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राज्यसभा सभापति धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है विपक्षी INDIA गुट, सपा और TMC ने दिया समर्थन

इससे पहले, बीजेपी की ओर से कांग्रेस के शीर्ष नेताओं पर देश को अस्थिर करने के लिए अरबपति निवेशक जॉर्ज सोरोस के साथ मिलीभगत का आरोप लगाने के हंगामे के बीच सोमवार को राज्यसभा की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई थी। इस दौरान जगदीप धनखड़ ने चेतावनी दी थी कि “डीप स्टेट की कार्यप्रणाली हमें Covid-19 बीमारी से ज्यादा खतरनाक तरीक से प्रभावित करती है

अपडेटेड Dec 09, 2024 पर 6:19 PM
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राज्यसभा सभापति धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है विपक्षी INDIA गुट, सपा और TMC ने दिया समर्थन

विपक्षी INDIA गुट ने राज्यसभा के सभापित जगदीप धनखड़ पर 'पक्षपातपूर्ण ढंग से काम करने का आरोप लगाया है।' साथी ही विपक्षी दल राज्यसभा सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी लेकर आ सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, तृणमूल कांग्रेस (TMC), आम आदमी पार्टी (AAP) और समाजवादी पार्टी (SP) सहित सभी विपक्षी दलों ने प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसे संविधान के अनुच्छेद 67 (बी) के तहत पेश किया जाएगा।

इससे पहले, बीजेपी की ओर से कांग्रेस के शीर्ष नेताओं पर देश को अस्थिर करने के लिए अरबपति निवेशक जॉर्ज सोरोस के साथ मिलीभगत का आरोप लगाने के हंगामे के बीच सोमवार को राज्यसभा की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई थी।

जगदीप धनखड़ ने दी चेतावनी


इस दौरान जगदीप धनखड़ ने चेतावनी दी थी कि “डीप स्टेट की कार्यप्रणाली हमें Covid-19 बीमारी से ज्यादा खतरनाक तरीक से प्रभावित करती है।”

तीन बार के स्थगन के बाद दोपहर तीन बजे जब उच्च सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई, तो सत्ता पक्ष और विपक्षी दलों के हंगामे के बीच उन्होंने कहा कि उनके कक्ष में सदन के नेता और विपक्ष के नेता के बीच एक बैठक हुई थी।

उन्होंने कहा, "उस बैठक का मकसद यह सुनिश्चित करना था कि सदन सुचारू रूप से चले। दोनों पक्षों के बीच खुलकर बातचीत हुई और उन्होंने दो बातों का संकेत दिया। एक तो यह कि देश की अखंडता और संप्रभुता हमारे लिए पवित्र है। हम देश के भीतर या बाहर किसी भी ताकत को हमारी एकता, हमारी अखंडता और हमारी संप्रभुता को अपवित्र करने की अनुमति नहीं दे सकते।"

संसद में हंगामा

उन्होंने आगे बताया कि नेता मंगलवार (10 दिसंबर) सुबह 10.30 बजे उनके कक्ष में फिर से मिलने पर सहमत हुए हैं।

इसके बाद उपराष्ट्रपति ने सभी सदस्यों से अपील की कि वे प्राथमिकता के आधार पर राष्ट्र की अखंडता सुनिश्चित करने के लिए ली गई संविधान की शपथ पर ध्यानपूर्वक विचार करें।

उन्होंने कहा, “देश की एकता और अखंडता के लिए भीतर या बाहर से किसी भी चुनौती के लिए हम सभी को एकजुट चुनौती पेश करने की जरूरत है… यह हमारे अस्तित्व के लिए एक चुनौती है। हम एक राष्ट्र के रूप में भयावह ताकतों, भारत के प्रति शत्रुतापूर्ण ताकतों से लड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं... एक गहरी स्थिति जो विकसित हो रही है, उसे हम सभी की ओर से निष्प्रभावी करने की जरूरत है।"

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