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Delhi Election: AAP के लिए इस बार का 'सबसे मुश्किल चुनाव'! यूं ही नहीं बदली गई मनीष सिसोदिया की सीट, सत्ता विरोधी लहर से निपटने की तैयारी

Delhi Assembly Election: इस बार पार्टी ने पूर्व उपमुख्यमंत्री और पटपड़गंज विधायक मनीष सिसोदिया को जंगपुरा से टिकट दिया, जबकि लोकप्रिय UPSC कोचिंग टीचर अवध ओझा को उनकी जगह पटपड़गंज से मैदान में उतारा में गया है। ओझा पिछले हफ्ते ही AAP में शामिल हुए थे। AAP ने अपनी दूसरी लिस्टी में 20 उम्मीदवारों के नाम जारी किए, जिसमें कई मौजूदा विधायकों का टिकट काटा गया

अपडेटेड Dec 09, 2024 पर 5:33 PM
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Delhi Election: AAP के लिए इस बार का 'सबसे मुश्किल चुनाव'! यूं ही नहीं बदली गई मनीष सिसोदिया की सीट, सत्ता विरोधी लहर से निपटने की तैयारी

आम आदमी पार्टी के सामने इस बार कई तरह की चुनौती हैं, जैसे- सत्ता विरोधी लहर, वरिष्ठ नेताओं की गिरफ्तारी से पैदा हुई मुश्किलें और भ्रष्टाचार के आरोपों को भुनाने की उम्मीद कर रहे विपक्ष का खतरा। दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस सब से पार पाने के लिए आम आदमी पार्टी फिर से काम कर रही है। इसी कवायद में पार्टी अपने कई मौजूदा विधायकों का या तो टिकट काट रही है या उनकी सीट बदल रही है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण सोमवार को आई आम आदमी पार्टी की दूसरे लिस्ट में देखने को मिला।

इस बार पार्टी ने पूर्व उपमुख्यमंत्री और पटपड़गंज विधायक मनीष सिसोदिया को जंगपुरा से टिकट दिया, जबकि लोकप्रिय UPSC कोचिंग टीचर अवध ओझा को उनकी जगह पटपड़गंज से मैदान में उतारा में गया है। ओझा पिछले हफ्ते ही AAP में शामिल हुए थे। AAP ने अपनी दूसरी लिस्टी में 20 उम्मीदवारों के नाम जारी किए, जिसमें कई मौजूदा विधायकों का टिकट काटा गया।

कई बदलाव पर हो रहा विचार


India Express ने पार्टी के एक सीनियर नेता के हवाले से अपनी रिपोर्ट में बताया, "बदलाव पर विचार चल रहा है।" नेता ने कहा, "ऐसी कई दूसरे सीटें और नेता हैं, जिन पर हम पहले गौर कर रहे हैं, क्योंकि वहां बड़े मुद्दे हैं।"

सिसोदिया ने 2013, 2015 और 2020 में पटपड़गंज से जीत हासिल की। 2015 की जीत 28,000 से ज्यादा वोटों के अंतर के साथ सबसे बड़ी थी। 2020 में, उन्होंने सिर्फ 3,100 से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की।

रिपोर्ट में AAP सूत्रों के हवाले से कहा गया, “2020 में, पूर्वी और उत्तर पूर्वी दिल्ली सहित कुछ सीटों पर BJP का अभियान CAA विरोधी विरोध प्रदर्शनों पर केंद्रित था। BJP के कम से कम दो वरिष्ठ नेता ऐसे थे, जो कम से कम 10 दिनों से पटपड़गंज में डेरा डाले हुए थे। इस साल अब तक, ऐसा कोई एक फैक्टर नहीं है जिसे बीजेपी भुनाने में सफल रही हो।"

सर्वे के नतीजों के कारण बदलाव जरूरी

21 नवंबर को, AAP ने दिल्ली के लिए 11 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की, जिसमें 2020 में बीजेपी से हार गई छह सीटें भी शामिल थीं। इसने तीन सीटों पर नए उम्मीदवारों की घोषणा की।

पार्टी ने किराड़ी से मौजूदा विधायक रितु राज गोविंद की जगह अनिल झा, सीलमपुर से विधायक अब्दुल रहमान की जगह चौधरी जुबैर अहमद और मटियाला से विधायक गुलाब सिंह की जगह सुमेश शौकीन को मैदान में उतारा। यह उन दो सीटों से अलग है, जहां उसके विधायकों ने पार्टी छोड़ दी थी।

