कांग्रेस के नेतृत्व वाले I.N.D.I.A. गुट ने राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। विपक्षी दलों ने धनखड़ पर पक्षपात और भेदभाव के साथ काम करने आरोप लगाया है। विपक्ष ने दावा किया कि उन्होंने सदन की कार्यवाही के दौरान सत्ता पक्ष का पक्ष लिया और उनकी आवाज दबा दी। सूत्रों के मुताबिक, संविधान के अनुच्छेद 67(B) के तहत लाए गए प्रस्ताव पर तृणमूल कांग्रेस (TMC), आम आदमी पार्टी (AAP) और समाजवादी पार्टी (SP) सहित सभी विपक्षी दलों ने हस्ताक्षर किए हैं।
न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ के घटक दलों ने जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद से हटाने के लिए प्रस्ताव लाने संबंधी नोटिस मंगलवार को सौंप दिया। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने संसद परिसर में मीडिया को बताया कि करीब 60 सांसदों के हस्ताक्षर वाला नोटिस राज्यसभा सभापति के सचिवालय को दिया गया है।
धनखड़ को ‘‘एक और मौका देने’’ का फैसला
सूत्रों का कहना है कि विपक्षी दलों ने नोटिस देने के लिए अगस्त में ही जरूरी संख्या में हस्ताक्षर ले लिए थे, लेकिन वे आगे नहीं बढ़े, क्योंकि उन्होंने धनखड़ को ‘‘एक और मौका देने’’ का फैसला किया था, लेकिन सोमवार के उनके आचरण को देखते हुए विपक्ष ने इस पर आगे बढ़ने का फैसला किया।
विपक्ष के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "सभापति का आचरण अस्वीकार्य है। वह बीजेपी के किसी प्रवक्ता से ज्यादा वफादार दिखने की कोशिश कर रहे हैं।"
संविधान के अनुच्छेद 67 में उपराष्ट्रपति की नियुक्ति और उन्हें पद से हटाने से जुड़े तमाम प्रावधान किए गए हैं।
संविधान के अनुच्छेद 67(B) में कहा गया है, “उपराष्ट्रपति को राज्यसभा के एक प्रस्ताव, जो सभी सदस्यों के बहुमत से पारित किया गया हो और लोकसभा द्वारा सहमति दी गई हो, के जरिए उनके पद से हटाया जा सकता है। लेकिन कोई प्रस्ताव तब तक पेश नहीं किया जाएगा, जब तक कम से कम 14 दिनों का नोटिस नहीं दिया गया हो, जिसमें यह बताया गया हो ऐसा प्रस्ताव लाने का इरादा है।"
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सहित कांग्रेस के कई सदस्यों ने सोमवार को सभापति जगदीप धनखड़ पर राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान ‘पक्षपातपूर्ण रवैया’ अपनाने का आरोप लगाया था।