वो अगले साल होगा। नोएडा दौरे के दौरान सीएम आदित्यनाथ ने पत्रकारों से कहा, "मेरे लिए यहां आना और भी महत्वपूर्ण था, क्योंकि पिछले मुख्यमंत्री गौतमबुद्धनगर आने से डरते थे।"
मुख्यमंत्री रहते योगी ने कई बार नोएडा का दौरा किया। सीएम योगी की पहली नोएडा यात्रा 23 सितंबर, 2017 को हुई थी। उन्होंने बोटेनिकल गार्डन-कालकाजी मैजेंटा मेट्रो लाइन के उद्घाटन के लिए पीएम नरेंद्र मोदी की यात्रा से पहले व्यवस्था की जांच करने के लिए शहर का दौरा किया था। इसके दो दिन बाद 25 सितंबर को वह पीएम मोदी के साथ मेट्रो लाइन का उद्घाटन करने पहुंचे थे। उन्होंने शहर के विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ कई बैठकें भी की थीं। इसके बाद से वह लगातार नोएडा का दौरा कर रहे हैं। उनका दावा है वह इस मिथक को तोड़ देंगे।