पार्टी ने कहा कि सर्वे के नतीजों के कारण बदलाव जरूरी हो गया था। तब से और ज्यादा मंथन शुरू किया गया।

अभी और कई मौजूदा विधायकों का कटेगा टिकट

पिछले दो दिनों में, दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल और तिमारपुर विधायक दिलीप पांडे ने घोषणा की कि वे इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगे। पार्टी के गुजरात चुनाव अभियान प्रभारी गुलाब सिंह भी चुनाव नहीं लड़ेंगे।

पार्टी के वरिष्ठ नेता ने कहा, “10-11 और सीटें हैं, जहां मौजूदा विधायकों को बदलना होगा। कुछ मामलों में, भले ही हमारे सर्वे और जमीनी रिपोर्ट से पता चलता है कि विधायक अब लोकप्रिय नहीं है, लेकिन पार्टी इलाके में आगे है, तब भी हम उम्मीदवार बदल देंगे, क्योंकि हम आखिरी समय में किसी भी नकारात्मक मतदान से बचना चाहते हैं।"

2020 में AAP 15 नए चेहरे लेकर आई थी। यह दोहराते हुए कि लोकप्रियता और स्वीकार्यता इस बार भी प्रमुख मानदंड होंगे, नेता ने कहा, "यह चुनाव अलग है... हम तीसरे कार्यकाल के लिए लड़ रहे हैं और विधायकों की लोकप्रियता एक बड़ा फैक्टर बन गया है।"

AAP के लिए इस बार "बहुत मुश्किल चुनाव" 

नेता ने पिछली बार पार्टी के जीती गई 62 सीटों का जिक्र करते हुए कहा, “यह उन चुनावों से अलग है, जो हमने अतीत में लड़े हैं। 2013 में AAP ने अनुमान से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया। साल 2015 एक ऐतिहासिक साल था, जब पार्टी ने 70 में से 67 सीटें जीतीं। 2020 में, जबकि हम सत्ता विरोधी लहर से आशंकित थे, हमारे सर्वे से पता चला कि हम अच्छी स्थिति में थे।”

नेता ने स्वीकार किया कि इस बार AAP को "बहुत मुश्किल चुनाव" का सामना करना पड़ रहा है।

सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल सहित इसका शीर्ष नेतृत्व खासतौर से दिल्ली शराब नीति मामले में कई महीनों तक जेल में था, और फिलहाल जमानत पर है। नौकरशाही और LG वीके सक्सेना के साथ खराब संबंधों के चलते, विधायकों ने यह शिकायत की कि आम जनता से जुड़े बड़े काम और योजनाएं महीनों तक लटकी पड़ रहीं, जो एक अलग चुनौती होगी।

इसके अलावा, पार्टी ने घोषणा की है कि वह INDIA ब्लॉक में अपने गठबंधन सहयोगी कांग्रेस से हाथ नहीं मिलाएगी।

दूसरी ओर, BJP को उम्मीद है कि उसका ध्यान भ्रष्टाचार के आरोपों, खासकर केजरीवाल के खिलाफ और ग्रामीण दिल्ली में काम की धीमी रफ्तार पर केंद्रित रहेगा।

कुछ नामों की देरी से होगी घोषणा

नई दिल्ली के विधायक केजरीवाल ने जमानत मिलने के बाद मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया और घोषणा की कि वह दोबारा चुनाव जीतकर अपनी बेगुनाही साबित करेंगे। कालकाजी विधायक आतिशी ने उनकी जगह ली। माना जा रहा है कि इस बार दोनों अपनी-अपनी मौजूदा सीटों से ही चुनाव लड़ेंगे।

AAP आमतौर पहले ही अपने उम्मीदवारों की लिस्ट घोषित करने वाली पहली पार्टी रही है, लेकिन इस बार नामांकन की तारीख के करीब भी कुछ नामों का खुलासा हो सकता है।

वरिष्ठ नेता ने कहा, “उन इलाकों में जहां पार्टी कार्यकर्ताओं और पार्षदों और विधायकों के बीच बड़ी समस्याएं हैं, हम जल्दी नामों की घोषणा करेंगे, ताकि कैडर फिर से सक्रिय हो जाए। दूसरे इलाकों में, घोषणा में ज्यादा समय लग सकता है।”

पटपड़गंज से मनीष सिसोदिया की जगह लड़ेंगे अवध ओझा, AAP ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए जारी की दूसरी लिस्ट

 

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